पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने सरकारी भर्ती प्रक्रिया को लेकर एक अहम और दूरगामी फैसला सुनाया है। कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी सरकारी भर्ती के विज्ञापन में दी गई अंतिम तिथि अपरिवर्तनीय होती है और आरक्षण का लाभ पाने के लिए जरूरी सभी पात्रता प्रमाण पत्र (जैसे EWS, BC-A, BC-B सर्टिफिकेट) उम्मीदवार के पास इसी क्लोजिंग डेट तक होने अनिवार्य हैं।
क्या है पूरा मामला?
यह मामला हरियाणा लोक सेवा आयोग (HPSC) द्वारा 21 जून, 2024 को जारी एक विज्ञापन से जुड़ा है, जिसमें आयुर्वेदिक मेडिकल ऑफिसर के 805 पदों पर भर्ती के लिए आवेदन मांगे गए थे। विज्ञापन में साफ-साफ उल्लेख था कि 12 जुलाई, 2024 तक सभी जरूरी प्रमाण पत्र उम्मीदवारों के पास उपलब्ध होने चाहिए और इस तिथि के बाद जारी कोई भी दस्तावेज मान्य नहीं होगा।
इसके बावजूद, कई उम्मीदवारों ने या तो पुराने सर्टिफिकेट अपलोड किए या अंतिम तिथि के बाद बने नए प्रमाण पत्र पेश किए। HPSC ने नियमों का उल्लंघन करने वाले ऐसे अभ्यर्थियों को अयोग्य घोषित कर दिया।

हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने दिया अहम फैसला
अयोग्य घोषित किए गए कुछ उम्मीदवारों ने हाईकोर्ट की सिंगल बेंच में याचिका दायर की थी। उनका तर्क था कि भले ही उनका सर्टिफिकेट बाद में जारी हुआ हो, लेकिन उनकी वास्तविक पात्रता अंतिम तिथि से पहले ही मौजूद थी। सिंगल बेंच ने उनके पक्ष में फैसला दिया था।
लेकिन, HPSC की अपील पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने सिंगल बेंच के उस आदेश को पलट दिया। कोर्ट ने कहा कि बड़ी संख्या में आवेदकों को देखते हुए प्रक्रिया में “अंतिमता” बनाए रखना जरूरी है। अगर हर मामले में छूट दी जाने लगे, तो इससे प्रशासनिक अव्यवस्था फैलेगी और भर्ती प्रक्रिया कभी खत्म नहीं हो पाएगी।
कोर्ट की अहम टिप्पणी
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि कोई प्रमाणपत्र अंतिम तिथि के बाद जारी होता है, तो वह न तो पात्रता सिद्ध कर सकता है और न ही किसी छूट का आधार बन सकता है। भर्ती विज्ञापन में दी गई शर्तें सर्वोपरि होती हैं और सभी उम्मीदवारों को इनका पालन करना अनिवार्य है।
यह फैसला भविष्य में होने वाली सभी सरकारी भर्तियों के लिए एक महत्वपूर्ण मिसाल कायम करता है। इससे उम्मीदवारों को स्पष्ट संदेश गया है कि भर्ती प्रक्रिया की शर्तों का पालन करना कितना जरूरी है और अंतिम तिथि के बाद जारी प्रमाणपत्रों के आधार पर कोई रियायत की उम्मीद नहीं की जा सकती।



