दिल्ली-गुरुग्राम-दिल्ली के जाम से बेहाल हुए नौकरीपेशा लोग, दिल्ली LG और हरियाणा CM से की अपील






दिल्ली : हज़ारों लोग रोज़ाना दिल्ली से गुरुग्राम और गुरुग्राम से दिल्ली अपने दफ्दर और घर आना जाना करते हैं. दिल्ली से गुरुग्राम जाने और गुरुग्राम से दिल्ली आने के मुख्य तौर पर 2 मेन रास्ते हैं. ये दोनों ही रास्ते ख़राब सिस्टम और ट्रैफ़िक पुलिस की नाकाबलियत की वजह से घटों जाम से ठुके रहते हैं. लेकिन मजाल की हमारी सरकार और प्रशासन इस समस्या का हल निकालने की कोशिश भी कर दे. सरकारें और प्रशासन दोनों ही इस समस्या को लेकर बेपरवाह है, ऐसा लगता है कि मानो लोगों की क़िस्मत है कि वो अपने जीवन के कीमती घंटे इन जामों में खड़े रहकर गुजार दें. सालों से ये समस्या ज्यों की त्यों है लेकिन कोई देखने वाला नहीं कोई सुनने वाला नहीं.


गुरुग्राम की एक आईटी कंपनी में कार्यरत ज्योत्सना सिंह ने बताया कि ‘मैं दिल्ली में रहती हूँ और रोज़ाना मुझे गुरुग्राम अपने दफ़्तर जाना होता है, मेरी ऑफिस शिफ़्ट सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक है. ऑफिस पहुँचने के लिए मैं हाइवे वाला रूट लेकर अपनी कार से दिल्ली से सुबह 7 बजे निकलती हूँ तब जाकर 9:30 बजे गुरुग्राम दफ़्तर में पहुँच पाती हूँ. मुझे जाम में फँसे रहने के बाद 2 से ढाई घंटे दफ़्तर पहुँचने में लग जाते हैं. इससे भी बुरा हाल ऑफिस से छुट्टी के वक़्त निकलने पर होता है. 6 बजे ऑफिस से निकलती हूँ और कालाकाजी अपने घर पहुँचने में 9-9 बज जाते हैं.’


गुरुग्राम की एक लॉजिस्टिक कंपनी में काम करने वाले अक्षय चौधरी क़हते हैं कि ‘मुझे जितना टाइम दिल्ली से आगरा पहुँचने में लगता है, उतना ही टाइम मुझे दिल्ली से गुरुग्राम पहुँचने में लगता है. मैं पहले छत्तरपुर वाले रूट से जाता था फिर में हाइवे वाले रूट से जाने लगा लेकिन कोई फायदा नहीं दोनों ही सड़कों पर भारी जाम लगा रहता है और ट्रैफिक पुलिस देखने से भी नहीं दिखती, मैं जाम से परेशान हो चुका हूँ. और दूसरे शहर में नौकरी ढूँढ रहा हूँ, क्योंकि मुझे उम्मीद नहीं है कि जाम की इस समस्या को लेकर हमारी सरकारें और प्रशासन कुछ करेगा, ट्रैफ़िक पुलिस तो फ़्री की तनख़्वाह उठा रही है.’


गुरुग्राम में रेडिसन होटल के एक स्टाफ ने बताया कि यहाँ सालों से ऐसे ही जाम लगता आया है, लेकिन कोई इस बारे में कुछ करना ही नहीं चाह रहा, लोगों को 19 किलोमीटर का सफ़र तय करने में 3-3 घंटे लग रहे हैं, ट्रैफ़िक पुलिस सिर्फ़ चालान बनाने में लगी रहती है लेकिन जो उसका असली काम है ट्रैफ़िक व्यवस्था को ठीक करना उसपर कोई ध्यान ही नहीं है. हमारे नौकरशाहों को शर्म आनी चाहिए, हज़ारों लोगों को पुलिस प्रशासन और सरकारों ने जाम में परेशान होने के लिए छोड़ा हुआ है.


पीक आवर्स में गुरुग्राम से दिल्ली आना जाना करने वाले अमन सिंह ने दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना, केद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से इस जाम की समस्या से छुटकारा दिलाने की गुहार लगाई. उन्होंने कहा कि अगर प्रशासन चाहे तो क्या नहीं हो सकता. अगर प्रशासन और सरकार की नियत होगी तो उसके लिए इस जाम से लोगों को छुटकारा दिलवाना दो दिन का खेल है.


आपको बता दें कि दिल्ली-गुरुग्राम-दिल्ली रूट पर लोग रोज़ाना भारी ट्रैफ़िक समस्या से जूझ रहे हैं, ये जाम क्यों लगता है और इससे निपटने के लिए सरकार कब कदम उठाएगी इसका फ़िलहाल कोई अता पता नहीं है. कई बार देखा गया है कि इस जाम में एंबुलेंस और सरकारी वाहन तक फँसे रहते हैं. नज़दीक एयरपोर्ट होने की वजह से कई लोगों की इस जाम की वजह से फ़्लाइट तक छूट जाती हैं. लेकिन बेबस लोग इस ट्रैफ़िक जाम का कुछ नहीं कर पा रहे हैं और इसे ही अपने जीवन का एक हिस्सा बना चुके हैं.


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