चंडीगढ़: पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने चंडीगढ़ के सर्व शिक्षा अभियान (SSA) के तहत 2005 से कार्यरत शिक्षकों के लिए ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए उन्हें नियमित करने का रास्ता साफ कर दिया है। जस्टिस जगमोहन बांसल की एकल पीठ ने स्पष्ट किया कि इन शिक्षकों की भर्ती पूरी नियमित प्रक्रिया के बाद हुई थी और उन्हें “कॉन्ट्रैक्ट” का नाम देकर लंबे समय तक शोषित नहीं किया जा सकता।
“कॉन्ट्रैक्ट का नाम देकर शोषण नहीं”
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि ये शिक्षक “बैकडोर एंट्री” वाले कर्मचारी नहीं हैं, बल्कि इनकी भर्ती विज्ञापन, लिखित परीक्षा, इंटरव्यू और पुलिस वेरिफिकेशन जैसी पूरी प्रक्रिया के बाद हुई थी। अदालत ने केंद्र सरकार के उस तर्क को खारिज कर दिया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के उमा देवी फैसले का हवाला देते हुए कहा गया था कि इन शिक्षकों को नियमित नहीं किया जा सकता। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि उमा देवी का फैसला इस मामले पर लागू नहीं होता।
20 साल से दे रहे हैं सेवा
अदालत ने इस तथ्य पर विशेष जोर दिया कि अधिकांश SSA शिक्षक 20 साल से अधिक समय से लगातार सेवा दे रहे हैं और सरकारी स्कूलों में नियमित शिक्षकों की तरह ही काम कर रहे हैं। ऐसे में उन्हें केवल “कॉन्ट्रैक्ट” का नाम देकर अनिश्चितता में नहीं रखा जा सकता।
6 सप्ताह के भीतर जारी करने होंगे आदेश
हाईकोर्ट ने चंडीगढ़ प्रशासन को 6 सप्ताह के भीतर सभी ऐसे शिक्षकों को नियमित करने के आदेश जारी करने का निर्देश दिया है, जिनकी सेवा 10 साल से अधिक हो चुकी है और जिनकी नियुक्ति विधिवत चयन प्रक्रिया से हुई थी। अदालत ने कहा कि यदि प्रशासन इस अवधि में आदेश जारी नहीं करता, तो ये शिक्षक स्वतः ही नियमित माने जाएंगे।
यह फैसला लगभग 1375 SSA शिक्षकों के जीवन में स्थिरता लाएगा और सरकारी विभागों में लंबे समय से चले आ रहे ऐसे ही अन्य कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण मिसाल कायम करेगा।
