दिल्ली : आगामी शैक्षणिक सत्र के लिए सीखने संबंधी लक्ष्य और रणनीति तय करने व सीखने का एक न्यूनतम बेंचमार्क तय करने के लिए उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने शनिवार को दिल्ली सरकार के स्कूलों के स्कूल प्रमुखों व शिक्षा विभाग के डिस्ट्रिक्ट व जोनल डीडीई के साथ बातचीत की और उनके सुझाव लिए. इस बातचीत दिल्ली सरकार के 200 से अधिक स्कूल के स्कूल प्रमुखों ने भाग लिया।
इस मौके पर मनीष सिसोदिया ने स्कूल प्रमुखों को निर्देश दिया कि सभी स्कूल प्रमुख अब अपने स्कूल में स्कूल की बिल्डिंग, साफ़-सफाई, क्लासरूम की सुन्दरता, माहौल और बच्चों की पढ़ाई के स्तर को लेकर मिनिमान बेंचमार्क तैयार करें. उन्होंने कहा पिछले सात सालों में सरकार ने स्कूलों पर काफी काम किया है और शिक्षा का एक शानदार मॉडल दिया है. लेकिन अब ये स्कूल प्रमुखों की जिम्मेदारी है कि वह अपनी जबाबदेही तय करने हुए अपने स्कूल के लिए स्वयं एक न्यूनतम बेंचमार्क तैयार करें और ये सुनिश्चित करें कि हर बच्चे का लर्निंग लेवल एक न्यूनतम रेखा से नीचे न हो.
उन्होंने कहा कि स्कूल प्रमुख इसके लिए केवल कोशिश न करें बल्कि गारंटी ले. स्कूल अपने लिए एक डेडलाइन तय करें कि एक निश्चित समय के बाद कोई भी बच्चा एक निर्धारित न्यूनतम रेखा से नीचे न हो. हमारी कोशिश ये रहनी चाहिए कि स्कूल कि हमारे ज़्यादातर बच्चे डॉक्टर-इंजिनियर, आईएएस बनें, विश्व के टॉप कॉलेजों से उच्च शिक्षा प्राप्त करें लेकिन इस बात की गारंटी ले कि कोई भी बच्चा एक निश्चित रेखा से नीचे न हो. इसके लिए स्कूल अपने प्लान बनाए और उसका बेहतर क्रियान्वयन करें. इसके लिए सरकार स्कूलों को हर जरुरी सुविधाएं और पैसा उपलब्ध करवाएगी.
दिल्ली सरकार के स्कूल प्रमुखों के साथ चर्चा करते हुए उपमुख्यमंत्री ने कहा कि “मिशन बुनियाद की क्लासेज हाल ही में समाप्त हुई हैं और इसमें हमारे स्कूलों ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है। लेकिन हमें अपनी भविष्य की रणनीतियों के बारे में अभी से सोचने की जरूरत है, ताकि पिछले दो वर्षों में महामारी के कारण जो लर्निंग गैप आया है उसे ख़त्म किया जा सके। उन्होंने कहा कि स्कूल खुलने के बाद सिलेबस को पूरा करने की कोई जल्दी न हो बल्कि बच्चों में व्यवहारिक समझ विकसित करने पर काम किया जाए.
माइंडसेट करिकुलम के बेहतर क्रियान्वयन पर दिया जोर
दिल्ली सरकार द्वारा सपने स्कूलों में शुरू किए गए तीनों माइंडसेट करिकुलम पर चर्चा करते हुए मनीष सिसोदिया ने कहा कि हर दौर की अपनी एक जरुरत रही और तब स्कूलों में उस दौर के अनुसार करिकुलम डिज़ाइन किए गए और बच्चों को वो सिखाया गया. ठीक उसी तरह वर्तमान की चुनौतियों को देखते हुए हैप्पीनेस करिकुलम, एंत्रप्रेन्योरशिप माइंडसेट करिकुलम व देशभक्ति करिकुलम इस दौर की जरुरत है. जहाँ हम अपने स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों में एक ग्रोथ माइंडसेट विकसित कर उन्हें सोचना सीखाना है, उनकी आदतें बदलनी है. इसलिए अब ये बेहद जरुरी है कि हम स्कूल के खुलने के बाद दोबारा प्रतिबद्धता के साथ अपने क्लासरूम में इन करिकुलम को अपनाए.
उन्होंने आगे कहा कि स्कूल इन करिकुलम को अच्छी तरह से लागू कर रहे हैं और उसके बेहतर परिणाम मिले हैं। लेकिन इसे एक बड़ी सफलता बनाने के लिए स्कूल प्रमुखों को और आगे आकर काम करना होगा. इसलिए नए सेशन के साथ सभी स्कूल प्रमुखों को इन करिकुलम को अपने स्कूल में बेहतर ढंग से लागू करने की पूरी जिम्मेदारी लेनी होगी और हमारे स्कूल प्रमुखों को पूरी स्वायत्ता है कि वो अनूठे विचारों को अपनाते हुए इन करिकुलमों का अच्छे से क्रियान्वयन करें. यदि हम इसका बेहतर ढंग से क्रियान्वयन कर पाए तो हमारे बच्चों के सीखने की क्षमता कई गुणा बढ़ जाएगी.
बिजनेस ब्लास्टर्स पर चर्चा करते हुए मनीष सिसोदिया ने प्रिंसिपलों से कहा कि बिजनेस ब्लास्टर्स के अगले सीज़न के लिए आइडियाज को चुनते समय स्कूल प्रमुख उन आइडियाज के अनूठेपन, ग्राहकों को इसके लाभ, टीम की ताकत, जुनून और उत्साह और प्रस्तुति की गुणवत्ता पर ध्यान दे।
आपको बता दें कि इस कार्यक्रम में दिल्ली सरकार के 200 से अधिक स्कूल प्रमुखों ने भाग लिया. साथ ही प्रधान शिक्षा सचिव अशोक कुमार, प्रधान शिक्षा सलाहकार शैलेन्द्र शर्मा, अतिरिक्त शिक्षा निदेशक नंदिनी महाराज, अतिरिक्त शिक्षा निदेशक रीता शर्मा व एससीईआरटी निदेशक रजनीश कुमार सिंह सहित शिक्षा निदेशालय के अन्य अधिकारी मौजूद रहे. ज्ञात हो कि स्कूल प्रमुखों के साथ बैठक का शिक्षा मंत्री का ये चौथा सत्र था, पिछले दिनों शिक्षा मंत्री ने 800+ स्कूल प्रमुखों के साथ चर्चा की थी.
द भारत ख़बर