डॉ. मनमोहन सिंह का राजनीति में आने का दिलचस्प किस्सा, वित्त मंत्री बनने के प्रस्ताव को मान गए थे मजाक!

Manmohan


पूर्व प्रधानमंत्री और भारतीय अर्थव्यवस्था के महान सुधारक डॉ. मनमोहन सिंह का निधन हो गया है। 92 वर्षीय डॉ. सिंह ने वित्त मंत्री के रूप में देश की आर्थिक दिशा को हमेशा के लिए बदल दिया। लेकिन उनका राजनीति में प्रवेश और वित्त मंत्री बनने का किस्सा बेहद दिलचस्प और अविस्मरणीय है।

वित्त मंत्री बनने की अनोखी शुरुआत

डॉ. सिंह को 1991 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव की सरकार में वित्त मंत्री बनने का प्रस्ताव उस समय मिला जब वे गहरी नींद में थे। राव ने उनके नाम पर अंतिम मुहर लगाकर अपने सलाहकार पीसी अलेक्जेंडर को डॉ. सिंह को यह खबर देने भेजा।

डॉ. सिंह, जो उस दिन देर रात नीदरलैंड से लौटे थे, अपने घर पर सो रहे थे। रात में अचानक फोन पर अलेक्जेंडर ने उन्हें जगाकर मुलाकात की बात कही। जब उन्होंने उन्हें वित्त मंत्री बनने का प्रस्ताव दिया, तो डॉ. सिंह को इस पर विश्वास नहीं हुआ।

यूजीसी कार्यालय पहुंच गए थे मनमोहन सिंह

डॉ. मनमोहन सिंह को इतनी रात में आए इस प्रस्ताव पर यकीन नहीं हुआ और अगली सुबह वे सामान्य दिनों की तरह अपने दफ्तर, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) पहुंच गए। उधर, शपथ ग्रहण समारोह में सभी उनकी प्रतीक्षा कर रहे थे। जब समारोह में उनकी अनुपस्थिति देखी गई, तो फोन करके उनसे पूछा गया कि क्या वे वित्त मंत्री के रूप में शपथ लेने आ रहे हैं।

यह सुनकर डॉ. सिंह चौंक गए। उन्हें फिर से आश्वस्त किया गया कि यह प्रस्ताव वास्तविक है। इसके बाद वे घर लौटे, तैयार हुए और शपथ ग्रहण समारोह में पहुंचे। वहां, अशोक हॉल में पहली कतार में बैठे डॉ. सिंह को देखकर सभी आश्चर्यचकित थे।

वित्त मंत्रालय की कमान संभालने की कहानी

शपथ ग्रहण के दौरान डॉ. सिंह को वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी आधिकारिक रूप से नहीं सौंपी गई थी। लेकिन समारोह के बाद उन्हें नॉर्थ ब्लॉक कार्यालय जाकर काम शुरू करने को कहा गया। बाद में, एक आधिकारिक विज्ञप्ति जारी कर उनके वित्त मंत्री बनने की घोषणा की गई।

वीपी सिंह और चंद्रशेखर सरकार में भूमिका

डॉ. सिंह 1990 में साउथ कमीशन के सेक्रेटरी जनरल के रूप में अपना कार्य पूरा कर भारत लौटे थे। उस समय वीपी सिंह सरकार उन्हें अपनी आर्थिक नीति टीम का हिस्सा बनाना चाहती थी। उन्होंने प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष पद को स्वीकार भी कर लिया था। लेकिन वीपी सिंह की सरकार गिर गई।

इसके बाद चंद्रशेखर सरकार ने उन्हें प्रधानमंत्री कार्यालय में आर्थिक सलाहकार बनाया। 1991 में जब चंद्रशेखर की सरकार भी गिर गई, तो डॉ. सिंह को यूजीसी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया।

आईजी पटेल के बाद चुना गया डॉ. सिंह का नाम

नरसिंह राव सरकार बनने के समय देश की अर्थव्यवस्था बेहद खराब स्थिति में थी। वित्त मंत्री के लिए सबसे पहले रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर आईजी पटेल का नाम प्रस्तावित हुआ। लेकिन उन्होंने यह पद लेने से इनकार कर दिया। इसके बाद डॉ. मनमोहन सिंह का नाम आगे बढ़ाया गया।

भारतीय अर्थव्यवस्था में क्रांति लाने वाले नेता

डॉ. मनमोहन सिंह ने वित्त मंत्री के रूप में भारत में 1991 का आर्थिक उदारीकरण लागू किया। उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था को विश्व के लिए खोला और इसे नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। उनकी नीतियों ने देश की आर्थिक दशा और दिशा बदल दी।

डॉ. मनमोहन सिंह का निधन न केवल कांग्रेस पार्टी, बल्कि पूरे देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनका जीवन सादगी, ज्ञान और सेवा का प्रतीक था।



source https://www.nayaharyana.com/2024/12/manmohan-singh-dies-story-behind-appointment-as-finance-minister-564.html

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