कश्मीर के अनंतनाग जिले में बुधवार को सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच हुई मुठभेड़ में चंडीगढ़ के कर्नल मनप्रीत सिंह शहीद हो गए। 41 वर्षीय मनप्रीत सिंह मूल रूप से मोहाली जिले के गांव भड़ोंजिया के रहने वाले थे। कर्नल के शहीद होने की सूचना उनके छोटे भाई संदीप सिंह को शाम करीब 5.30 बजे फोन पर मिली थी।
शहीद होने से दो दिन पहले ही कर्नल मनप्रीत ने भाई को फोन पर घर छुट्टी आने की सूचना दी थी, जिसको लेकर सभी खुश थे। कर्नल के पिता स्वर्गीय लखबीर सिंह भी आर्मी में सैनिक थे।
कर्नल मनप्रीत को दो साल पहले सेना पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्होंने 2016 में आतंकवादी बुरहान वानी को ढेर किया था। 2021 में अंधाधुंध गोलीबारी करने वाले आतंकवादियों को तत्कालीन लेफ्टिनेंट कर्नल मनप्रीत सिंह के नेतृत्व में उनकी बटालियन ने मार गिराया था।
जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद हुए मोहाली के कर्नल मनप्रीत सिंह बहादुरी की मिसाल थे।
इस बहादुरी के लिए भारतीय सेना ने उन्हें सेना मेडल से अलंकृत किया था। उनकी मां मनजीत कौर ने बताया कि मनप्रीत बचपन से ही पढ़ने में होशियार था। उसकी पढ़ाई मुल्लांपर स्थित एयरफोर्स स्टेशन के पास बने केंद्रीय विद्यालय में हुई थी।
मनप्रीत वर्ष 2003 में सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल बने थे। वर्ष 2005 में उन्हें कर्नल के पद पर पदोन्नत किया गया था। इसके बाद उन्होंने देश के दुश्मनों को मार गिराने के लिए चलाए गए भारतीय सेना के कई अभियानों का नेतृत्व किया। छोटे भाई संदीप सिंह ने बताया कि कर्नल मनप्रीत सिंह वर्ष 2019 से 2021 तक सेना में सेकंड इन कमांड के तौर पर तैनात थे। बाद उन्होंने कमांडिंग अफसर के रूप में काम किया।
कर्नल मनप्रीत सिंह की पत्नी जगमीत कौर शिक्षिका हैं। उनका सात साल बेटा और ढाई साल की बेटी है। शहीद कर्नल ने केंद्रीय विद्यालय मुल्लापुर से 12वीं तक की पढ़ाई की थी। शहीद कर्नल मनप्रीत सिंह 2 साल पहले सेना पुरस्कार से सम्मानित किए गए थे। वह 19 राष्ट्रीय राइफल में तैनात थे।