Haryana News: हरियाणा सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से जुड़े विवादों को सुलझाने, तकनीकी सहायता देने और प्राकृतिक व जैविक फसलों का मूल्य वैज्ञानिक तरीके से तय करने के लिए तीन अलग-अलग कमेटियां फिर से गठित की हैं। इन तीनों समितियों का नेतृत्व किसान और कल्याण विभाग के प्रधान सचिव करेंगे।
नई कमेटियों का मुख्य उद्देश्य बीमा कंपनियों और किसानों के बीच चल रहे विवादों को शीघ्र और सही तरीके से सुलझाना है। इसके तहत लिए गए निर्णयों को बीमा कंपनियों के लिए 30 दिन के भीतर लागू करना अनिवार्य होगा। यदि कोई कंपनी इस आदेश का उल्लंघन करती है, तो उसे हर दिन दो हजार रुपये का जुर्माना भुगतना होगा।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) और पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना (आरडब्ल्यूबीसीआईएस) से जुड़ी शिकायतों के निपटारे के लिए एक राज्य शिकायत निवारण समिति भी बनाई गई है। इस समिति में कुल दस सदस्य शामिल हैं, जिनमें कृषि निदेशक, कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक, बैंकर समिति के संयोजक, नाबार्ड के मुख्य प्रबंधक, कृषि विभाग के उप जिला अटॉर्नी, संबंधित जिले के उपनिदेशक कृषि और बीमा कंपनियों के प्रतिनिधि शामिल हैं।
यह समिति जिला स्तर पर लिए गए फैसलों और रेफर मामलों की समीक्षा करेगी। आदेशों में स्पष्ट किया गया है कि जिला स्तर की कमेटी को किसानों द्वारा दी गई शिकायतों पर 15 दिन के अंदर अंतिम निर्णय लेना होगा और इसकी जानकारी राज्य स्तरीय समिति को देनी होगी। इसके बाद किसी भी नए आवेदन पर विचार नहीं किया जाएगा। समिति को साल में कम से कम दो बार बैठक करना अनिवार्य होगा।
तकनीकी मामलों को संभालने के लिए राज्य तकनीकी सलाहकार समिति भी गठित की गई है, जिसमें कुल 11 सदस्य होंगे। इसके अलावा, प्राकृतिक और जैविक फसलों के मूल्य निर्धारण के लिए एक उच्च स्तरीय समिति भी बनाई गई है, जिसमें 14 सदस्य शामिल हैं।
यह उच्च स्तरीय समिति हर रबी और खरीफ सीजन से पहले बैठक करेगी और मूल्य नीति को और बेहतर बनाने के लिए सुझाव देगी। जरूरत पड़ने पर इस समिति में कुछ किसानों को भी शामिल किया जाएगा। गैर सरकारी सदस्यों और किसानों को बैठक में भाग लेने के लिए यात्रा भत्ता और मानदेय भी दिया जाएगा।
