चंडीगढ़ : दो दिन से फरार अमृतपाल सिंह और उसके वारिस पंजाब दे संगठन पर पंजाब पुलिस का एक्शन जारी है. अब तक अमृतपाल सिंह के कुल 112 करीबियों को अरेस्ट किया जा चुका है. इनमें से 34 को संडे वाले दिन गिरफ्तार किया गया. इतना ही नहीं पुलिस ने उस कार को भी बरामद कर लिया है, जिससे अमृतपाल फरार हुआ था. लॉ एंड ऑर्डर को बनाए रखने के लिए चप्पे चप्पे पर सुरक्षाबलों की तैनाती की गई है. हर जिले में पुलिस और पैरामिलिट्री फोर्स के जवान फ्लैग मार्च निकाल रहे हैं.
इससे पहले पंजाब पुलिस ने रविवार को बयान जारी कर बताया था कि भगोड़े अमृतपाल की गिरफ्तारी के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. राज्य में शान्ति और कानून व्यवस्था को भंग करने की कोशिश करने वाले व्यक्तियों को रोकने के लिए गिरफ्तारियां की जा रही हैं. अब तक उसके 112 समर्थक और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया. जालंधर में महतपुर के सलीना गांव से अमृतपाल की PB 10 FW6797 नंबर वाली एक लावारिस ईसूजूकार बरामद की गई. बताया जा रहा है कि अमृतपाल सिंह इसी कार से भागा था. इस कार से एक 315 बोर राइफल समेत 57 जिंदा कारतूस, एक तलवार और एक वॉकी-टॉकी सेट बरामद किया गया है. ये कार अनोखरवाल के मनप्रीत सिंह की है. उसे भी गिरफ्तार किया जा चुका है. पुलिस के मुताबिक, सोशल मीडिया पर लगातार नजर रखी जा रही है. अगर कोई भ्रामक खबर अफवाहें और नफरती भाषण देता है, तो उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी. इसे लेकर सोशल मीडिया कंपनियों को भी निगरानी रखने के लिए कहा गया है. पंजाब पुलिस ने राज्य के लोगों से अपील की है कि वे झूठी खबरों और अफवाहों पर ध्यान न दें.
अमृतपाल के हरिजीत और ड्राइवर हरप्रीत ने सरेंडर कर दिया है. दोनों ने मेहतपुर में पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया. बताया जा रहा है कि अमृतपाल आनंदपुर खालसा फोर्स नाम से अपनी फोर्स बना रहा था. पुलिस ने अमृतपाल के घर से AKF मार्क वाली जैकेट्स बरामद की हैं. उसके जल्लूपुर खेड़ा गांव स्थित घर के गेट और दीवार पर भी AKF लिखवाया गया था. उसके घर और साथियों से बरामद हथियारों पर भी AKF लिखा मिला है. यानी इस बात के पुख्ता सबूत हाथ लगे हैं कि अमृतपाल सिंह आनंदपुर खालसा फोर्स नाम से एक प्राइवेट आर्मी बना रहा था. आखिर अमृतपाल सिंह वारिस पंजाब दे के अलावा AKF नाम का संगठन क्यों खड़ा करना चाहता था? पुलिस इस सिलसिले में अरेस्ट किए गए उसके साथियों से भी पूछताछ कर रही है.
इस बीच अमृतपाल के पिता तरसेम सिंह ने कहा है कि पंजाब पुलिस और सरकारें अमृतपाल सिंह को बदनाम करना चाहती हैं. इसलिए कभी उसका नाम पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के साथ जोड़ा जा रहा है तो कभी उस पर गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के आरोप लगाए जा रहे हैं. तरसेम सिंह ने कहा कि दुबई से लौटने के बाद अमृतपाल सिंह के व्यवहार में अचानक परिवर्तन हो गया और उसका स्वभाव उग्र होने लगा. दुबई में वो किसी से ज्यादा बातचीत नहीं करता था और उसने अपने बाल भी कटवा लिए थे. यहां तक कि बोलने पर भी गुरुद्वारा नहीं जाता था, लेकिन पंजाब में जब धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी के मामले बढ़ने लगे तो धर्म में उसकी रुचि बढ़ गई. अमृतपाल के पिता ने शक जताया है कि पुलिस उसकी गिरफ्तारी की सूचना न देकर उसका एनकाउंटर भी करवा सकती है.
अमृतपाल के परिवार का आरोप है कि पुलिस ने उसे अरेस्ट कर लिया है, लेकिन उसकी जानकारी परिवार को नहीं दे रही है जो गैरकानूनी है. अमृतपाल के पिता ने आरोप लगाया कि पुलिस उस पर झूठे आरोप लगाकर उसे फंसाना चाहती है. वहीं, अब अमृतपाल के परिवार ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण (habeas corpus) याचिका दाखिल की है.
आपको बता दें कि पंजाबी सिंगर दीप सिद्धू ने किसान आंदोलन के दौरान वारिस पंजाब दे संगठन की शुरुआत की थी. इसे उसकी मौत के बाद अमृतपाल सिंह ने आगे बढ़ाया. अमृतपाल सिंह के गांव में ‘वारिस पंजाब दे’ का एक बड़ा पोस्टर लगा हुआ है, जिसमें जरनैल सिंह भिंडरावाले, दीप सिद्धू और अमृतपाल सिंह की बड़ी-बड़ी तस्वीरें लगी हुई है. भिंडरावाले के नाम के आगे संत और अमृतपाल सिंह के नाम से पहले भाई लिखा गया है जबकि दीप सिद्धू के नाम से पहले कुछ भी नहीं लिखा गया है. अमृतपाल सिंह पुलिस कार्रवाई से बचने के लिए छिपता फिर रहा है, वहीं उसके संगठन वारिस पंजाब दे का भविष्य भी अंधकार में नजर आ रहा है. अमृतपाल पर खुद भी गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है.
वहीं, इस मामले में केंद्र सरकार और जांच एजेंसियां भी अलर्ट मोड पर हैं. केंद्र की ओर से अमृतपाल के मामले को राष्ट्रीय जांच एजेंसी NIA को सौंपने की संभावना है. सूत्रों ने बताया कि अमृतपाल पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत केस दर्ज किया जा सकता है. इससे पहले पुलिस ने राज्यव्यापी ऑपरेशन के बीच अमृतपाल को भगोड़ा घोषित कर दिया है. अमृतपाल फरार चल रहा है, उसकी तलाश में पुलिस की टीमें लगातार छापेमार कार्रवाई कर रही हैं. पुलिस ने उसे पकड़ने के लिए बड़े स्तर पर अभियान चलाया है.
अमृतपाल के चार सहयोगियों को सुरक्षा कारणों से संडे वाले दिन असम के डिब्रूगढ़ जिले में लाया गया. खबरों के मुताबिक, गिरफ्तार किए गए चारों लोगों से शाम को पंजाब और असम पुलिस की एक संयुक्त टीम लंबी पूछताछ कर सकती है. इस संबंध में असम के मुख्यमंत्री ने कहा कि ये पुलिस का एक-दूसरे के प्रति सहयोग का रवैया है. जब एक बार असम में गिरफ्तारी हुई थी तो हमने सुरक्षा कारणों से कुछ आरोपियों को बिहार के भागलपुर जेल में भेज दिया था. पंजाब पुलिस ने सोचा होगा कि संदिग्धों का असम में भेजना बेहतर है. यह पुलिस से पुलिस का सहयोग है.
पिछले महीने ही अमृतपाल औऱ उनके साथियों ने पंजाब के अजनाला में हथियारों से लैस होकर एक पुलिस थाने पर हमला कर दिया था. उसके समर्थकों ने अपहरण और दंगों के आरोपियों में से एक तूफान की रिहाई को लेकर पुलिस स्टेशन पर धावा बोला था. इस दौरान 6 पुलिसकर्मी घायल हुए थे. उसके ही एक पूर्व सहयोगी ने अमृतपाल के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी. इसमें आरोप लगाया था कि इन सभी ने कथित तौर पर बरिंदर सिंह नाम के व्यक्ति को अजनाला से अगवा कर लिया और फिर मारपीट की.
इस मामले के बाद पंजाब पुलिस ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया. पुलिस प्रवक्ता का कहना है कि 'वारिस पंजाब दे' संगठन से जुड़े लोगों पर चार आपराधिक मामले दर्ज है. इसमें लोगों में वैमनस्य फैलाने, हत्या के प्रयास, पुलिस कर्मियों पर हमले और सरकारी काम में बाधा पैदा करने के मामले हैं. इसी क्रम में अजनाला पुलिस स्टेशन पर हमले के लिए संगठन के लोगों के खिलाफ 24 फरवरी को केस दर्ज किया गया था. इसमें अमृतपाल सिंह भी आरोपी है.
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