कोलकाता : पश्चिम बंगाल के माणिकचक से तृणमूल कांग्रेस (TMC) की विधायक सबित्री मित्रा ने एक विवादास्पद बयान देकर सियासी तूफान खड़ा कर दिया है। अपने बयान में उन्होंने हिंदू धर्म पर तंज कसा और इस्लाम को खुलेआम तरजीह दी, जिससे बंगाल में हिंदू समुदाय के साथ-साथ विपक्षी दलों में गुस्सा है। यह बयान 21 जुलाई को होने वाली टीएमसी रैली के लिए प्रचार के दौरान दिया गया, जिसे अब हिंदू विरोधी माना जा रहा है। आइए जानते हैं कि इस बयान का क्या मतलब है और इसके परिणाम क्या हो सकते हैं।
बयान का सार
सबित्री मित्रा ने कहा, “हमारा पसंदीदा धर्म इस्लाम है। मुसलमान प्रदर्शन नहीं करते। लेकिन हिंदू धर्म के नाम पर राजनीति कर रहे हैं। कहीं भी हमें भगवद्गीता नहीं सिखाई जाती, जबकि मुसलमानों के पास अरबी सीखने और कुरान पढ़ने की सुविधा है।” इस बयान में उन्होंने निम्नलिखित बातें कही:
- भगवद्गीता का मजाक उड़ाया।
- हिंदुओं को “धर्म पर राजनीति करने” का आरोप लगाया।
- एक धर्म को दूसरे पर खुलेआम तरजीह दी।
विवाद का कारण
इस बयान को हिंदू समुदाय और विपक्षी दलों ने गंभीर रूप से लिया है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) और अन्य संगठनों का कहना है कि यह बयान टीएमसी की हिंदू विरोधी मानसिकता को दर्शाता है और धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है। BJP नेता ने कहा, “यह संस्थागत हिंदू घृणा है, जिसका जवाब 2026 के चुनावों में जनता देगी।” सोशल मीडिया पर #BengalHinduInsult ट्रेंड कर रहा है, जहां लोग इस बयान की निंदा कर रहे हैं।
टीएमसी का रुख
टीएमसी ने अभी तक इस बयान पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन पार्टी के कुछ नेताओं ने इसे संदर्भ से हटाकर पेश करने का आरोप लगाया है। दूसरी ओर, माणिकचक के स्थानीय कार्यकर्ताओं का दावा है कि यह बयान रैली के लिए समर्थन जुटाने की रणनीति का हिस्सा था।
जनता और विशेषज्ञों की राय
बंगाल के लोग इस बयान से आहत हैं। एक हिंदू नेता ने कहा, “भगवद्गीता हमारी आस्था का आधार है, इसका मजाक उड़ाना असहनीय है।” विशेषज्ञों का मानना है कि यह बयान सांप्रदायिक तनाव को बढ़ा सकता है, खासकर चुनावी साल में। 2026 में होने वाले विधानसभा चुनावों में इस मुद्दे का असर पड़ने की संभावना है।
सबित्री मित्रा का बयान हिंदू धर्म और भगवद्गीता का अपमान माना जा रहा है, जो टीएमसी के लिए भारी पड़ सकता है। यह विवाद धर्मनिरपेक्षता और सांप्रदायिक सौहार्द के सवाल को फिर से उठाता है। बंगाल की जनता इस अपमान को भूलने को तैयार नहीं दिख रही, और आने वाले समय में इसका सियासी परिणाम देखने को मिलेगा।