ग्राज़ : ऑस्ट्रिया के दूसरे सबसे बड़े शहर ग्राज़ में मंगलवार सुबह एक स्कूल में गोलीबारी की दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। ग्राज़ के ड्रियर्शुटजेंगासे इलाके में स्थित BORG हाई स्कूल में सुबह 10 बजे (स्थानीय समय) गोलियाँ चलने की खबर के बाद हड़कंप मच गया। स्थानीय पुलिस और विशेष बलों ने तुरंत मौके पर पहुँचकर इलाके को घेर लिया। ऑस्ट्रिया के आंतरिक मंत्रालय ने पुष्टि की है कि इस हमले में कई लोगों की मौत हो चुकी है, जिसमें सात छात्र और एक वयस्क शामिल हैं। ग्राज़ की मेयर एल्के कहर ने बताया कि हमलावर ने खुद को भी मार लिया है।
घटना का विवरण
पुलिस के अनुसार, सुबह 10 बजे स्कूल से गोलियों की आवाजें सुनाई दीं, जिसके बाद ऑस्ट्रिया की विशेष पुलिस इकाई कोबरा (COBRA) सहित भारी पुलिस बल को तैनात किया गया। स्थानीय अखबार क्रोनें ज़ाइटुंग के मुताबिक, हमलावर ने स्कूल की दो कक्षाओं में अंधाधुंध गोलीबारी की। एक चश्मदीद ने बताया कि उसने करीब 20 गोलियाँ चलने की आवाज सुनी। मेयर एल्के कहर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि इस हमले में कुल नौ लोग मारे गए हैं, और 28 से ज्यादा लोग घायल हैं, जिनमें से चार की हालत गंभीर है। घायलों को नजदीकी हेल्मुट लिस्ट हॉल और अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।
पुलिस का ऑपरेशन
पुलिस ने स्कूल को खाली करा लिया है और स्थिति को नियंत्रण में बताया है। स्टायरिया राज्य की पुलिस ने कहा कि अब कोई खतरा नहीं है। अभिभावकों के लिए एक मीटिंग पॉइंट अस्को स्टेडियम में बनाया गया है, जहाँ वे अपने बच्चों से मिल सकते हैं। ऑपरेशन में हेलिकॉप्टर की भी मदद ली जा रही है। ऑस्ट्रिया के आंतरिक मंत्री गेरहार्ड कार्ने घटनास्थल पर पहुँच रहे हैं, और चांसलर क्रिश्चियन स्टॉकर ने अपने सभी कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं।
हमलावर की जानकारी
रिपोर्ट्स के मुताबिक, हमलावर स्कूल का ही एक छात्र था, जिसने हमले के बाद स्कूल के टॉयलेट में खुद को गोली मार ली। पुलिस ने अभी उसकी पहचान या हमले के मकसद की पुष्टि नहीं की है।
पहले भी हो चुकी है ऐसी घटना
ग्राज़ में 2015 में एक बड़ा हमला हुआ था, जिसमें एक शख्स ने गाड़ी से लोगों को कुचलकर तीन लोगों की जान ले ली थी और कई को घायल कर दिया था। उस हमले की 10वीं बरसी से ठीक पहले यह घटना हुई है।
यह घटना ऑस्ट्रिया के इतिहास में सबसे घातक स्कूल गोलीबारी में से एक है। पुलिस और प्रशासन इस मामले की गहन जाँच कर रहे हैं। इस दुखद घटना ने स्कूलों में सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर बहस को फिर से तेज कर दिया है।