
एक्ट्रेस समांथा रुथ प्रभु रचाई इस विधि से शादी
Bhuta Shuddhi Vivaha, (द भारत ख़बर), नई दिल्ली: एक्ट्रेस समांथा रुथ प्रभु के फैंस के लिए गुड न्यूज है। उन्होंने तलाक के 4 साल के बाद अपने बॉयफ्रेंड राज निदिमोरू से शादी की है। अभिनेत्री ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर अपनी इंटीमेट शादी की तस्वीरें शेयर कीं। सामंथा रुथ प्रभु और फिल्म निर्माता राज निदिमोरू सोमवार सुबह कोयंबटूर स्थित ईशा योग केंद्र में लिंग भैरवी देवी के समक्ष भूत शुद्धि विवाह के जरिए शादी रचाई।
इस दौरान उनके करीबी दोस्त और परिवार शामिल रहा। समांथा रुथ प्रभु ने अपनी शादी के लिए प्राचीन पद्धति अपनाई, जिससे लोगों में जानने की उत्सुकता है कि आखिर भूत शुद्धि विवाह क्या है। आइए जानते हैं।
भूत शुद्धि विवाह क्या है?
भूत शुद्धि विवाह एक प्राचीन योगिक प्रक्रिया है, जिसमें विवाह के पवित्र बंधन से पहले जोड़े के शरीर के पांच तत्वों यानी पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश को शुद्ध किया जाता है। इस परंपरा का उद्देश्य दंपत्ति के बीच एक गहरा और दिव्य संबंध स्थापित करना है, जो उन्हें मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक रूप से शुद्ध करता है। भूत शुद्धि विवाह ईशा फाउंडेशन द्वारा प्रस्तुत एक विवाह अनुष्ठान है।
भूत शुद्धि विवाह की प्रक्रिया
- पांच तत्वों की शुद्धि: इस विवाह प्रक्रिया में शरीर के पांच तत्वों पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश को शुद्ध किया जाता है।
- गहरा बंधन: यह प्राचीन प्रक्रिया दंपत्ति को तात्विक स्तर पर एक-दूसरे से गहरे ढंग से जुड़ने में मदद करती है।
- योगिक परंपरा: यह एक योगिक पद्धति पर आधारित अनुष्ठान है, जिसे सद्गुरु द्वारा डिजाइन किया गया है।
- देवी लिंग भैरवी का आशीर्वाद: इस विवाह को देवी लिंग भैरवी के आशीर्वाद से संपन्न किया जाता है।
- आध्यात्मिक लाभ: यह प्रक्रिया जोड़े को मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक रूप से शुद्ध करती है, जिससे दंपति का वैवाहिक जीवन सुखी और समृद्ध बनता है।
- अनुष्ठान: इस अनुष्ठान में मंत्रोच्चार, पवित्र अग्नि की परिक्रमा और अन्य विशेष तात्विक मंत्रों के साथ अनुष्ठान शामिल होते हैं।
लिंग भैरवी देवी कौन हैं?
लिंग भैरवी देवी, सद्गुरु द्वारा स्थापित एक शक्तिशाली देवी स्वरूप हैं, जो स्त्री ऊर्जा का प्रचंड और करुणामयी रूप मानी जाती हैं। उन्हें सृष्टि और रहस्य का द्वार माना जाता है, जो भक्तों को भौतिक और आध्यात्मिक दोनों तरह से जीवन में संभावनाओं को खोलने में मदद करती हैं।
हल्दी का मंगलसूत्र
भूत शुद्धि विवाह के इसके बाद दंपति अपने रीति-रिवाज के अनुरूप भी विवाह कर सकते हैं। इस विवाह में हर तत्व के लिए एक यानी पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि और आकाश के लिए पांच फेरे होते हैं। पांच फेरों के बाद लिंग भैरवी देवी का पेडेंट और हल्दी का मंगलसूत्र पहनाया जाता है। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान तात्विक मंत्रोच्चारण किया जाता है।
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