दिल्ली : 2002 गुजरात दंगों में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट देने वाली SIT रिपोर्ट के खिलाफ दायर एक याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट में ये याचिका जकिया जाफरी ने दाखिल की थी. जकिया जाफरी के पति एहसान जाफरी की इन दंगों में मौत हुई थी. 72 साल के एहसान जाफरी कांग्रेस नेता और सांसद थे. उन्हें उत्तरी अहमदाबाद में गुलबर्ग सोसाइटी के उनके घर से निकालकर गुस्साई भीड़ ने मार डाला था.
एहसान जाफरी की पत्नी जाकिया ने SIT की रिपोर्ट को चुनौती दी थी, जिसमें तत्कालीन मुख्यमंत्री समेत टॉप ब्यूरोक्रेट्स को क्लीन चिट दे दी गई थी. सुप्रीम कोर्ट में ये मामला जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच ने सुना. याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल, SIT की ओर से सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी और गुजरात की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलीलें दीं. इसके बाद बेंच ने 9 दिसंबर 2021 को फैसला सुरक्षित रख लिया था.
इस मामले में याचिकाकर्ता के वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट से कहा था कि SIT ने मामले के अहम पहलुओं पर जांच नहीं की. इससे साबित होता कि पुलिस इस केस में एक्टिव नहीं रही. सिब्बल ने ये भी कहा कि SIT ने जिस तरह जांच की उससे लगता है कि वो कुछ छिपाने की कोशिश कर रही है.
वहीं, SIT के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि किसी को नहीं बचाया गया और पूरी छानबीन गहराई से हुई है. कुल 275 लोगों से पूछताछ हुई. कोई ऐसा सबूत नहीं मिला जिससे साजिश की बात साबित होती हो.
SIT की रिपोर्ट में ऊंचे पदों पर रहे अधिकारियों को क्लीन चिट दी गई थी. इसमें गोधरा कांड और उसके बाद हुए दंगों में अधिकारियों की भूमिका को नकार दिया था. 2017 में गुजरात हाईकोर्ट ने SIT की क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ जाकिया की शिकायत खारिज कर दी थी.क्
आपको मालूम होगा कि गोधरा कांड के बाद 2002 में गुजरात में सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई थी. उपद्रवियों ने पूर्वी अहमदाबाद में अल्पसंख्यक समुदाय की बस्ती को निशाना बनाया था. इसमें पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी समेत 69 लोग मारे गए थे. इनमें से 38 लोगों के शव बरामद हुए थे. जबकि जाफरी सहित 31 लोगों को लापता बताया गया था.
द भारत ख़बर