सेंसेक्स 533.50 व निफ्टी 167.20 अंक की गिरावट के साथ हुआ बंद
Share Market Update (द भारत ख़बर), बिजनेस डेस्क : भारतीय शेयर बाजार में पिछले सप्ताह के अंतिम दो दिन रहा तेजी का दौर इस सप्ताह थमता दिखाई दे रहा है। सोमवार को जहां भारतीय शेयर बाजार में 50 अंक की मामूली गिरावट दर्ज की गई वहीं मंगलवार को इसमें बड़ी गिरावट दिखाई दी और 30 शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स 533.50 अंक या 0.63 प्रतिशत गिरकर 84,679.86 अंक पर बंद हुआ। दिन के दौरान इसमें 592.75 अंक या 0.69 प्रतिशत की गिरावट आई और यह 84,620.61 पर पहुंचा। वहीं 50 शेयरों वाला एनएसई निफ्टी 167.20 अंक या 0.64 प्रतिशत गिरकर 25,860.10 अंक पर बंद हुआ।
गिरावट के पीछे यह कारण बताया जा रहा
शेयर बाजार के जानकारों का कहना है कि यह गिरावट विदेशी निधियों की निरंतर निकासी, कमजोर रुपये और सुस्त वैश्विक बाजार रुझानों के कारण निवेशकों के विश्वास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने के चलते आई। वहीं यह भी कहा जा रहा है कि शेयर बाजार में गिरावट का मुख्य कारण रुपए में गिरावट है। भारत-अमेरिका व्यापार समझौते में कोई सफलता न मिलने और अमेरिकी डॉलर की लगातार खरीदारी के कारण मंगलवार को रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 23 पैसे गिरकर 91.01 (अस्थायी) के नए सर्वकालिक निचले स्तर पर बंद हुआ। जिसका सीधा असर शेयर बाजार पर पड़ा।
रिकॉर्ड हाई छूने के बाद सोने-चांदी के दाम गिरे
सप्ताह के दूसरे कारोबारी दिन यानी मंगलवार को सर्राफा बाजार में बहुमूल्य धातु सोने और चांदी की कीमत में गिरावट दर्ज की गई। आपको बता दें कि पिछले चार दिन में सोने में छह हजार रुपए की तेजी दर्ज की गई थी। जबकि मंगलवार को इसकी कीमत में गिरावट दर्ज की गई। मंगलवार को दिल्ली सर्राफा बाजार में सोना 1700 रुपए सस्ता होकर 1,35,900 रुपए प्रति 10 ग्राम बिका। जबकि अपने पिछले बंद से एक हजार रुपए प्रति किलो सस्ती होकर चांदी 1,98,500 रुपए रह गई।
जानकारों का कहना है कि सोने और चांदी की कीमतों में कमजोरी के पीछे वैश्विक स्तर पर कीमतों में कमजोरी और निवेशकों की मुनाफावसूली की धारणा के कारण आई। वहीं दूसरी तरफ अंतरराष्ट्रीय बाजारों में, हाजिर सोने की कीमत में पांच दिनों की लगातार बढ़त का सिलसिला टूट गया और यह 27.80 अमेरिकी डॉलर या 0.65 प्रतिशत गिरकर 4,277.42 अमेरिकी डॉलर प्रति औंस पर आ गया। वहीं जानकारों का कहना है कि आने वाले दिनों में भौतिक आभूषणों की मांग में कमी आने की उम्मीद है, जबकि निवेश की मांग मजबूत रहने का अनुमान है, यह प्रवृत्ति बाजार में प्रचलित जोखिम-विरोधी भावनाओं से प्रेरित है।
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