हरियाणा सरकार ने राज्य में खाद (उर्वरक) के दुरुपयोग और कालाबाजारी पर अंकुश लगाने के लिए एक बड़ा और सख्त फैसला लिया है। राज्य के कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा ने घोषणा की है कि अब केवल ‘मेरी फसल-मेरा ब्यौरा’ पोर्टल पर पंजीकरण कराने वाले वास्तविक किसानों को ही खाद का वितरण किया जाएगा। यह कदम खाद के गलत हाथों में पहुंचने और बम बनाने जैसे अवैध कार्यों में इसके इस्तेमाल को रोकने के लिए उठाया गया है।
कैसे काम करेगी नई व्यवस्था?
नई व्यवस्था के तहत:
सभी पीएसीएस (PACS), सहकारी समितियों और खाद वितरण एजेंसियों को बायोमेट्रिक मशीनें प्रदान की गई हैं।
खाद खरीदने के लिए किसानों का आधार आधारित सत्यापन (Verification) इन मशीनों के जरिए अनिवार्य होगा।
केवल वही किसान खाद खरीद सकेंगे, जिनका पंजीकरण ‘मेरी फसल-मेरा ब्यौरा’ पोर्टल पर हुआ है और जिनकी जमीन का ब्यौरा सरकार के पास है।
अब केवल आधार कार्ड दिखाकर कोई भी व्यक्ति खाद नहीं खरीद सकेगा।
नियम तोड़ने वालों पर होगी सख्त कार्रवाई
कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा ने स्पष्ट किया कि नई खाद वितरण नीति का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, वितरण केंद्रों पर मशीनें चलाने वाले कर्मचारियों को विशेष प्रशिक्षण भी दिया जाएगा ताकि व्यवस्था सुचारू रूप से चल सके।
फरीदाबाद मॉड्यूल और कालाबाजारी पर सीधा प्रहार
यह फैसला खाद की कालाबाजारी और फरीदाबाद मॉड्यूल नामक तस्करी के तरीके पर सीधा प्रहार माना जा रहा है, जहां बड़ी मात्रा में खाद को अवैध रूप से हथियार बनाने या विस्फोटकों में इस्तेमाल के लिए बेचा जाता था। इस नई प्रक्रिया से सरकार को वास्तविक किसानों तक खाद की उपलब्धता सुनिश्चित करने और उसके दुरुपयोग पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी।
मंत्री राणा ने यह भी कहा कि पोर्टल पर सत्यापन होते ही किसानों को बाजरा फसल की भावांतर भरपाई जल्दी मिल जाएगी। साथ ही, वर्ष 2023 के बकाया फसल बीमा दावों का समाधान भी जल्द निकाला जाएगा।
यह कदम हरियाणा सरकार की किसान-हितैषी नीतियों को और मजबूती प्रदान करता है तथा कृषि क्षेत्र में पारदर्शिता लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।



