सोमवार रात को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार किया था. कई घंटे की पूछताछ के बाद उनके खिलाफ कार्रवाई की गई थी. मामले में जज गीतांजलि गोयल की कोर्ट ने सुनवाई की.
ED की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कहा कि हम आरोपी की 14 दिन की हिरासत के लिए आवेदन दे रहे हैं. जज ने ECIR की कॉपी और रिमांड अर्जी मांगी. मेहता ने आरोप लगाया कि जैन ने फरवरी 2015 से मई 2017 तक मंत्री के रूप में अपने और परिवार के नाम आय से अधिक संपत्ति अर्जित की.
CBI, IT विभाग और विभिन्न बैंकों से साक्ष्य इकट्ठेर किए गए हैं. जैन को 2015-2017 के दौरान 4.81 करोड़ प्राप्त हुए हैं. दिल्ली में कैश मिला है. जज ने कहा कि हम इस बात से अवगत हैं. सीबीआई मामले में आरोप पर बहस शुरू हो गई है. SG मेहता ने कहा कि हमने यह भी पाया है कि डाटा एंट्री ऑपरेटरों ने दिल्ली की कंपनियों में निवेश किया. इन 4 कंपनियों के लिए आय का कोई अन्य स्रोत नहीं है. वे स्पष्ट रूप से शेल कंपनियां हैं.
ED का कहना है कि जांच में 'पैसे के वास्तविक और पर्याप्त बिंदु मिले हैं, जिसे सत्येंद्र जैन ने अब तक नकारा है. अन्य स्रोतों और पैसे के बारे में पता लगाने के लिए 14 दिन की हिरासत में पूछताछ की जरूरत है.
SG मेहता ने कहा कि मामले में 'सहयोगी' अंकुश और वैभव जैन, सत्येंद्र जैन के परिजन ने हलफनामे पर बयान दिए हैं. उन्होंने (सहयोगियों) कर अधिकारियों के समक्ष जो कहा और अपनी रिट याचिका में इनकार नहीं किया, वह ईडी की जांच की पर्याप्त पुष्टि है.इस पर जज ने कहा कि मैं यह नहीं पूछ रही हूं कि आपको पीसी की जरूरत क्यों है. मैं पूछ रही हूं कि आपको 14 दिन क्यों चाहिए? एसजी का कहना था कि बड़े तौर पर सबूत मिले हैं.
IPC और PMLA के बीच अंतर यह है कि IPC के अपराध क्षण भर में किए जा सकते हैं लेकिन PMLA हमेशा गणना किए गए अपराध होते हैं जहां व्यक्ति अपने पीछे के गुनाह को खत्म करने की कोशिश करता है. यह पता लगाना होगा कि पैसा कहां से आया और आखिरकार पैसा कहां जा रहा है.
ग़ौरतलब है कि सत्येंद्र जैन मामले में आम आदमी पार्टी के वकील भी कोर्ट पहुंचे थे. कोर्ट में जैन की तरफ से पक्ष रखने के लिए सीनियर एडवाइजर एन हरिहरन के अलावा आप विधायक और एडवोकेट मदन लाल और बीएस जून भी पहले से मौजूद रहे.इससे पहले जैन का मेडिकल टेस्ट कराया गया.
दरअसल, प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कोलकाता की एक कंपनी से जुड़े हवाला लेनदेन के मामले में यह कार्रवाई की है. बताया जा रहा है कि फर्जी कंपनियों के जरिये आए पैसे का उपयोग भूमि की सीधी खरीद के लिए या दिल्ली और उसके आसपास कृषि भूमि की खरीद के लिए लिए गए ऋण की अदायगी के लिए किया गया था.