चंडीगढ़: हरियाणा के शहरी निवासियों के लिए एक बड़ी खबर है। सरकार ने नगर निगम क्षेत्रों में पेयजल और सीवरेज की दरों में भारी बढ़ोतरी करने का फैसला किया है। 1 नवंबर, 2025 से गुरुग्राम, फरीदाबाद, सोनीपत और पानीपत समेत राज्य के प्रमुख शहरों में पानी के बिल लगभग दोगुने हो जाएंगे। सरकार का कहना है कि यह कदम नई पेयजल और सीवरेज लाइनों की लागत वसूलने और 24 घंटे जलापूर्ति सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।
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घरेलू उपभोक्ताओं पर कितना बढ़ेगा बोझ?
नई दरों के तहत घरेलू उपभोक्ताओं की जेब पर सीधा असर पड़ेगा। गुरुग्राम नगर निगम द्वारा जारी की गई नई दरों के अनुसार, पानी की खपत पर लगभग 60% तक की बढ़ोतरी की गई है।
पानी की दरें: पहले जहां 20 किलोलीटर (2,000 लीटर) तक पानी के उपयोग पर ₹6.38 प्रति किलोलीटर का शुल्क लगता था, वहीं अब यह बढ़कर ₹10.21 प्रति किलोलीटर हो गया है।
अधिक खपत पर ज्यादा बिल: जो उपभोक्ता 4,000 लीटर से अधिक पानी का उपयोग करते हैं, उन्हें अब ₹12.76 प्रति किलोलीटर की दर से भुगतान करना होगा।
बकाया वसूली: गुरुग्राम में नगर निगम 2020 से लंबित 5% वार्षिक वृद्धि को भी एरियर के रूप में वसूलेगा, जिससे बिलों में और वृद्धि होगी।

कॉमर्शियल कनेक्शन और सीवरेज चार्ज में भी वृद्धि
यह बढ़ोतरी सिर्फ घरेलू उपभोक्ताओं तक सीमित नहीं है। कॉमर्शियल और बल्क कनेक्शन धारकों को भी अब ज्यादा बिल चुकाना होगा।
नया सीवरेज शुल्क: सबसे महत्वपूर्ण बदलाव सीवरेज शुल्क में किया गया है। अब पानी के बिल के साथ ₹250 का अतिरिक्त निश्चित सीवरेज चार्ज भी देना होगा, भले ही पानी का बिल कितना भी कम क्यों न हो।
सरकार ने क्यों बढ़ाए दाम?
सरकार और नगर निगम अधिकारियों का कहना है कि यह फैसला मजबूरी में लिया गया है और इसके पीछे कई कारण हैं:
लागत वसूली: नई पाइपलाइन बिछाने, पुराने नेटवर्क के रखरखाव और आधुनिकीकरण की लागत में काफी वृद्धि हुई है।
वित्तीय मजबूती: इस बढ़ोतरी से नगर निगमों की वित्तीय स्थिति मजबूत होगी, जिससे वे बेहतर सेवाएं दे पाएंगे।
24/7 जलापूर्ति: सरकार का लक्ष्य हर घर को चौबीसों घंटे स्वच्छ और मीठा पानी उपलब्ध कराना है, जिसके लिए बुनियादी ढांचे को अपग्रेड करना आवश्यक है।
जनता में नाराजगी
इस फैसले को लेकर लोगों में भारी नाराजगी है। नागरिकों का कहना है कि वे पहले से ही महंगाई की मार झेल रहे हैं, ऐसे में पानी जैसी बुनियादी जरूरत की कीमत दोगुनी करना उनके बजट को पूरी तरह से बिगाड़ देगा। हालांकि, अधिकारियों का दावा है कि यह एक अल्पकालिक बोझ है, लेकिन इससे भविष्य में बेहतर और निर्बाध जलापूर्ति सुनिश्चित होगी।
