नई दिल्ली: मध्य प्रदेश की कटनी जिला पुलिस ने हाल ही में एक अनोखा कदम उठाया है। कस्टडी से भागी एक महिला कैदी का पता लगाने के लिए पुलिस बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर, पं. धीरेंद्र शास्त्री के दरबार में पहुंच गई और वहां अर्जी लगाई। यह घटना सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है, और लोग इस पर तरह-तरह के कमेंट्स कर रहे हैं।
8 जनवरी को बागेश्वर धाम में हुआ था दरबार
यह घटना 8 जनवरी 2025 की है, जब बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री कटनी जिले में दरबार लगा रहे थे। इस दरबार में लोग अपनी समस्याओं का समाधान पाने के लिए आते हैं, और कहा जाता है कि धीरेंद्र शास्त्री की दरबार में लगाई गई अर्जी अधिकांशतः स्वीकार होती है। इस बार, अर्जी लगाने वालों में एक महिला सिपाही भी शामिल थी, जो पुलिस की वर्दी में थी।
पुलिस ने अर्जी में क्या कहा?
महिला सिपाही ने दरबार में पहुंचकर हाथ जोड़कर पुलिस की ओर से एक अर्जी प्रस्तुत की। उसने बताया कि पुलिस की कस्टडी से एक महिला कैदी भाग गई है और पुलिस उसके बारे में जानकारी नहीं प्राप्त कर पा रही है। यह सुनकर पं. धीरेंद्र शास्त्री खिलखिलाकर हंस पड़े, क्योंकि यह एक बिल्कुल नया और अप्रत्याशित कदम था जहां पुलिस खुद ही अपनी समस्या का समाधान बाबा से मांग रही थी।
महिला कैदी का मामला: गांजा तस्करी का आरोप
वहीं, एक अन्य महिला इंस्पेक्टर ने बताया कि पुलिस ने गांजा तस्करी के आरोप में एक महिला को गिरफ्तार किया था। पुलिस उसे मेडिकल जांच के लिए अस्पताल लेकर गई थी लेकिन वहीं से वह महिला कैदी फरार हो गई। इसके बाद पुलिस ने उसकी तलाश के लिए कई प्रयास किए और उसे पकड़ने के लिए 10 हजार रुपये का इनाम भी घोषित किया। बावजूद इसके जब महिला कैदी का कोई सुराग नहीं मिला, तो पुलिस ने अंततः बागेश्वर धाम के दरबार में अर्जी लगाने का निर्णय लिया।
पुलिस का बागेश्वर धाम के दरबार में आना एक नया पहलू
यह पहला मौका था जब पुलिस ने अपनी ओर से किसी धर्मिक स्थल पर आकर समस्या का समाधान मांगने के लिए अर्जी दी। इसने न केवल सोशल मीडिया पर हलचल मचाई बल्कि यह भी दिखाया कि जब तक पारंपरिक साधनों से कोई समाधान नहीं मिलता तब लोग अन्य तरीकों से अपनी समस्याओं का हल खोजने की कोशिश करते हैं।
इस घटना ने यह भी दिखाया कि बागेश्वर धाम में लोगों की समस्याएं सुलझाने के लिए केवल आम लोग ही नहीं बल्कि प्रशासनिक अधिकारी भी भरोसा करते हैं। हालांकि यह कदम सोशल मीडिया पर कुछ हंसी-मजाक का कारण बना है लेकिन यह इस बात का प्रतीक है कि कब और किस तरीके से समाधान मिलेगा इसका कोई निश्चित तरीका नहीं है।
पुलिस का यह कदम इस सवाल को भी जन्म देता है कि क्या इस तरह के धार्मिक स्थलों का सहारा लेना प्रशासनिक समस्याओं का हल हो सकता है या यह सिर्फ एक आखिरी प्रयास था जब सभी अन्य तरीके विफल हो गए थे।