दिल्ली की एक कोर्ट ने एक महिला के ससुराल वालों और पति को गैंगरेप
और क्रूरता के आरोपों से बरी करने का फैसला सुनाते हुए दिल्ली पुलिस
को झूठे आरोप लगाने वाले पिता-पुत्री के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश
दिया है।
एडिशनल सेशन जज आंचल तीन आरोपियों, महिला के पति, ससुर और ननद के खिलाफ एक मामले की सुनवाई कर रही थीं। इनके खिलाफ 2014 में जनकपुरी पुलिस स्टेशन में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के विभिन्न धाराओं के तहत कई अपराधों के लिए प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
न्यायाधीश ने आईपीसी की धारा 376 डी (सामूहिक बलात्कार), 498 ए (पति या पति के रिश्तेदार द्वारा महिला के साथ क्रूरता) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत लगाए गए आरोपों में महिला के पति सहित ससुर और महिला की ननद को बरी कर दिया है। मामले की जांच कर रहे न्यायाधीश ने कहा कि अभियोजन पक्ष (Prosecutors)तीनों अभियुक्तों के खिलाफ अपराध साबित करने में विफल रहा।
बता दें कि महिला और उसके पिता के आरोपों के बाद जनकपुरी पुलिस थाने ने महिला के पति के खिलाफ क्रूरता, आपराधिक विश्वासघात, स्वेच्छा से चोट पहुंचाने, गलत तरीके से बंधक बनाने, आपराधिक धमकी और सामान्य इरादे के अपराधों के लिएएफआईआर दर्ज की थी।
ससुराल वालों पर आईपीसी की धारा 408 ए (क्लर्क या नौकर द्वारा विश्वास का आपराधिक उल्लंघन), 406 (विश्वास की आपराधिक शाखा के लिए सजा), 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाने की सजा), 342 (गलत कारावास की सजा) धारा 506 (आपराधिक धमकी), 34 (सामान्य इरादा) और 376 डी के तहत अपराध का