चंडीगढ़: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने आज केंद्र सरकार से अपील करते हुये कहा कि बिना गेहूँ का रेट घटाऐ पंजाब को गेहूँ की खरीद में सिकुड़े हुए दानों के लिए निर्धारित नियमों में ढील दी जाये, जिससे किसानों की आय को सुरक्षित रखा जा सके जो पहले ही गेहूँ की कम पैदावार और बड़े कृषि कर्ज़े की मार बरदाश्त कर रहे हैं.
इस सम्बन्धी और जानकारी देते हुये भगवंत मान ने कहा कि उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और केंद्रीय ख़ाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल को बातचीत करते हुये कहा कि वह भारत सरकार की तरफ से तैनात टीमों द्वारा एकत्रित किये फील्ड डाटा के आधार पर ढील देने की अनुमति दें. इसके अलावा उन्होंने केंद्रीय मंत्री को पत्र लिख कर भी उक्त समस्या से निपटने के लिए विनती की थी.
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि वह इस पक्ष से बहुत चिंतित हैं कि सार्वजनिक वितरण मंत्रालय की तरफ से तैनात केंद्रीय टीमों से तरफ गेहूँ के दानों के सिकुड़ने सम्बन्धी तथ्यों को उजागर करती अपनी रिपोर्ट मंत्रालय को सौंप कर अपना काम पूरा कर दिया है. रिपोर्ट सौंपने से एक हफ़्ता बाद भी केंद्र सरकार की तरफ से इस सम्बन्धी कोई फ़ैसला नहीं लिया गया है. मुख्यमंत्री ने ज़ोर देकर कहा कि किसानी मुद्दों को पहल के आधार पर हल करने की ज़रूरत है और देरी से खरीद कार्य प्रभावित हो रहे हैं.
मुख्यमंत्री ने आगे बताया कि ‘आप’ सरकार किसानों का हर दाना-दाना खरीदने के लिए वचनबद्ध है. उन्होंने आगे कहा कि अनाज के सिकुड़ने के लिए किसानों को दोषी ठहराना और उनको जुर्माना देना सरासर बेइन्साफ़ी है, क्योंकि यह कुदरत का बरताव है और किसान के बैबस है. इसी कारण उनकी सरकार ने मंडियों में आए अनाज की तेज़ी से खरीद की है.
कुछ मंडियों में हो रही असुविधा और भरमार संबंधी बोलते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि यह मुख्य तौर पर नियमों में ढील न दिए जाने कारण एफ.सी.आई की तरफ से इन मंडियों की सिकुड़ी हुई गेहूँ को स्वीकार न करने से हुआ है, जिससे मंडियों में दिक्कत आ रही है और किसानों और आढ़तियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.
मान ने आगे कहा कि उनको केंद्र सरकार से जल्द ही सकारात्मक नतीज की उम्मीद है और इसके बाद लिफ्टिंग में काफी सुधार होगा.
ज़िक्रयोग्य है कि अत्यधिक गर्मी के कारण गेहूँ का दाना सूख गया था और पूरी तरह विकसित नहीं हो सका. इसीलिए राज्य सरकार ने खरीद सम्बन्धी नियमों में ढील देने की माँग की थी जिससे गेहूँ की खरीद करके केंद्रीय पुल में योगदान पाया जा सके. गेहूँ के दानों का सिकुड़ना किसान के बस की बात नहीं बल्कि एक कुदरती घटना है और इसलिए राज्य सरकार ने फ़ैसला किया कि किसानों को उनके नियंत्रण से बाहर की किसी चीज़ के लिए जुर्माना नहीं लगाया जाना चाहिए.