Delhi News: विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर एम्स में आयोजित कार्यक्रम के दौरान एम्स निदेशक डॉ. एम श्रीनिवास ने कहा कि एम्स में गंभीर मरीज आते हैं। काफी मरीजों को सांस की समस्या होती है। जिसके मद्देनज़र
एम्स में मरीजों को लाने-ले-जाने वाले पेट्रोल-डीजल के वाहनों के प्रवेश पर जल्द प्रतिबंध लग सकता है। अस्पताल में उपचार करवाने आ रहे मरीज और तीमारदार केवल एम्स के सार्वजनिक वाहनों का प्रयोग कर सकेंगे। पेट्रोल और डीजल के वाहनों से अस्पताल परिसर में प्रदूषण होता है। जो यहां आने वाले गंभीर मरीजों को परेशान करता है।
विश्व पर्यावरण दिवस केमौके पर एम्स में आयोजित कार्यक्रम के दौरान एम्स निदेशक डॉ. एम श्रीनिवास का कहना है कि एम्स में गंभीर मरीज आते हैं। काफी मरीजों को सांस की समस्या होती है। ऐसे में एम्स अन्य वाहनों को बंद करने की तैयारी कर रहा है। कोशिश की जा रही है कि एम्स में जल्द ही इलेक्ट्रिक सार्वजनिक वाहनों की संख्या को बढ़ाया जाए। इनके आने के बाद सभी मेट्रो स्टेशन, बस स्टॉप व अन्य जगहों से मरीज व अन्य आसानी से आ सकेंगे और उन्हें अन्य वाहनों की जरूरत नहीं होगी। ऐसे में उनका प्रवेश बंद किया जा सकेगा। जिससे प्रदूषण स्तर में भी कमी आएगी। उन्होंने कहा कि प्रदूषण स्तर को कम करने के लिए एम्स में दस हजार पौधे लगाए गए। साथ ही परिसर क्षेत्र से अतिक्रमण को हटाया गया।
बता दें कि एम्स में पर्यावरण दिवस के अवसर पर इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन के सहयोग से तीन प्लास्टिक बॉटल क्रशर मशीन लगाई गई है। ये मशीन प्लास्टिक की बोतलों को कुचल देती है, जिससे उनके Reuse को बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा कंपनी चार इलेक्ट्रिक बसें भी देगी जो मरीजों व तीमारदारों के लिए फायदेमंद होगी। ये इलेक्ट्रिक बसें कार्बन उत्सर्जन को कम करने और एम्स परिसर के भीतर और झज्जर, बल्लभगढ़ और गाजियाबाद में स्थित विभिन्न केंद्रों में पर्यावरण के अनुकूल परिवहन विकल्पों को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान देंगी।