दिल्ली : दिल्ली हाई कोर्ट ने शादी का वादा कर एक महिला से रेप के मामले में आरोपी एम्स के एक डॉक्टर को जमानत दे दी. अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया पता चलता है कि आरोपी और महिला सहमति से सह जीवन साथी थे. जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहीं जस्टिस शैलेंद्र कौर ने कहा कि महिला ने बाकि लोगों के खिलाफ भी इसी तरह के अपराधों के लिए प्राथमिकी दर्ज कराई थी और जबरन वसूली सहित कुछ मामले भी उसके खिलाफ दर्ज किए गए हैं.
हाीकोर्ट ने कहा, ‘‘गौरतलब है कि याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत को यह भी बताया कि पीड़िता ने वर्तमान मामले के समान ही अन्य अपराधों की प्राथमिकी अन्य व्यक्तियों के खिलाफ भी दर्ज कराई है और उसके खिलाफ भी कुछ प्राथमिकी दर्ज की गई हैं.’’
महिला के खिलाफ जबरन वसूली का मामला
महिला के खिलाफ जबरन वसूली का मामला दर्ज किया गया था, जिसमें उस पर एक व्यक्ति और उसके परिवार से रुपए ऐंठने और उन्हें आपराधिक मामलों में फंसाने की धमकी देने का आरोप लगाया गया था.
‘जटिल तथ्यों का ताना बाना नजर आता है’
अदालत ने 30 मई के अपने आदेश में कहा कि, ‘‘इस अदालत के समक्ष प्रस्तुत सामग्री से जो बात उभर कर आई है, उसमें जटिल तथ्यों का ताना बाना नजर आता है. ऐसे में याचिकाकर्ता (डॉक्टर) और अभियोक्ता के बीच संबंधों की प्रकृति के बारे में विरोधाभासी बातों को सावधानीपूर्वक तोला जाना चाहिए.’’
15 दिन तक डॉक्टर के साथ रही महिला
जानकारी के मुताबिक महिला शिक्षित है, वो पहले से शादीशुदा है और उसका एक बच्चा भी है. बच्चा ‘दिव्यांग’ है. ये भी पता चला कि वह 15 दिन तक डॉक्टर और उसके परिवार के साथ रही थी.
पुलिस को सूचना नहीं दी
कोर्ट ने कहा कि, ‘‘रिकॉर्ड से यह स्पष्ट है कि याचिकाकर्ता पर दिसंबर 2024 की शुरुआत में उसका यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाने के बावजूद अभियोक्ता ने पुलिस को किसी भी घटना की सूचना नहीं दी और इसके लिए कोई स्पष्टीकरण भी नहीं दिया गया कि वास्तव में अभियोक्ता उसके साथ ही रह रही थी.’’
डॉक्टर के परिवार को सूचित नहीं किया
यह भी रिकॉर्ड में आया है कि महिला ने कथित जबरन यौन उत्पीड़न के बारे में डॉक्टर के परिवार को सूचित नहीं किया. अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि डॉक्टर ने शादी का झूठा आश्वासन दिया था, लेकिन उसके वकील ने इसे सहमति से बना सहजीवनसाथी संबंध बताया और कहा कि शादी का कोई वादा कभी नहीं किया गया था.
दोनों की चैट के स्क्रीनशॉट प्रेम का संकेत
ऑर्डर में कहा गया है, ‘‘व्हाट्सऐप चैट के स्क्रीनशॉट, यात्रा की योजना, साझा की गई तस्वीरें और अन्य सामग्री प्रथमदृष्टया दोनों के बीच प्रेम और सहजीवन का संकेत देती हैं. मेडिको-लीगल केस (एमएलसी) में भी कुछ विरोधाभास दिखाई दे रहे हैं.’’
केस में काफी समय लगेगा
कोर्ट ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने वर्तमान मामले में चार्जशीट दाखिल की है और केस में काफी समय लगेगा. कोर्ट ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ता एम्स में सेवारत 28 वर्षीय डॉक्टर है. वो स्थायी नौकरी करता है और उसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है. अदालत ने ये भी देखा है कि उसने जांच में सहयोग किया है और ये दिखाने के लिए कोई सामग्री नहीं है कि उसने भागने या सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने का प्रयास किया है.’’ व्यक्ति को 50,000 रुपये का निजी मुचलका और इतनी ही राशि की दो जमानतें देने का आदेश दिया गया.
आपको बता दें कि आरोपी डॉक्टर पर रेप, जानबूझकर चोट पहुंचाने और खतरनाक हथियार या साधनों से जानबूझकर चोट पहुंचाने अथवा गंभीर रूप से चोट पहुंचाने का मामला दर्ज किया गया है.