Delhi News: हर बार 15 अगस्त लोग रंग बिरंगी पतंगों के साथ मनती है। पंद्रह अगस्त से पहले इसी तरह के तरह तरह की पतंगों से बाजार सज गए हैं। सदर बाजार, चांदनी चौक, जामा मस्जिद समेत अन्य चौक-चौराहों पर पतंग ही पतंग दिख रही है। मांग बढ़ने के साथ ही पतंग, चरखे और मांझे की कीमत भी बढ़ गई है। आम दिनों में पतंग का सौ रुपये का पैकेट इस वक्त 150 रुपये में मिल रहा है, जबकि मांझे की कीमत 500-800 रुपये के बीच है।
दरअसल, 15 अगस्त के मौके पर पतंगबाजी की पुराना रिवाज़ है। पुरानी दिल्ली के लोग पतंग उड़ाकर आजादी का जश्न मनाते हैं। जश्न-ए-आजादी के करीब पंद्रह दिन पहले ही दिल्ली के बाजार तरह-तरह की पंतगों से सजे हुए हैं। पतंग विक्रेताओं की मानें तो पन्नी वाले पतंगों के साथ ही कागज वाले पतंगों की भी मांग है। तावा पतंग लोगों को लुभाते हैं।
इसी तरह तिरंगा पतंग स्वतंत्रता दिवस पर सबसे अधिक बिकते हैं। कारोबारियों का कहना है कि इसके अलावा स्लोगन लिखे पतंग, शांति का संदेश देती, कबूतर की तस्वीर लगी पतंग, प्रधानमंत्री की तस्वीर वाली पतंग के साथ ही डिजनीलैंड, कार्टून, स्पाइडरमैन, छोटा भीम, छुटकी वाले पतंगों की भी बाजार में भरमार है।
पुरानी दिल्ली के बहादुरगढ़ रोड पर मौसमी पतंगों के विक्रेताओं का कहना है कि पतंग व मांझे इस साल दोनों महंगे हैं। चीन के मांझे पर बिक्री पर लगी पाबंदी से महंगाई बढ़ी है। कागज के दाम भी बढ़ गए हैं। सचिन ने बताया कि मौसमी बिक्री की वजह से कई दुकानदार मनमर्जी दाम रखते हैं।
एक दुकानदार ने बताया कि चाइनीज मांझे नायलॉन, प्लास्टिक व सिंथेटिक, मेटेलिक होते हैं। इस पर शीशे के कण लगाए जाते हैं। इससे मांझा धारदार होने के साथ ही मजबूत हो जाता है। उन्होंने बताया कि देसी मांझे भी कम खतरनाक नहीं हैं। मजबूत तो नहीं होते हैं चाइनीज मांझे की तरह, लेकिन धारदार बनाने के लिए शीशे के कण का लेप लगाया जाता है।
पतंग उड़ाने वाले कहते हैं कि चीन का मांझा प्लास्टिक का बना होता है। मजबूत होने के कारण पतंग कम कटती है। पतंगों के ज्यादा दूर जाने पर डोर टूटने का डर नहीं होता। मजबूत और अच्छा मांझा मांगने पर ज्यादातर दुकानदार सस्ता होने की वजह से चीन से मिलता जुलता मांझा दे देते हैं।
स्वतंत्रता दिवस पर पतंगबाजी के शौकीनों से बीएसईएस ने अपील की है कि वे बिजली के खंभों, तारों, ट्रांसफॉर्मरों और अन्य उपकरणों के आसपास पतंग न पड़ाएं। पतंग उड़ाने के लिए मेटल-युक्त मांझे का प्रयोग न करें। मेटेलिक मांझा न सिर्फ इलाके की बिजली गुल कर सकता है, बल्कि इससे पतंग उड़ाने वालों की जान को भी खतरा हो सकता है।
मेटल-कोटेड मांझा जब बिजली की तारों व अन्य उपकरणों के संपर्क में आता है, तो बिजली का करंट मांझे से प्रवाहित होकर पतंग उड़ाने वाले व्यक्ति के शरीर तक पहुंच सकता है। जान को भी जोखिम में डाल सकता है। इससे हजारों लोगों के घरों में अंधेरा छा सकता है।
बिजली आपूर्ति में बाधा पहुंचाना और बिजली के उपकरणों को क्षतिग्रस्त करना कानूनन अपराध है। इसके लिए Electricity एक्ट और दिल्ली पुलिस एक्ट के तहत सजा का प्रावधान है।