दिल्ली, 05 अगस्त 2025: हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तानी सैन्य ढांचे को भारी नुकसान पहुंचाने के बाद, भारतीय सशस्त्र बल अब भारत-रूस संयुक्त उद्यम ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों के लिए बड़े पैमाने पर ऑर्डर देने की तैयारी कर रहे हैं। जानकारी के मुताबिक रक्षा मंत्रालय की एक उच्च-स्तरीय बैठक जल्द ही भारतीय नौसेना के युद्धपोतों के लिए ब्रह्मोस मिसाइलों की बड़ी संख्या में खरीद को मंजूरी दे सकती है। इसके साथ ही भारतीय वायुसेना के लिए जमीन और हवा से प्रक्षेपित होने वाली इन मिसाइलों के संस्करण भी शामिल होंगे।
ऑपरेशन सिंदूर में ब्रह्मोस की भूमिका
7 मई 2025 को शुरू हुए चार दिवसीय भारत-पाकिस्तान संघर्ष में ब्रह्मोस मिसाइलों ने अहम भूमिका निभाई। इस ऑपरेशन को 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम (जम्मू-कश्मीर) में हुए आतंकी हमले के जवाब में शुरू किया गया था, जिसमें 26 नागरिक मारे गए थे। भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों के ठिकानों पर हमले किए। इस दौरान भारतीय वायुसेना ने ब्रह्मोस मिसाइलों का उपयोग कर पाकिस्तान के 11 प्रमुख हवाई अड्डों, रडार साइटों और कमांड सेंटरों को निशाना बनाया।
सूत्रों के अनुसार, 9-10 मई की रात को भारतीय वायुसेना ने 15 ब्रह्मोस मिसाइलों का उपयोग कर पाकिस्तान के रफीकी, मुरिद, नूर खान, रहीम यार खान, सुक्कुर और चुनियान जैसे हवाई अड्डों को भारी नुकसान पहुंचाया। इन हमलों में पाकिस्तान की हवाई रक्षा प्रणाली, विशेष रूप से चीन निर्मित HQ-9 मिसाइल सिस्टम, पूरी तरह विफल रही। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में ब्रह्मोस एयरोस्पेस सुविधा के उद्घाटन के दौरान कहा, “अगर आपने ब्रह्मोस की ताकत नहीं देखी, तो पाकिस्तान से पूछिए।”
ब्रह्मोस मिसाइल की खासियत
भारत और रूस के संयुक्त उद्यम ब्रह्मोस एयरोस्पेस द्वारा विकसित ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ‘फायर एंड फॉरगेट’ सिद्धांत पर काम करती है। यह मिसाइल 3 मैक की गति (ध्वनि की गति से तीन गुना तेज) तक पहुंच सकती है और 290 से 800 किलोमीटर तक की दूरी पर सटीक निशाना लगा सकती है। इसकी सटीकता (1-3 मीटर CEP) और स्टील्थ तकनीक इसे अवरोधन के लिए लगभग असंभव बनाती है। ऑपरेशन सिंदूर में इसने पाकिस्तानी हवाई अड्डों की रनवे, हैंगर और कमांड सेंटरों को नष्ट करने में अपनी प्रभावशीलता साबित की।
नौसेना और वायुसेना के लिए नया ऑर्डर
रक्षा सूत्रों के अनुसार, भारतीय नौसेना अपने वीर-श्रेणी के युद्धपोतों को ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस करेगी, जो समुद्री युद्ध में भारत की मारक क्षमता को बढ़ाएंगी। वहीं, भारतीय वायुसेना अपने रूसी मूल के सुखोई Su-30 MKI लड़ाकू विमानों को इन मिसाइलों से और सशक्त करेगी। प्रत्येक Su-30 MKI एक ब्रह्मोस मिसाइल ले जा सकता है, जिससे यह एक विमान, एक मिसाइल और एक लक्ष्य की रणनीति को प्रभावी ढंग से लागू करता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद स्वदेशी हथियारों की तारीफ करते हुए कहा, “हमारे हवाई रक्षा सिस्टम, मिसाइलों और ड्रोनों ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ की ताकत को दुनिया के सामने रखा, खासकर ब्रह्मोस मिसाइल ने।” उन्होंने अडमपुर हवाई अड्डे के दौरे के दौरान भी इसकी सराहना की।
अंतरराष्ट्रीय रुचि
ब्रह्मोस मिसाइल की सफलता ने वैश्विक स्तर पर ध्यान आकर्षित किया है। अप्रैल 2024 में फिलीपींस को 375 मिलियन डॉलर के सौदे के तहत इसकी पहली खेप दी गई थी। इंडोनेशिया और वियतनाम जैसे देश भी इस मिसाइल को खरीदने में रुचि दिखा रहे हैं। रक्षा विशेषज्ञ कर्नल राजीव अग्रवाल (सेवानिवृत्त) ने कहा, “ब्रह्मोस ने इस छोटे से संघर्ष में अपनी ताकत साबित की। इसकी सुपरसोनिक गति और सटीकता इसे वैश्विक बाजार में और लोकप्रिय बनाएगी।”
ऑपरेशन सिंदूर का प्रभाव
ऑपरेशन सिंदूर ने भारत की सैन्य रणनीति में बदलाव को दर्शाया। इसने न केवल आतंकी ठिकानों को नष्ट किया, बल्कि पाकिस्तान की सैन्य क्षमता को भी गंभीर रूप से प्रभावित किया। भारतीय सेना ने दावा किया कि उसने 600 से अधिक पाकिस्तानी ड्रोन और मिसाइलों को नष्ट किया, जिसमें तुर्की निर्मित बायकर YIHA III और असिसगार्ड सोंगार ड्रोन शामिल थे। भारत की स्वदेशी अकाशतीर और रूसी S-400 हवाई रक्षा प्रणालियों ने पाकिस्तानी हमलों को नाकाम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
ऑपरेशन सिंदूर में ब्रह्मोस मिसाइलों की सफलता ने भारत की स्वदेशी रक्षा तकनीक की ताकत को दुनिया के सामने ला दिया। रक्षा मंत्रालय अब इस मिसाइल की खरीद को और बढ़ाने की योजना बना रहा है, ताकि भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना की मारक क्षमता को और मजबूत किया जा सके। यह कदम भारत की आत्मनिर्भरता और क्षेत्रीय सुरक्षा को और सशक्त करेगा।