हरियाणा के सिरसा जिले में पराली जलाने की रोकथाम के लिए बनाए गए निगरानी तंत्र में गंभीर लापरवाही सामने आने पर प्रशासन ने कड़ा रुख अपनाया है। जिला प्रशासन ने पराली जलाने की सूचना मिलने पर मौके पर न पहुंचने के आरोप में एक पटवारी और एक पंचायत सचिव को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। इस कार्रवाई ने जिले के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच सख्त संदेश भेजा है।
क्या है पूरा मामला?
इस पूरे प्रकरण की मुख्य जानकारी निम्नलिखित तालिका में दर्शाई गई है:
जिला प्रशासन ने पराली प्रबंधन के लिए एक विस्तृत निगरानी तंत्र स्थापित किया है, जिसमें राजस्व, पंचायत सचिव, वीएलडीए और सहकारिता विभाग के कर्मचारियों एवं अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई है। इस पूरी प्रक्रिया का नेतृत्व कृषि विभाग कर रहा है। कृषि विभाग के उप निदेशक डॉ. सुखबीर सिंह के अनुसार, विभाग के पास मात्र 90 से 100 कर्मचारी थे, जबकि जिले में लगभग 800 कर्मचारियों की आवश्यकता थी। इस कमी को पूरा करने के लिए जिला उपायुक्त ने अन्य विभागों के कर्मचारी उपलब्ध करवाए हैं।

पराली जलाने के मामलों में जब अधिकारियों की टीम मौके पर पहुंचती है, तो किसानों द्वारा दिए जाने वाले तर्क हैरान कर देने वाले होते हैं। कुछ किसानों का कहना है कि “थोड़ी सी पराली थी” तो कुछ “मजदूर ने आग लगा दी, उनको पता नहीं था” जैसे तर्क देते पाए गए। हालांकि, भविष्य के लिए एक सकारात्मक पहलू यह है कि इस बार पराली की गांठों की मांग काफी बढ़ गई है। डॉ. सुखबीर के अनुसार, कई नई फैक्ट्रियां शुरू हो गई हैं और अगले साल तक इनकी खपत और बढ़ने की उम्मीद है, जिससे पराली प्रबंधन में आसानी होगी।
