नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने अदालतों में आपराधिक मामलों का बोझ कम करने के लिए ‘कुछ अलग हटकर’ यानि out of the box सोचने की जरूरत पर जोर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब देश अपनी आजादी के 75 साल पूरे करने जा रहा है तब प्रशासन को इस दिशा में कुछ जरूरी कदम उठाने चाहिए। कोर्ट ने कहा कि सरकार इस पहलू पर विचार कर रही है, ऐसा संकेत भेजने के लिए इस साल स्वतंत्रता दिवस से पहले कुछ ‘प्रतीकात्मक’ किया जा सकता है। जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने कहा कि अदालतों पर आपराधिक मामलों का बोझ एक महत्वपूर्ण पहलू है। आपराधिक मामलों में अपील के लंबे समय से लंबित रहने से संबंधित मामलों की सुनवाई के दौरान पीठ ने ये टिप्पणी की।
Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट ने कहा- विचाराधीन कैदियों की रिहाई सही मायने में आजादी के अमृत महोत्सव का जश्न
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प्रमोद रिसालिया
प्रमोद रिसालिया एक अनुभवी राजनीतिक पत्रकार हैं, जो 'भारत खबर' वेब पोर्टल से जुड़े हुए हैं। उन्हें जमीनी राजनीति की बारीक समझ और तेज विश्लेषण के लिए जाना जाता है। प्रमोद लगातार राष्ट्रीय और क्षेत्रीय राजनीति से जुड़े मुद्दों पर रिपोर्टिंग और विश्लेषण करते हैं। उनकी लेखनी में तथ्यों की सटीकता और जन सरोकारों की गहराई साफ झलकती है। राजनीतिक घटनाक्रमों की रिपोर्टिंग के साथ-साथ वे चुनावी विश्लेषण और सत्ता के समीकरणों पर भी पैनी नजर रखते हैं।
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