Delhi में अधिकारियों की ट्रांसफ़र पोस्टिंग में LG का फ़ैसला ही अंतिम, मोदी सरकार अध्यादेश लाई, केजरीवाल बोले....



 दिल्ली : राजधानी दिल्ली की जो आप सरकार अपने तरीके से काम करने की रणनीति तैयार कर रही थी, उसका अब सब कुछ धरा का धरा रह गया है। दिल्ली के अधिकारों को लेकर केंद्र सरकार की ओर से अध्यादेश लाए जाने के बाद एकाएक सब कुछ बदल गया है। अब दिल्ली फिर से पुरानी राह पर चलेगी और अब सुप्रीम कोर्ट का आदेश दिल्ली पर मान्य नहीं होगा। अध्यादेश के अनुसार राजधानी में अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग के लिए अथॉरिटी बनाई गई है। इसमें मुख्यमंत्री केजरीवाल, दिल्ली के मुख्य सचिव और प्रमुख गृह सचिव होंगे। अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग में अगर कोई विवाद होता है तो आखिरी फैसला दिल्ली के उपराज्यपाल का मान्य होगा। 


केंद्र द्वारा लाए गए अध्यादेश को लेकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पहले ही अंदेशा जताया था। उन्होंने ट्वीट कर लिखा था कि एलजी साहिब सुप्रीम कोर्ट के आदेश क्यों नहीं मान रहे? दो दिन से सर्विसेज़ सेक्रेटरी की फाइल साइन क्यों नहीं की? कहा जा रहा है कि केंद्र अगले हफ्ते आर्डिनेंस लाकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलटने वाली है? क्या केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलटने की साजिश कर रही है? क्या एलजी साहिब आर्डिनेंस का इंतजार कर रहे हैं, इसलिए फाइल साइन नहीं कर रहे? केजरीवाल ने ये ट्वीट किया ही था कि केंद्र सरकार के आर्डिनेंस लाने की ख़बर सामने आ गई..11 मई को आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी दिल्ली की नौकरशाही में जिस तरह से निडरता थी, उससे ये अनुमान तो लगाया जा रहा था कि कुछ न कुछ तैयारी चल रही है। मगर किसी को कानों कान खबर नहीं होगी और केंद्र सरकार इतना बड़ा फैसला लेने जा रही है, ये किसी को भी जानकारी नहीं थी। 


दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने केंद्र सरकार के अध्यादेश को सीधे तौर पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना बताया है। दिल्ली सरकार के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट तौर पर कहा था कि चुनी हुई सरकार सुप्रीम है। चुनी सरकार के पास सारी शक्तियां हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ और केजरीवाल सरकार की ताकत को कम करने के लिए यह अध्यादेश लाया गया है। दिल्ली सरकार की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने माना था कि अगर जनता ने केजरीवाल को वोट दिया है तो केजरीवाल के पास सभी निर्णय लेने का अधिकार होना चाहिए। लेकिन केंद्र सरकार इस अध्यादेश के माध्यम से कह रही है कि दिल्ली के लोगों ने जिसे चुना है, उसे दिल्ली की जनता के हक में फैसले लेने का अधिकार नहीं होना चाहिए। यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना के साथ दिल्ली की जनता के जनादेश का भी अपमान है।


उधर, आम आदमी पार्टी की वरिष्ठ नेता और कैबिनेट मंत्री आतिशी ने कहा कि इस अध्यादेश ने साबित कर दिया कि भाजपा और केंद्र सरकार को सिर्फ और सिर्फ अरविंद केजरीवाल से डर लगता है। भाजपा को डर है कि अगर सारी पावर केजरीवाल के पास आ गई तो केजरीवाल माॅडल को पूरे देश में फैलने से रोकना नामुमकिन है। आतिशी ने केंद्र के इस कदम को विश्वासघात करार दिया है।

द भारत ख़बर डॉट कॉम

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