नारनौल में जिला प्रशासन ने ग्राम पंचायत मेघोत बिन्जा के सरपंच मनोज कुमार को गंभीर अनियमितताओं के आरोप साबित होने पर तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। यह कार्रवाई उपायुक्त कैप्टन मनोज कुमार द्वारा हरियाणा पंचायती राज अधिनियम, 1994 की धारा 51 के तहत की गई है।
यह फैसला खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी (BDPO) नांगल चौधरी द्वारा भेजी गई विस्तृत रिपोर्ट और जांच में सामने आए तथ्यों के आधार पर लिया गया।
BDPO रिपोर्ट में कई अनियमितताएँ
BDPO द्वारा 27 अगस्त 2025 को भेजी गई रिपोर्ट में सरपंच मनोज कुमार पर कई गंभीर आरोप लगाए गए थे। रिपोर्ट के अनुसार—सरपंच ने ग्राम पंचायत की पूर्व अनुमति के बिना नाजायज कब्जेदार रामनिवास द्वारा सिविल कोर्ट में दायर दावे में बयान दिए। शामलात भूमि मामलों में भी उन्होंने नियमों के विपरीत बयान देकर मामले को प्रभावित करने की कोशिश की। प्रशासन का कहना है कि सरपंच की यह कार्यशैली उनकी निष्ठा और जिम्मेदारी पर सवाल उठाती है। इन आरोपों को अत्यंत गंभीर मानते हुए डीसी ने आगे की कार्रवाई का निर्णय लिया।
एजेंडा की प्रतियां न देना, अवैध कब्जों पर कार्रवाई न करना भी आरोपों में शामिल
रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि—सरपंच ने खंड कार्यालय को एजेंडा की प्रतियां उपलब्ध नहीं करवाईं, जो पंचायत के कार्यों की पारदर्शिता पर सवाल खड़ा करता है। अवैध कब्जाधारियों को बिना पैमाइश रिपोर्ट के नोटिस जारी किए गए। लंबे समय तक अवैध कब्जों पर नियम अनुसार कार्रवाई नहीं की, जिससे उनकी कार्यशैली संदिग्ध लगी। प्रशासन ने माना कि यह सब गंभीर लापरवाही व नियमों का उल्लंघन दर्शाता है।
कारण बताओ नोटिस जारी, जवाब असंतोषजनक
आरोपों के आधार पर प्रशासन ने 2 सितंबर 2025 को सरपंच को कारण बताओ नोटिस जारी किया था।
सरपंच का जवाब 5 सितंबर को प्राप्त हुआ, लेकिन प्रशासन ने उसे असंतोषजनक माना।
उनको 27 अगस्त और 30 सितंबर 2025 को व्यक्तिगत सुनवाई का अवसर दिया गया, परंतु दोनों ही मौकों पर वे अपने पक्ष में कोई ठोस दस्तावेज़ या साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर सके।
इसके बाद प्रशासन ने निष्कर्ष निकाला कि सरपंच का पद पर बने रहना जनहित के खिलाफ है।
सरपंच निलंबित
उपायुक्त द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि सरपंच मनोज कुमार को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड किया जाता है।
साथ ही उन्हें निर्देश दिया गया है कि—
ग्राम पंचायत से संबंधित सभी चल और अचल संपत्ति
दस्तावेज़, रिकॉर्ड और अन्य सामग्री
बहुमत वाले पंच को नियमित प्रक्रिया के तहत सौंपें।
इसके अलावा, मामले की विस्तृत जांच के लिए अतिरिक्त उपायुक्त नारनौल को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है।
आदेश तत्काल लागू — गांव में नई कार्यप्रणाली शुरू
जिला प्रशासन के अनुसार यह निर्णय जनहित में लिया गया है ताकि पंचायत कार्यों में पारदर्शिता और जिम्मेदारी सुनिश्चित हो सके। आदेश तत्काल प्रभाव से लागू कर दिए गए हैं और पंचायत का चार्ज अब बहुमत वाले पंच द्वारा संभाला जाएगा।


