दिल्ली : राजधानी दिल्ली की गलियों में हत्या की एक और वारदात से एक बार फिर दहशत का माहौल है…. स्वरूप नगर में हुई एक और हत्या ने एक बार फिर से शहर की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। शुक्रवार की रात को एक मामूली विवाद के दौरान 26 साल के युवक देवेंद्र की चाकू मारकर हत्या कर दी गई। हालांकि, दिल्ली पुलिस ने इस मामले में तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है, लेकिन ये घटना शहर में बढ़ती हिंसा और पुलिस की निष्क्रियता को दर्शाती है।
पुलिस के अनुसार, घटना लोअर जीटीके रोड के एंट्री गेट पिकेट के पास हुई, जहां देवेंद्र और उसके परिचित चार युवकों पवन, विकास, अविनाश और रोहित के बीच मामूली विवाद हो गया था। झगड़ा बढ़ने पर मारपीट हुई और गर्मागर्मी में देवेंद्र को चाकू से पेट में वार कर दिया गया। घायल देवेंद्र मौके पर गिर पड़ा और स्थानीय लोगों ने उसे बाबू जगजीवन राम अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।पुलिस ने मामले में एफआईआर दर्ज की और छापेमारी अभियान शुरू किया।
पुलिस को रात करीब 11:40 बजे अस्पताल से सूचना मिली कि एक युवक की हत्या कर दी गई है. पुलिस अधिकारियों ने बताया कि परिजनों और चश्मदीद गवाहों से पूछताछ के बाद आरोपियों की पहचान हो गई. पुलिस ने CCTV फुटेज का भी सहारा लिया. रातभर चले ऑपरेशन में तीन आरोपियों, तेइस साल के रोहित, तीस साल के अविनाश और छब्बीस साल के पवन को गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस ने हत्या में इस्तेमाल किया गया चाकू भी बरामद कर लिया है, जानकारी के मुताबिक रोहित, खड्डा कॉलोनी का रहने वाला है और पड़ोसियों के मुताबिक, वह गुस्सैल स्वभाव का है. अविनाश, स्वरूप विहार में रहता है और मजदूरी करता है. वह पहले भी झगड़े-फसाद में शामिल रहा है. वहीं, तीसरा आरोपी पवन, भलस्वा डेयरी का रहने वाला जो दिहाड़ी मजदूर है. इसका कोई पुराना आपराधिक रिकॉर्ड नहीं. पुलिस चौथे आरोपी विकास की तलाश अभी कर रही है., पुलिस उस की तलाश कर रही है।
इस घटना ने एक बार फिर से दिल्ली में कानून व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति को उजागर किया है। स्वरूप नगर जैसे क्षेत्र, जहां पुलिस स्टेशन और अधिकारियों के कार्यालय नजदीक हैं, वहाँ भी ऐसी घटनाएं होना चिंताजनक है। क्या ये संकेत नहीं देता कि पुलिस की मौजूदगी के बावजूद अपराधी बेखौफ हैं? और अपराधियों के मन से क़ानून का ख़ौफ़ ख़त्म होता जा रहा है…लगातार बढ़ रही हत्या की घटनाओं से दिल्ली की आम जनता को अपनी सुरक्षा की चिंता सताने लगी है? और गृहमंत्री अमित शाह के साथ साथ दिल्ली पुलिस कमिश्नर पर भी सवाल उठने लगे हैं….शहर में लगातार बढ़ रही हिंसा और अपराधों को रोकने के लिए ना तो कोई ठोस कदम उठाए जा रहे हैं और ना ही पुलिस की टीमें इन वारदातों को रोकने में सक्षम दिख रही है…एक वक़्त था जब दिल्ली पुलिस अपनी कार्यशाली के लिए पूरे देश में गर्व से जानी जाती थी..लेकिन आज की दिल्ली पुलिस अपराधियों के सामने बेबस नज़र आती है…दिल्ली में सार्वजनिक जगहों पर खुलेआम नशा करते हुए लोग आपको दिख जाएँगे जिन्हें रोकने या जिनके ख़िलाफ़ एक्शन लेता हुआ आपको कोई नहीं दिखेगा…दिल्ली के पार्क नशेड़ियों का अड्डा बन चुके हैं…स्थानीय लोगों की शिकायतों के बावजूद भी ग्राउंड ज़ीरो पर कोई बदलाव नज़र नहीं आ रहे हैं….बीट अफ़सर पेट्रोलिंग के नाम पर ख़ानापूर्ति कर रहे हैं….दिल्ली में कानून व्यवस्था की स्थिति दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है, और इस पर नियंत्रण पाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। क्या यह समय नहीं है कि सरकार और पुलिस प्रशासन गंभीरता से सोचें और आम जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करें? अन्यथा, ऐसी घटनाएं शहर की छवि को और धूमिल करती रहेंगी।