दिल्ली, 05 अगस्त 2025: जम्मू-कश्मीर, गोवा, बिहार और मेघालय के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का मंगलवार दोपहर को दिल्ली के राम मनोहर लोहिया (RML) अस्पताल में निधन हो गया। 79 वर्षीय मलिक लंबे समय से किडनी की बीमारी, मधुमेह, और उच्च रक्तचाप से पीड़ित थे। उनकी हालत पिछले कुछ महीनों से गंभीर बनी हुई थी, और वह मई 2025 से RML अस्पताल में भर्ती थे। मलिक ने दोपहर करीब 1 बजे अंतिम सांस ली।
स्वास्थ्य और अस्पताल में भर्ती
सत्यपाल मलिक को 11 मई 2025 को RML अस्पताल में भर्ती किया गया था, जब उन्हें यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन और सेप्सिस का पता चला था। बाद में उनकी दोनों किडनियां पूरी तरह खराब हो गईं, और वह डायलिसिस पर थे। जून 2025 में उनकी हालत और बिगड़ गई, जिसके बाद उन्हें ICU में भर्ती किया गया। 8 जून को मलिक ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर अपनी गंभीर हालत की जानकारी साझा की थी और कहा था, “मैं कई लोगों के फोन नहीं उठा पा रहा हूं। मेरी हालत बहुत गंभीर है।”
राजनीतिक सफर
सत्यपाल मलिक का जन्म 24 जुलाई 1946 को उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के हिसावदा गांव में एक जाट परिवार में हुआ था। उन्होंने मेरठ विश्वविद्यालय से बीएससी और एलएलबी की डिग्री हासिल की थी। 1968-69 में मलिक मेरठ विश्वविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष चुने गए, जिससे उनका राजनीतिक करियर शुरू हुआ। वह 1974-77 तक उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य रहे और 1980-89 तक राज्यसभा सांसद रहे। 1989-91 में वह जनता दल के टिकट पर अलीगढ़ से 9वीं लोकसभा के लिए चुने गए।
मलिक ने 2017-18 में बिहार के राज्यपाल के रूप में कार्य किया, और 2018 में उन्हें जम्मू-कश्मीर का राज्यपाल नियुक्त किया गया। उनके कार्यकाल के दौरान 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया गया। बाद में वह गोवा (2019-20) और मेघालय (2020-22) के राज्यपाल रहे। वह अपनी बेबाक टिप्पणियों और सरकार की नीतियों की आलोचना के लिए जाने जाते थे।
विवाद और CBI जांच
मलिक अपने कार्यकाल के बाद कई विवादों में रहे। 2021 में उन्होंने दावा किया कि जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के रूप में उन्हें दो फाइलों को मंजूरी देने के लिए 300 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की गई थी, जिसमें एक फाइल अनिल अंबानी की रिलायंस जनरल इंश्योरेंस से जुड़ी थी। उन्होंने किरु हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट (2,200 करोड़ रुपये) में भ्रष्टाचार का भी आरोप लगाया।
मई 2025 में CBI ने मलिक और छह अन्य लोगों के खिलाफ किरु प्रोजेक्ट में कथित भ्रष्टाचार के लिए चार्जशीट दाखिल की थी। मलिक ने इसे “राजनीतिक साजिश” बताया और कहा कि वह खुद इस मामले में भ्रष्टाचार का खुलासा करने वाले थे। उनकी गिरफ्तारी से पहले ही उनकी तबीयत बिगड़ गई, और वह अस्पताल में भर्ती हो गए।
नेताओं की प्रतिक्रिया
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मई 2025 में RML अस्पताल में मलिक से मुलाकात की थी और उनकी सेहत की जानकारी ली थी। गांधी ने X पर लिखा था, “मैं सत्यपाल मलिक जी के साथ सच्चाई की इस लड़ाई में खड़ा हूं।” मलिक की मृत्यु की खबर के बाद कई नेताओं ने शोक व्यक्त किया। विपक्षी नेताओं ने उनके निधन को “सच्चाई के लिए लड़ने वाले योद्धा की हानि” बताया, जबकि कुछ ने उनके बेबाक रवैये की सराहना की।
निधन की अफवाहें और खंडन
जुलाई 2025 में मलिक के निधन की अफवाहें फैली थीं, जिनका उनके निजी सचिव ने खंडन किया था। 9 जुलाई को उनके सचिव ने कहा था कि मलिक जीवित हैं और इलाज चल रहा है। हालांकि, 5 अगस्त को उनकी मृत्यु की पुष्टि उनके आधिकारिक X अकाउंट से की गई: “पूर्व गवर्नर चौधरी सत्यपाल सिंह मलिक जी नहीं रहे।”
सत्यपाल मलिक का निधन भारतीय राजनीति में एक युग का अंत माना जा रहा है। वह अपने साहसी और बेबाक बयानों के लिए हमेशा याद किए जाएंगे। उनके निधन से किसान आंदोलन, पुलवामा हमले पर उनकी टिप्पणियों, और भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी लड़ाई को लेकर चर्चाएं फिर शुरू हो गई हैं। मलिक ने अपने 50 साल के राजनीतिक करियर में कई महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाईं और हमेशा जनता के हितों की वकालत की।