ट्रंप के टैरिफ बढ़ाने की खबर क्या है? सरल भाषा में समझिए, भारत पर इसका असर और नकुसान


International Desk : अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई नीति रिसिप्रोकल टैरिफ़ काफ़ी चर्चा में हैं… इसका सरल मतलब है कि अमेरिका अब भारत, चीन समेत तमाम देशों से आने वाले सामानों पर उतना ही टैक्स लगाएगा, जितना कि वे देश अमेरिकी सामानों पर लगाते हैं। ट्रंप का कहना है कि अमेरिका भारत और चीन जैसे देशों से बहुत सारा सामान खरीदता है , लेकिन उतना नहीं बेच पाता, जिससे घाटा हो रहा है। इसलिए उन्होंने टैरिफ लगाकर आयात को कम करने और घरेलू उद्योग को बढ़ावा देने का प्लान बनाया। अब  मान लो आप एक दुकानदार हैं। अगर आप 100 रुपये का सामान बेचते हैं और 150 रुपये का खरीदते हैं, तो आपके पास 50 रुपये का घाटा है। अब आपने फैसला किया कि बाहर से सामान लाने पर 20% टैक्स लगा देंगे, ताकि लोग आपकी दुकान से ज्यादा खरीदें। इससे आपका घाटा कम हो सकता है, लेकिन बाहर वाले दुकानदारों को नुकसान होगा। यही ट्रंप की सोच है!

  • कब से लागू हुआ? 5 अप्रैल 2025 से सभी देशों पर 10% का बेस टैरिफ शुरू हो गया, और 9 अप्रैल 2025 से अलग-अलग देशों के हिसाब से टैरिफ बढ़ा दिए गए।
  • भारत पर टैरिफ कितना? भारत से आने वाले सामानों पर 26% का टैरिफ लगाया गया है। पहले यह 2.5% से 3% के आसपास था, जो अब काफी बढ़ गया है। (हालांकि शुरुआत में 27% की बात थी, लेकिन बाद में इसे 26% कर दिया गया।)
  • दूसरे देशों पर टैरिफ: चीन पर 34%, वियतनाम पर 46%, यूरोप पर 20%, और कई अन्य देशों पर भी अलग-अलग दरें हैं।

ट्रंप ने दावा किया कि भारत जैसे देश अमेरिकी सामानों पर ज्यादा टैरिफ (लगभग 52%) लगाते हैं, इसलिए यह कदम "न्याय" के लिए है।

अब जान लेते हैं कि इससे भारत पर क्या असर होगा?

ट्रंप के इस फैसले से भारत की अर्थव्यवस्था पर मिला-जुला असर पड़ सकता है। आइए इसे आसान भाषा में समझते हैं:

  1. भारत अमेरिका को दवाइयाँ), ज्वेलरी, इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटो पार्ट्स, और टेक्सटाइल जैसे सामान निर्यात करता है। 26% टैरिफ की वजह से इनकी कीमत अमेरिका में बढ़ जाएगी, जिससे मांग कम हो सकती है। 


मांग कम होने से क्या होगा? 

मांग कम होने का मतलब है कि लोग किसी सामान या सेवा को कम खरीद रहे हैं। इससे कई चीजें प्रभावित होती हैं, जो इस तरह से समझ सकते हैं:

सबसे पहले

  1. उत्पादन में कमी का ख़तरा:
    • जब लोग कम सामान खरीदते हैं, तो कंपनियों को कम माल बनाना पड़ता है।
    • उदाहरण: अगर ट्रंप के टैरिफ की वजह से अमेरिका में भारत के हीरे-जवाहरात की मांग कम हो गई, तो भारत के हीरा व्यापारी कम हीरे काटेंगे या बनाएंगे।
  2. 2 रोजगार पर असर:
    • उत्पादन कम होने से कारखानों में काम कम हो जाता है, और नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं। युवाओं के सामान नौकरियों का संकट पहले से खड़ा है ऐसे में अगर माँग घटी तो ये संकट और बड़ा हो सकता है..
    • उदाहरण के तौर पर , अगर मोबाइल फोन की मांग घटे, तो फैक्ट्रियों में कामगारों को छुट्टी या नौकरी से निकाला जा सकता है।
  3. कीमतों में बदलाव:
    • मांग कम होने से कंपनियां अपनी लागत बचाने के लिए कीमतें कम कर सकती हैं, लेकिन अगर कच्चा माल महंगा हो, तो कीमतें बढ़ भी सकती हैं।
    • उदाहरण: अगर कपड़े की मांग कम हुई, तो दुकानदार सेल लगा सकते हैं, लेकिन अगर सूत महंगा हुआ, तो फिर भी कीमतें ऊपर जा सकती हैं।
  4. अर्थव्यवस्था पर असर:
    • अगर मांग लंबे समय तक कम रही, तो पूरा बाजार धीमा पड़ सकता है। लोग कम खर्च करेंगे, जिससे कंपनियों का मुनाफा कम होगा और अर्थव्यवस्था कमजोर हो सकती है।
    • उदाहरण: अगर भारत का निर्यात कम हुआ, तो सरकार को टैक्स कम मिलेगा, और विकास धीमा हो सकता है।
  5. उद्योगों को नुकसान:
    • खास तौर पर उन उद्योगों को नुकसान होगा, जिनका निर्यात ज्यादा है। जैसे ज्वेलरी, इलेक्ट्रॉनिक्स, और टेक्सटाइल।
    • लेकिन टेक्सटाइल जैसे कुछ क्षेत्रों  को फायदा भी हो सकता है, अगर ज़्यादा टैरिफ़ वाले दूसरे देशों की मांग भारत की ओर शिफ्ट हो जाए।


अब सरकार को क्या करना चाहिए

  • सरकार मांग बढ़ाने के लिए नई योजनाएँ बना सकती है, जैसे सब्सिडी देना या यूरोप जैसे नए बाजार तलाशना।
  • उदाहरण: भारत सरकार पीएलआई यानी उत्पादन प्रोत्साहन योजना के तहत कंपनियों को मदद दे रही है ताकि वे घरेलू मांग को बढ़ाएँ।


ट्रंप के 26% टैरिफ से भारत को कुछ नुकसान होगा, खासकर निर्यात और कुछ उद्योगों में, लेकिन यह बहुत गंभीर नहीं है। भारत को मौका भी मिल सकता है अगर वह अपनी आपूर्ति श्रृंखला मजबूत करे और अमेरिका के साथ सौदा कर ले। फिर भी, अगर व्यापार युद्ध बढ़ा, तो महंगाई और आर्थिक अस्थिरता का खतरा रहेगा। सरकार और उद्योग को मिलकर रणनीति बनानी होगी। 

भारत ख़बर डॉट कॉम

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