चंडीगढ़: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले (22 अप्रैल 2025) के बाद कश्मीरी छात्रों के लिए नई मुसीबतें खड़ी हो गई हैं। चंडीगढ़ के डेराबस्सी में यूनिवर्सल ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के हॉस्टल में कश्मीरी छात्रों पर क्रूर हमले की घटना ने देश को झकझोर दिया है। 23 अप्रैल 2025 की रात 12:30 बजे कुछ स्थानीय और बिहार के छात्रों ने हॉस्टल में घुसकर 100 से अधिक कश्मीरी छात्रों को निशाना बनाया। हमलावरों ने धारदार हथियारों से हमला किया, छात्रों के कपड़े फाड़े, और बेरहमी से पिटाई की, जिससे 3 छात्र गंभीर रूप से घायल हो गए। इस घटना ने कॉलेज प्रशासनऔर पंजाब पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। जम्मू-कश्मीर स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान से तत्काल हस्तक्षेप और सख्त कार्रवाई की मांग की है।
मामूली कहासुनी से शुरू हुआ विवाद, रात में बनी हिंसा
घटना की शुरुआत 23 अप्रैल 2025 को दिन में कॉलेज ग्राउंड में हुई, जहां खेल के दौरान कश्मीरी और बिहारी छात्रों के बीच मामूली कहासुनी हुई। यह विवाद रात में हिंसक रूप ले लिया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, 15-20 हमलावर रात 12:30 बजे हॉस्टल में जबरन घुसे। उन्होंने कश्मीरी छात्रों को उनके कमरों से बाहर खींचा, गालियां दीं, और धारदार हथियारों से हमला किया। एक छात्र ने बताया, “हमलावर चिल्ला रहे थे कि ‘पहलगाम हमले का बदला लेंगे’। हमारे कपड़े फाड़ दिए और बेल्ट-डंडों से पीटा।” 3 छात्रों को सिर और सीने में गंभीर चोटें आईं, जिन्हें DMC हॉस्पिटल, लुधियाना में भर्ती कराया गया।
कॉलेज प्रशासन और सुरक्षा की नाकामी
यूनिवर्सल ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस में 100 से अधिक कश्मीरी छात्र पढ़ते हैं, जो अब भय और असुरक्षा के माहौल में हैं। छात्रों का आरोप है कि कॉलेज प्रशासन और सुरक्षा गार्ड पूरी तरह निष्क्रिय रहे। एक छात्र ने कहा, “हमने सुरक्षा गार्ड को मदद के लिए बुलाया, लेकिन वे भाग गए। कॉलेज प्रशासन ने हमें अकेला छोड़ दिया।” हॉस्टल वार्डन ने भी कोई हस्तक्षेप नहीं किया। जम्मू-कश्मीर स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने कॉलेज के सिक्योरिटी प्रोटोकॉल पर सवाल उठाते हुए कहा, “यह लापरवाही अस्वीकार्य है। कश्मीरी छात्रों को जानबूझकर निशाना बनाया गया।”
पंजाब पुलिस की निष्क्रियता, कोई FIR दर्ज नहीं
छात्रों ने तुरंत लालडू थाने को सूचना दी, लेकिन पंजाब पुलिस की ओर से कोई त्वरित कार्रवाई नहीं हुई। थाना प्रभारी आकाशदीप शर्मा ने बताया कि घटना की जांच शुरू हो गई है, लेकिन 24 अप्रैल 2025 तक कोई FIR दर्ज नहीं हुई। शर्मा ने कहा, “यह दिन में हुई कहासुनी का परिणाम था। हम दोनों पक्षों से बात कर रहे हैं।” छात्रों ने पुलिस की इस प्रतिक्रिया को ढीला-ढाला करार दिया। एक छात्र ने कहा, “पुलिस हमें ही उल्टा सवाल कर रही है कि विवाद क्यों शुरू किया। यह अन्याय है।” सामाजिक संगठनों ने पुलिस की निष्क्रियता की कड़ी निंदा की है।
भगवंत मान से हस्तक्षेप की अपील
जम्मू-कश्मीर स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान से अपील की है कि वे इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करें। एसोसिएशन ने मांग की कि:
हमलावरों के खिलाफ IPC की धारा 323, 341, 506, 509 और SC/ST एक्ट के तहत तुरंत FIR दर्ज हो।
कॉलेज प्रशासन और सुरक्षा कर्मियों की जवाबदेही तय की जाए।
पंजाब में पढ़ने वाले 20,000 से अधिक कश्मीरी छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित हो।
हॉस्टल में CCTV और 24×7 सशस्त्र गार्ड की तैनाती हो।
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने 24 अप्रैल 2025 को X पर लिखा, “पंजाब में पढ़ने वाले कश्मीरी छात्र हमारे अपने हैं। उनकी सुरक्षा सरकार की प्राथमिकता है। मैंने DGP पंजाब को तुरंत जांच और कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।” मान ने चंडीगढ़ में उच्च स्तरीय बैठक बुलाकर पुलिस महानिदेशक गौरव यादव और SSP मोहाली हरविंदर सिंह विर्क से मामले की समीक्षा की।
पहलगाम हमले का असर: कश्मीरी छात्रों पर बढ़ा खतरा
पहलगाम आतंकी हमले (22 अप्रैल 2025) में 28 पर्यटकों की हत्या के बाद देश में कश्मीरी छात्रों के खिलाफ तनाव बढ़ गया है। डेराबस्सी की घटना को कई लोग पहलगाम हमले से जोड़कर देख रहे हैं। हमलावरों ने कथित तौर पर “कश्मीरी आतंकी” जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया, जिससे यह सांप्रदायिक हिंसा का मामला बन गया। कश्मीर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. सिद्दीक वाहिद ने कहा, “कश्मीरी छात्रों को निशाना बनाना निंदनीय है। यह सामाजिक एकता को कमजोर करता है।” नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने X पर लिखा, “पंजाब सरकार को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए। कश्मीरी छात्रों की सुरक्षा अहम है।”
कॉलेज में भय का माहौल, अभिभावकों में गुस्सा
यूनिवर्सल ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस में अब भय और असुरक्षा का माहौल है। कई अभिभावकों ने अपने बच्चों को वापस जम्मू-कश्मीर बुलाने का फैसला किया है। श्रीनगर के एक अभिभावक ने कहा, “हमने अपने बेटे को पढ़ाई के लिए चंडीगढ़ भेजा था, न कि हिंसा का शिकार होने के लिए। कॉलेज और पुलिस की लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी।” छात्रों ने कॉलेज प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन की चेतावनी दी है, अगर 48 घंटे में कार्रवाई नहीं हुई।
सोशल मीडिया पर आक्रोश
X पर इस घटना को लेकर गुस्सा साफ दिख रहा है। एक यूजर ने लिखा, “डेराबस्सी में कश्मीरी छात्रों पर हमला शर्मनाक है। पंजाब पुलिस और कॉलेज प्रशासन सो रहे हैं।” (@KashmirVoice) एक अन्य पोस्ट में कहा गया, “पहलगाम हमले का गुस्सा कश्मीरी छात्रों पर निकालना गलत है। भगवंत मान जी, तुरंत एक्शन लें।” (@Justice4Students) कुछ यूजर्स ने कॉलेज प्रशासन को हॉस्टल सिक्योरिटी बढ़ाने की सलाह दी।
सरकार और पुलिस के लिए सुझाव
तत्काल FIR: हमलावरों के खिलाफ IPC और SC/ST एक्ट के तहत केस दर्ज हो।
सुरक्षा बढ़ाएं: सभी कॉलेज हॉस्टलों में CCTV, बायोमेट्रिक एंट्री, और सशस्त्र गार्ड तैनात हों।
संवेदनशीलता प्रशिक्षण: पुलिस और कॉलेज स्टाफ के लिए सांप्रदायिक सद्भाव पर वर्कशॉप आयोजित हों।
हेल्पलाइन: कश्मीरी छात्रों के लिए 24×7 हेल्पलाइन शुरू हो।
पंजाब सरकार ने कश्मीरी छात्रों की सुरक्षा के लिए हेल्पलाइन नंबर (+91-172-2210011) और ईमेल (kashmirihelpline@punjab.gov.in) जारी किया है। छात्रों से अपील है कि वे किसी भी घटना की जानकारी तुरंत साझा करें।
कश्मीरी छात्रों की सुरक्षा: एक राष्ट्रीय मुद्दा
पंजाब में 20,000 से अधिक कश्मीरी छात्र विभिन्न कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में पढ़ते हैं। डेराबस्सी की घटना ने कश्मीरी छात्रों की सुरक्षा को राष्ट्रीय मुद्दा बना दिया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी इस मामले का संज्ञान लिया है और पंजाब सरकार से 48 घंटे में रिपोर्ट मांगी है। मानवाधिकार संगठनों ने इस हमले को सांप्रदायिक हिंसा का मामला बताते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) में शिकायत दर्ज की है।
डेराबस्सी में कश्मीरी छात्रों पर हमला न केवल एक स्थानीय घटना है, बल्कि यह सामाजिक एकता और राष्ट्रीय अखंडता पर सवाल उठाता है। पंजाब सरकार और कॉलेज प्रशासन को तुरंत कदम उठाने होंगे, ताकि कश्मीरी छात्र सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन जी सकें। ताजा अपडेट्स के लिए पंजाब पुलिस और जम्मू-कश्मीर स्टूडेंट्स एसोसिएशन के आधिकारिक चैनल्स फॉलो करें।