New Delhi: दिल्ली के गोविंदपुरी के भूमिहीन कैंप में डीडीए की करवाई दूसरे दिन भी जारी रही। कालकाजी विधानसभा क्षेत्र के गोविंदपुरी में स्थित भूमिहीन कैंप को तोड़ने की कार्रवाई डीडीए ने मंगलवार को शुरू की थी। यह करवाई बुधवार को भी जारी रही। इस दौरान पुलिस बल की तैनाती की गई थी। दिल्ली पुलिस के जवानों के साथ अर्धसैनिक बल के जवानों की तैनाती में यह पूरी कार्रवाई की गई। यहां मौजूद झुग्गियों को तोड़ा गया। इस कार्रवाई को लेकर डीडीए की तरफ से दावा किया जा रहा है कि यह कार्रवाई उन झुग्गियों के खिलाफ की जा रही है, जिनको फ्लैट अलॉट किए गए हैं. इनको पहले नोटिस दिया गया गया था।
वहीं बुलडोजर कार्रवाई के बाद आम आदमी पार्टी और बीजेपी आमने-सामने है। वहीं दिल्ली की शिक्षा मंत्री ने इस कार्रवाई को लेकर बीजेपी को पूरी तरह से जिम्मेदार ठहराया है।वहीं दूसरी तरफ कालकाजी से झुग्गियों पर बुलडोजर चलने के बाद झुग्गियों में रहने वाले लोग भी सड़कों पर आ चुके हैं। कहा कि बीजेपी अपने चुनावी जुमले जहां झुग्गी वहां मकान को तो पूरा न कर सके लेकिन भूमिहीन कैंप कालकाजी में डीडीए के बुलडोजर चलाकर गरीबों के घर जरूर उजाड़ दिए।
वहीं इन्हीं आरोपों पर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने जवाब देते हुए कहा कि - झूठ बोलने की भी कोई सीमा होती है लेकिन आम आदमी पार्टी की सरकार से झूठ के अलावा और कोई भी अपेक्षा कैसे किया जा सकता है।शिक्षा मंत्री को जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि आपकी जानकारी के लिए भूमिहीन कैंप के सभी 1862 निवासियों को फ्लैट आवंटित हो चुके हैं। 1200 से अधिक लोग फ्लैट का कब्जा ले चुके हैं। डीडीए भूमिहिन कैंप केवल उन्हीं घरों को तोड़ रहा है जिनके रहने वाले वहां से फ्लैट में शिफ्ट हो चुके हैं और वह भी कानूनी कार्रवाई पूरी करके. इसलिए मोदी जी जो कहते हैं उसे हमेशा पूरा करते हैं और उन्होंने जहां झुग्गी वहीं मकान के तहत जरूरतमंदों को मकान भी दिए हैं पर AAP को ओछी राजनीति करने और दुष्प्रचार करने में महारत हासिल है।
बता दें कि दिल्ली नगर निगम चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गोविंदपुरी में बने फ्लैटों को झुग्गीवासियों को सौंपा था। यहां पर करीब 3 हजार फ्लैट बनाए गए हैं, जिनको भूमिहीन कैंप में रहने वाले लोगों को सौंपा गया है। हालांकि यहां पर कई लोग ऐसे भी हैं जिनका कहना है कि हमें फ्लैट नहीं मिला है। इसके बावजूद मारे झुग्गियों को तोड़ा गया। कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनका कहना है कि हम भूमिहीन कैंप में दुकान चलाते थे। जिससे हमारी रोजी-रोटी चलती थी, लेकिन डीडीए के द्वारा उनके दुकानों को तोड़ दिया गया है।