जयपुर: कांग्रेस के लिए एक के बाद एक मुश्किलें बढ़ती ही जा रही है. एक के बाद एक नेता कांग्रेस को अलविदा कह रहा है. ऐसे में अब राजस्थान में कांग्रेस की सरकार में मंत्री के बयान ने गहलोत सरकार की भी मुश्किलें बढ़ा दी है.
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबी माने जाने वाले एक मंत्री ने सूबे की नौकरशाही पर गुस्सा ज़ाहिर किया है, और मंत्रिपद छोड़ देने की बात कह डाली है.
राजस्थान के मंत्री अशोक चांदना ने माइक्रो-ब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर पर मुख्यमंत्री से अपील की है कि उन्हें मंत्रिपद से मुक्त कर दिया जाए, और सभी विभाग CM के प्रधान सचिव कुलदीप रांका को सौंप दिए जाएं.अशोक चांदना राजस्थान में खेल, युवा मामलों, कौशल विकास, रोज़गार, उद्यमिता तथा आपदा प्रबंधन व राहत विभागों के मंत्री हैं.
उन्होंने ट्वीट में लिखा, "माननीय मुख्यमंत्री, मेरा व्यक्तिगत अनुरोध है, कि आप मुझे इस क्रूर मंत्री पद से मुक्त कर दें, मेरे सभी विभागों का प्रभार कुलदीप रांका जी को दे दिया जाना चाहिए, क्योंकि वैसे भी सभी विभागों के मंत्री वही हैं... धन्यवाद..."
माननीय मुख्यमंत्री जी मेरा आपसे व्यक्तिगत अनुरोध है की मुझे इस ज़लालत भरे मंत्री पद से मुक्त कर मेरे सभी विभागों का चार्ज श्री कुलदीप रांका जी को दे दिया जाए, क्योंकि वैसे भी वो ही सभी विभागों के मंत्री है।
— Ashok Chandna (@AshokChandnaINC) May 26, 2022
धन्यवाद
आपको बता दें कि बूंदी विधानसभा क्षेत्र के जनप्रतिनिधि अशोक चांदना की इस शिकायत से कुछ ही दिन पहले राज्य के जनजातीय नेता तथा विधायक गणेश घोगरा का सूबे की नौकरशाही के साथ ज़मीनों की डीड के वितरण को लेकर विवाद हुआ था.
विधानसभा में डूंगरपुर सीट की प्रतिनिधित्व करने वाले युवा कांग्रेस की राजस्थान इकाई के प्रमुख गणेश घोगरा ने 18 मई को इस्तीफा दे दिया था, और कहा था कि सत्तासीन पार्टी का विधायक होने के बावजूद उन्हें दरकिनार किया जा रहा है.
चांदना के ट्वीट के कुछ ही मिनट बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) की राजस्थान इकाई के प्रमुख सतीश पूनिया ने कांग्रेस नेता पर कटाक्ष करते हुए ट्वीट किया, और 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव की तरफ इशारा किया. उन्होंने लिखा, "जहाज़ डूब रहा है... 2023 के रुझान सामने आने शुरू हो गए हैं..."
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लिए मंत्रियों तथा विधायकों का राज्य की नौकरशाही से नाराज़ होना चिंता का सबब है, क्योंकि राज्यसभा चुनाव सिर पर हैं, और एक-एक वोट बेहद कीमती है.
राजस्थान में मामूली राजनैतिक उथल-पुथल भी चिंता का कारण बन सकती है, क्योंकि पार्टी में वैसे भी अशोक गहलोत और उनके युवा प्रतिद्वंद्वी के बीच विधायक बंटे हुए हैं. कांग्रेस अगले साल विधानसभा चुनाव में लगातार दूसरा कार्यकाल पाने की उम्मीद कर रही है, लेकिन राजस्थान के पिछले 30 साल के इतिहास में किसी भी दल को कभी लगातार दूसरा मौका नहीं मिला है.