आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर JNU में बहस, सुनिए वर्कशॉप में क्या बोले दिग्गज

 







दिल्ली : सामाजिक विज्ञान के क्षेत्र में अर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल से जुड़ी संभावनाओं को लेकर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में एक दिवसीय वर्कशॉप का आयोजन किया गया. सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज और सेंटर फॉर एडवांस रिसर्च एंड डेवलपमेंट की ओर से संयुक्त रूप से आयोजित वर्कशॉप की अध्यक्षता सीएमएस चैयरपर्सन डॉ. शुचि यादव ने की, जबकि स्पीकर के रूप में इंडिजिनियस रियलवर्सिटी के को-फाउंडर निकोलस बुकर और मुख्य अतिथि के रूप में सीएआरडीसी की निदेशक डॉ. अमृता शिल्पी ने हिस्सा लिया.


AI फॉर सोशल साइंटिस्ट : ‘How Scholars can build AI Tool’ विषय पर आयोजित वर्कशॉप में हिस्सा लेने वाले छात्रों को संबोधित करते हुए निकोलस बुकर ने 21वीं सदी के दो प्रमुख रुझानों के विषय पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि ये तेजी से विकास और अर्थव्यवस्था के केंद्र के रूप में भारत और एशिया के फिर से उभरने का युग है. उन्होंने विस्तार से बताया कि अर्थव्यवस्था, संस्कृति और भू-राजनीतिक महत्व के मामले में कश्मीर अगले दस वर्षों में अपनी दो हजार वर्ष पुरानी शक्ति को पुनः प्राप्त कर लेगा.



मनुष्य बनाम AI की बहस पर ध्यान केंद्रित करते हुए उन्होंने कहा कि उच्च दक्षता वाले परिणाम प्राप्त करने के लिए दोनों बुद्धिमत्ता को एक साथ काम करने की जरूरत है. उन्होंने सहानुभूति, सही प्रश्न पूछना, अभिव्यक्ति और बेहतर संचार जैसे नए कौशल पर जोर दिया, जो आने वाले समय में केंद्र पर होंगे. वर्कशॉप में सीएमएस की चेयरपर्सन डॉ. शुचि यादव ने सामाजिक विज्ञान में अंतःविषयकता के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि मनुष्य हमेशा किसी भी शोध का केंद्र रहेगा. AI और मानव साथ-साथ चलेंगे. 



वर्कशॉप में प्रतिभागियों को अत्याधुनिक उपकरणों का उपयोग करने का व्यावहारिक अनुभव प्रदान किया गया, जिससे वो सामाजिक वैज्ञानिक के रूप में अपने शोध कार्य में AI का लाभ उठा सकें. OpenAI और बाकि सॉफ़्टवेयर का उपयोग करके प्रतिभागियों ने वर्कशॉप में सीखा कि यूट्यूब से हिंदी भाषा के समाचार मीडिया को खींचने, ट्रांसक्राइब करने, अंग्रेजी में अनुवाद करने और अर्थ विश्लेषण के लिए इसे संसाधित करने के लिए AI का उपयोग कैसे किया जाए. वर्कशॉप में सामाजिक विज्ञान में AI के व्यावहारिक अनुप्रयोगों को प्रदर्शित किया गया. साथ ही इस अंतःविषय दृष्टिकोण के नैतिक विचारों और भविष्य के प्रभावों पर एक संवाद को बढ़ावा दिया। वर्कशॉप में सीएआरडीसी निदेशक अमृता शिल्पी, सीएमएस जेएनयू की एसोसिएट प्रोफ़ेसर डॉ. अर्चना कुमारी और डॉ. सी. लालमुआनसांग किमी सहित विभिन्न विभागों के शोधार्थियों ने हिस्सा लिया.


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