शिरोमणि अकाली दल (SAD) के वरिष्ठ नेता और पंजाब के पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया की सुरक्षा को लेकर पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट में 24 अप्रैल 2025 को सुनवाई हुई। कोर्ट ने मजीठिया की Z+ सिक्योरिटी बहाल करने की मांग पर कोई गंभीरता नहीं दिखाई और फिलहाल इसे बहाल करने से इंकार कर दिया। हाई कोर्ट ने पंजाब पुलिस के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (ADGP) को मजीठिया की सुरक्षा की समीक्षा करने का आदेश दिया है। ADGP को केंद्र सरकार से भी इनपुट लेने की छूट दी गई है। कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 2 मई 2025 की तारीख तय की है। यह फैसला मजीठिया की Z+ सिक्योरिटी वापस लिए जाने के बाद आए विवाद के बीच महत्वपूर्ण है।
Z+ सिक्योरिटी वापसी का विवाद
बिक्रम सिंह मजीठिया की Z+ सिक्योरिटी 29 मार्च 2025 को अचानक वापस ले ली गई थी, जब वह परिवार के साथ दूसरे राज्य में यात्रा कर रहे थे। इस फैसले के बाद मजीठिया और SAD ने पंजाब की आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार पर तीखा हमला बोला था। मजीठिया ने एक वीडियो संदेश में मुख्यमंत्री भगवंत मान पर निशाना साधते हुए कहा था कि उनकी आवाज को दबाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने ड्रग्स मामले में गठित विशेष जांच समिति (SIT) की आलोचना की और मजाक में कहा कि SIT की अध्यक्षता खुद मान को करनी चाहिए, जिसमें AAP नेताओं विजय नायर और वैभव कुमार को शामिल करना चाहिए।
सुखबीर बादल ने लगाए गंभीर आरोप
SAD के पूर्व अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने मजीठिया की सिक्योरिटी हटाने को AAP सरकार की साजिश करार दिया। बादल ने कहा कि यह कदम SAD नेतृत्व के खिलाफ AAP के खतरनाक और घातक इरादों को दर्शाता है। उन्होंने मजीठिया को ड्रग्स मामले में झूठा फंसाने और SIT के प्रमुख को बार-बार बदलने पर भी सवाल उठाए। बादल ने दावा किया कि यह कार्रवाई उनकी हत्या के असफल प्रयास और कमजोर कानूनी कार्रवाई से जुड़ी है, जिसे उन्होंने दिसंबर 2024 में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर के बाहर हुए हमले से जोड़ा। बादल ने AAP सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल और मुख्यमंत्री भगवंत मान को सीधे जिम्मेदार ठहराया।
ADGP को सुरक्षा समीक्षा की जिम्मेदारी
हाई कोर्ट ने ADGP (सुरक्षा) को मजीठिया की सुरक्षा की स्थिति की विस्तृत समीक्षा करने का निर्देश दिया है। ADGP को केंद्र सरकार और अन्य खुफिया एजेंसियों से खतरे की आशंका पर इनपुट लेने की अनुमति दी गई है। पंजाब के पुलिस महानिदेशक (DGP) को इस समीक्षा की प्रगति और निष्कर्षों की जानकारी हाई कोर्ट को देनी होगी। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि समीक्षा के आधार पर ही मजीठिया की सुरक्षा पर कोई नया फैसला लिया जाएगा।
ड्रग्स मामले में SIT का नया मोड़
मजीठिया के खिलाफ 2021 में नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (NDPS) एक्ट के तहत दर्ज ड्रग्स मामले में नई SIT का गठन चर्चा में रहा। नई SIT की अध्यक्षता अब सहायक महानिरीक्षक (प्रोविजनिंग) वरुण शर्मा कर रहे हैं, जिन्होंने डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल एचएस भुल्लर की जगह ली। मजीठिया ने इसे AAP सरकार की साजिश का हिस्सा बताया और कहा कि उनकी आवाज को दबाने के लिए बार-बार SIT बदली जा रही है। मजीठिया को इस मामले में अगस्त 2022 में पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट से जमानत मिली थी, जब कोर्ट ने कहा था कि उनके खिलाफ अपराध सिद्ध होने के पर्याप्त आधार नहीं हैं।
मजीठिया की सियासी अहमियत
बिक्रम सिंह मजीठिया SAD के फायरब्रांड नेता माने जाते हैं और पंजाब की सियासत में उनकी मजबूत पकड़ है। वह सुखबीर सिंह बादल के साले और पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल के भाई हैं। मजीठिया ने मजीठा विधानसभा सीट से तीन बार जीत हासिल की, हालांकि 2022 में वह अमृतसर पूर्व सीट से हार गए थे। उनकी पत्नी गनीव कौर मजीठिया वर्तमान में मजीठा से SAD की विधायक हैं। मजीठिया की सिक्योरिटी वापसी और हाई कोर्ट का फैसला पंजाब की सियासत में चर्चा का विषय बना हुआ है।
पंजाब में सियासी तनाव
मजीठिया की सिक्योरिटी वापसी और हाई कोर्ट की सुनवाई ने पंजाब में सियासी तनाव को और बढ़ा दिया है। SAD और AAP के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है। SAD प्रवक्ता दलजीत सिंह चीमा ने सिक्योरिटी हटाने को सिद्धू मूसेवाला की हत्या से जोड़ते हुए इसे बदले की कार्रवाई बताया। वहीं, कांग्रेस विधायक सुखपाल सिंह खैरा ने भी इस फैसले की आलोचना की और कहा कि व्यक्तिगत दुश्मनी के आधार पर सिक्योरिटी हटाना गलत है।
आगे क्या?
हाई कोर्ट की अगली सुनवाई 2 मई 2025 को होगी, जिसमें ADGP की समीक्षा रिपोर्ट अहम होगी। तब तक मजीठिया को एक सिक्योरिटी गार्ड के साथ ही रहना होगा। मजीठिया ने कहा कि वह सिक्योरिटी हटने से नहीं डरते और जनता के मुद्दे उठाते रहेंगे। यह मामला पंजाब की सियासत में SAD और AAP के बीच टकराव को और तेज करने वाला है।