जींद/चंडीगढ़: हरियाणा के जींद जिले के गांव जाजनवाला के रहने वाले भारतीय सेना के वीर जवान, नायक अमरजीत नैन, जम्मू-कश्मीर के पुंछ में ड्यूटी के दौरान शहीद हो गए हैं। सेना द्वारा परिवार को दी गई जानकारी के अनुसार, सोमवार को अपनी सर्विस राइफल की सफाई करते समय दुर्घटनावश गोली चलने से यह हादसा हुआ। 29 वर्षीय अमरजीत की शहादत की खबर मिलते ही उनके परिवार और पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई है।
दो साल पहले शादी, 7 माह की बेटी
शहीद अमरजीत नैन की शहादत ने परिवार पर दुखों का पहाड़ तोड़ दिया है।
नवविवाहित जीवन: उनकी शादी दो साल पहले ही हिसार के नहला गांव की रहने वाली प्रियंका से हुई थी।
नन्ही बेटी: वे केवल सात महीने पहले ही एक बेटी के पिता बने थे। इतनी छोटी उम्र में बेटी के सिर से पिता का साया उठ जाने से पूरा परिवार और क्षेत्र गहरे सदमे में है।
अंतिम मुलाकात: करीब एक महीने पहले ही अमरजीत दिल्ली से सेना की डाक लेने आए थे और केवल एक दिन के लिए अचानक घर आए थे। परिवार को क्या पता था कि यह उनकी आखिरी मुलाकात होगी।
“जब भी लौटूंगा, तिरंगे में लिपटकर ही आऊंगा”
शहीद अमरजीत का देश के प्रति जज्बा अटूट था। उनके ताऊ के बेटे टेकराम ने भावुक होकर बताया कि अमरजीत अक्सर कहते थे, “जब भी लौटूंगा, तिरंगे में लिपट कर ही आऊंगा।” उनकी यह बात आज सच हो गई, लेकिन इस सत्य ने परिवार और गांव को एक कभी न भरने वाला घाव दे दिया है।
एक साधारण किसान परिवार का बेटा
11 मार्च 1996 को जन्मे अमरजीत एक साधारण किसान परिवार से थे। उनके पिता रमेश कुमार खेती-बाड़ी करते हैं। 10 साल पहले, 23 सितंबर 2015 को, वे एनसीसी कैडर के माध्यम से 7 जाट बटालियन में भर्ती हुए थे और वर्तमान में नायक के पद पर पुंछ में तैनात थे। वे अपने तीन भाई-बहनों में सबसे छोटे थे और जब भी गांव आते थे, तो युवाओं को सेना में भर्ती होने के लिए प्रेरित करते थे।
एक साल में गांव की दूसरी शहादत
गांव जाजनवाला के लिए एक साल के भीतर यह दूसरी बड़ी क्षति है। इससे पहले, 8 जुलाई 2024 को इसी गांव के जवान प्रदीप नैन भी कश्मीर में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हो गए थे।
शहीद अमरजीत नैन का पार्थिव शरीर आज दोपहर उनके पैतृक गांव जाजनवाला लाया जाएगा, जहां पूरे राजकीय और सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
