हरियाणा में इलाज करवाने वाले मरीजों के लिए गंभीर चिंता बढ़ गई है। हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन (HCMAS) और स्वास्थ्य मंत्री आरती राव के बीच बुधवार को हुई बातचीत पूरी तरह असफल रही। डॉक्टरों की मांगों पर किसी भी बिंदु पर सहमति नहीं बनने के बाद एसोसिएशन ने फैसला किया है कि वे अपनी 8 और 9 दिसंबर की पूर्व घोषित हड़ताल पर कायम रहेंगे।
यदि सरकार ने इसके बाद भी कोई ठोस निर्णय नहीं लिया, तो डॉक्टर 10 दिसंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर देंगे, जिससे पूरे राज्य की स्वास्थ्य सेवाएँ ठप हो सकती हैं।
डॉक्टर क्यों हैं नाराज़? — प्रमोशन नहीं, भर्तियाँ नहीं, वादे पूरे नहीं
हरियाणा के सरकारी डॉक्टर लंबे समय से कई मांगों को लेकर विरोध कर रहे हैं। सबसे बड़ा विवाद सीनियर मेडिकल ऑफिसर (SMO) की सीधी भर्ती का है। डॉक्टरों का कहना है कि—
मेडिकल ऑफिसर (MO) को वर्षों सेवा देने के बावजूद प्रमोशन नहीं मिल रहा।
कई डॉक्टर पदोन्नति पाए बिना ही रिटायर हो रहे हैं।
सरकार ने वादा किया था कि खाली पदों पर भर्ती होगी, लेकिन अभी तक भर्तियाँ रुकी हुई हैं।
डॉक्टरों को संशोधित ACP (Assured Career Progression) का लाभ भी नहीं दिया गया।
इन मुद्दों को लेकर डॉक्टरों में गहरी नाराजगी है और एसोसिएशन ने इसे “सरकार की उदासीनता” बताया है।
हड़ताल का असर — बंद रहेंगे OPD, इमरजेंसी, ऑपरेशन और पोस्टमार्टम
एसोसिएशन ने स्पष्ट कर दिया है कि 8 और 9 दिसंबर को सभी स्वास्थ्य सेवाएँ पूरी तरह ठप रहेंगी, जिसमें शामिल हैं:
OPD बंद
आपातकालीन सेवाएँ भी बंद
कोई ऑपरेशन नहीं होगा
कोई पोस्टमार्टम नहीं किया जाएगा
लेबर रूम की सेवाएँ भी ठप रहेंगी
इस फैसले से राज्यभर के सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए पहुंचने वाले मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ेगा।
पहले भी कर चुके हैं विरोध — 27 नवंबर को 2 घंटे की हड़ताल
सरकारी डॉक्टर इससे पहले 27 नवंबर को पूरे राज्य में 2 घंटे की कलमबंद हड़ताल कर चुके हैं। चेतावनी के बावजूद सरकार और डॉक्टरों के बीच कोई समाधान नहीं निकल सका।
HCMAS का कहना है कि सरकार डॉक्टरों की वास्तविक मांगों को समझने की बजाय उन्हें नजरअंदाज कर रही है, जिससे हालात अब पूरी तरह बिगड़ते जा रहे हैं।
10 दिसंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल की चेतावनी — संकट और गहराएगा
अगर 8–9 दिसंबर की हड़ताल के बाद भी सरकार ने कोई निर्णय नहीं लिया, तो डॉक्टर 10 दिसंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे।
ऐसे में—
पूरी तरह प्रभावित होंगी और मरीजों का इलाज लगभग रुक जाएगा।
एसोसिएशन का कहना है कि वे मजबूरी में यह कदम उठा रहे हैं क्योंकि बार-बार मांग रखने के बावजूद सरकार की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।


