Delhi:दिल्ली सरकार और नौकरशाही में टकराव जारी, अध्यादेश से दिल्ली हथियाने की कोशिश: केजरीवाल, अधिकारी को बना दिया मंत्री का बॉस




Delhi News:दिल्ली सरकार और नौकरशाही में टकराव नहीं थमता दिख रहा है। नेशनल कैपिटल सिविल सर्विसेज अथॉरिटी की पहली बैठक के बाद मंगलवार को सीएम केंद्र व नौकरशाही पर भड़के। सीएम ने सीधे तौर पर बीजेपी पर नौकरशाही के रास्ते दिल्ली की सरकार चलाने का खेल रचने का इल्ज़ाम लगाया है। सीएम के मुताबिक, दिल्ली में अब चुनी हुई सरकार की नहीं, अफसरों की चलेगी। देश के इतिहास में यह पहली बार होगा, जब नौकरशाह चुनी हुई सरकार चलाएंगे। उधर, अथॉरिटी की दूसरी बैठक 28 जून का साएम आवास पर दोबारा बुलाई गई है।

अथॉरिटी की बैठक के बाद मीडिया को अरविंद केजरीवाल ने कहा कि केंद्र की बीजेपी सरकार ने अध्यादेश के जरिये चुनी हुई सरकार के मंत्री और मुख्यमंत्री यानी कैबिनेट के ऊपर अधिकारी बैठा दिया है। नेशनल कैपिटल सिविल सर्विसेज अथॉरिटी में मुख्यमंत्री के निर्णय को पलटने के लिए मुख्यमंत्री के ऊपर दो अधिकारी बैठा दिये है। अब हर विभाग में अंतिम निर्णय मंत्री का नहीं होगा, बल्कि विभाग के सचिव का होगा। वहीं, कैबिनेट का कौन सा निर्णय सही है, यह भी मुख्य सचिव तय करेंगे। सारे निर्णय अफसर लेंगे और उन पर सीधे केंद्र सरकार का कंट्रोल होगा। इस तरह बीजेपी दिल्ली में चुनाव हारने के बाद पिछले दरवाजे से दिल्ली सरकार को चलाना चाहती है।

 सीएम केजरीवाल ने आरोप लगाया कि दिल्ली में चार बार चुनाव हारने के बाद बीजेपी दिल्ली सरकार के ऊपर कब्जा करने की कोशिश की। केंद्र ने इस अध्यादेश में कई ऐसे प्रावधान किए हैं, जिससे सरकार के मंत्री और मुख्यमंत्री ऊपर हर जगह एक अफसर को बैठा दिया गया है। अध्यादेश से अधिकारी को मंत्री का बॉस बना दिया है। कैबिनेट में भी मंत्री व मुख्यमंत्री की नहीं, मुख्य सचिव और एलजी की चलेगी। केंद्र ने कहने को एक अथॉरिटी बना दी है। इस अथॉरिटी में केंद्र सरकार के दो अफसर और मुख्यमंत्री शामिल है।

अरविंद केजरीवाल ने कहा कि लोकतंत्र में चुनी हुई सरकार को अधिकारी रिपोर्ट करते हैं। उनका आरोप है कि यह पहली बार हो रहा है कि जब बीजेपी की केंद्र सरकार ने साजिश के तहत अफसरों को चुनी हुई सरकार के ऊपर कर दिया है। इनके ऊपर केंद्र सरकार का कंट्रोल है। केंद्र सरकार किसी अफसर का ट्रांसफर कर सकती है और किसी को भी सस्पेंड कर सकती है। अफसरों के ऊपर केंद्र सरकार का कंट्रोल है और अफसर मंत्रियों के ऊपर बैठेंगे।

सीएम केजरीवाल ने कहा कि अब अगर किसी भी विभाग में मंत्री कोई आदेश देगा, तो अफसर ये तय करेगा कि आदेश सही है या गलत है। मंत्री का आदेश सही न होने का बहाना बनाकर अधिकारी उसे मानने से इंकार कर सकता है। उनका सवाल है कि इस तरह से सरकार कैसे चलेगी? अगर हम दिल्ली में दो स्कूल बनाना चाहते हैं, लेकिन अफसर फाइल पर लिख दें कि दिल्ली में स्कूलों की जरूरत नहीं है तो फिर स्कूल नहीं बनेंगे।

इसके अलावा सीएम केजरीवाल ने कहा कि कैबिनेट चुनी हुई सरकार की सुप्रीम बॉडी होती है। कैबिनेट में सभी मंत्री होते हैं और मुख्यमंत्री अध्यक्ष होता है। कैबिनेट के निर्णय सही हैं या गलत हैं, यह मुख्य सचिव तय करेंगे। इसके बाद मुख्य सचिव एलजी से सिफारिश करेगा और एलजी कैबिनेट के किसी भी निर्णय को पलट सकता है। यह पावर तो संविधान ने भी नहीं दी कि एलजी कैबिनेट के किसी भी निर्णय को पलट सकते हैं। सीएम का आरोप है कि अध्यादेश से केंद्र सरकार ने संविधान ही बदल दिया।

अरविंद केजरीवाल ने बताया कि मंगलवार की बैठक से करीब 15 दिन पहले उनके पास एक फाइल आई। उस फाइल में वो एक अफसर को सस्पेंड करना चाहते थे। फाइल पढ़कर तीन-चार स्पष्टीकरण पर जवाब मांगा गया। बावजूद इसके वह फाइल दोबारा मेरे पास वापस नहीं आई। वो फाइल सीधे एलजी के पास चली गई। उस फाइल पर लिखा गया कि अथॉरिटी के 3 में से 2 सदस्यों की सहमति हो गई है। एक सदस्य की सहमति नहीं है। इसलिए फाइल मंजूर कर दी गई। 

ऐसे में हमेशा ही उन दोनों की सहमति रहेगी, क्योंकि वे दोनों ही केंद्र सरकार की अफसर हैं और मैं अकेला हूं। सीएम ने कहा कि वह यह सारी चीजें सुप्रीम कोर्ट लेकर जाएंगे। उन्होंने उम्मीद जताई कि सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलेगी। साथ ही जब यह अध्यादेश बिल के रूप में राज्यसभा में आता है तो उसे पास नहीं होने देंगे।




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