ताइवान पर आक्रामक रुख से आने वाले दिनों में चीन की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। अब इस विवाद में चीन का धुर विरोधी देश जापान भी कूद पड़ा है। उसने न सिर्फ चीन के रवैये की आलोचना की है, बल्कि ताइवान के पास चल रहे युद्धाभ्यास पर भी आपत्ति प्रकट की है। विशेषज्ञों का मानना है कि युद्ध नहीं भी हुआ तो इसी बहाने चीन की घेराबंदी की कोशिशें तेज होंगी। इसमें भारत का फायदा है, क्योंकि इससे आने वाले समय में क्षेत्रीय सुरक्षा समीकरणों में बदलाव आएगा। चीन के रुख पर भारत ने कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की है, लेकिन जिस प्रकार अमेरिका के बाद जापान ने चीन को घेरा है, उसी प्रकार कुछ और देश आने वाले दिनों में चीन के रवैये के खिलाफ मुखर होते हैं तो इसमें भारत काफायदा है। पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर जिस प्रकार पिछले दो साल से चीन आक्रामक रुख अपनाए हुए है, ताइवान से उलझने की स्थिति में उसे लंबे समय तक एलएसी पर टकराव को कायम रखना मुश्किल होगा। ऐसे में चीन पर एलएसी से अपनी सेनाओं को पीछे हटने का दबाव होगा।
ताइवान पर आक्रामक रुख से आने वाले दिनों में चीन की मुश्किलें बढ़ी,
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प्रमोद रिसालिया
प्रमोद रिसालिया एक अनुभवी राजनीतिक पत्रकार हैं, जो 'भारत खबर' वेब पोर्टल से जुड़े हुए हैं। उन्हें जमीनी राजनीति की बारीक समझ और तेज विश्लेषण के लिए जाना जाता है। प्रमोद लगातार राष्ट्रीय और क्षेत्रीय राजनीति से जुड़े मुद्दों पर रिपोर्टिंग और विश्लेषण करते हैं। उनकी लेखनी में तथ्यों की सटीकता और जन सरोकारों की गहराई साफ झलकती है। राजनीतिक घटनाक्रमों की रिपोर्टिंग के साथ-साथ वे चुनावी विश्लेषण और सत्ता के समीकरणों पर भी पैनी नजर रखते हैं।
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