हरियाणा: हरियाणा सरकार ने पराली जलाने की समस्या को रोकने और किसानों को जागरूक करने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। राज्य के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की विशेष टीमें अब प्रतिदिन गांव-गांव पहुंचकर किसानों को पराली न जलाने और फसल अवशेषों के प्रबंधन के लिए प्रेरित कर रही हैं।
पराली जलाने से होती है भूमि को नुकसान
कृषि विभाग के उप निदेशक डॉ. सुखदेव सिंह ने बताया कि पराली जलाने से भूमि की उर्वरा शक्ति कमजोर होती है और भूमि में मौजूद फायदेमंद मित्र कीट नष्ट हो जाते हैं। उन्होंने किसानों से अपील की कि वे धान के फसल अवशेषों का सदुपयोग करें। इन अवशेषों से पशुओं के लिए पौष्टिक चारा बनाया जा सकता है और उचित प्रबंधन करके अतिरिक्त आय भी अर्जित की जा सकती है।
1200 रुपये प्रति एकड़ का प्रोत्साहन
हरियाणा सरकार किसानों को पराली प्रबंधन के लिए सीधे वित्तीय सहायता भी दे रही है। फसल अवशेष प्रबंधन योजना के तहत, पराली न जलाने वाले किसानों को प्रति एकड़ 1200 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों को पराली जलाने के बजाय उसके वैज्ञानिक प्रबंधन के लिए प्रोत्साहित करना है, ताकि पर्यावरण को होने वाले नुकसान को रोका जा सके।
पराली की गांठे बनाकर कमाएं अतिरिक्त आय
किसान पराली की गांठे बनाकर भी अच्छी अतिरिक्त आमदनी प्राप्त कर सकते हैं। इससे न सिर्फ उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी मदद मिलेगी। विभाग की टीमें किसानों को बता रही हैं कि पराली को खेत में ही मिला देने से यह जैविक खाद का काम करती है और मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में कारगर साबित होती है।
पराली जलाने पर लगेगा भारी जुर्माना
सरकार ने पराली जलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का भी ऐलान किया है। नियमों के अनुसार:
एक एकड़ तक की जमीन पर पराली जलाने पर 5,000 रुपये का जुर्माना।
दो से पांच एकड़ तक की जमीन पर 10,000 रुपये प्रति घटना का जुर्माना।
पांच एकड़ से अधिक जमीन पर 30,000 रुपये प्रति घटना का जुर्माना लगेगा और संबंधित के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी।
यह फैसला राज्य में बढ़ते प्रदूषण और पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए लिया गया है। इसके तहत किसानों को जागरूक करने और पराली के प्रबंधन के लिए प्रोत्साहित करने का काम किया जा रहा है।
