Haryana में गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने वाले प्राइवेट स्कूलों पर सरकार का करीब ₹600 करोड़ रुपये का बकाया है। ये बकाया नियम 134-ए (Rule 134A) के तहत वर्ष 2015-16 से 2024-25 तक कक्षा 2 से 8 तक के विद्यार्थियों की फीस का है। सरकार को इन स्कूलों को दस वर्षों की फीस का भुगतान करना था, लेकिन तीन महीने से आवेदन करने के बावजूद स्कूलों को अभी तक कोई राशि प्राप्त नहीं हुई है। इस कारण कई स्कूल आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं और स्कूल संचालक परेशान हैं।
हरियाणा प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष सत्यवान कुंडू ने बताया कि इस संबंध में हाल ही में एक प्रतिनिधिमंडल ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक जितेंद्र कुमार से पंचकूला स्थित शिक्षा सदन में मुलाकात की थी। उस दौरान निदेशक ने आश्वासन दिया था कि अक्टूबर माह के अंत तक बकाया राशि जारी कर दी जाएगी, लेकिन अब तक कोई भुगतान नहीं हुआ है। कुंडू ने कहा कि कई स्कूलों ने बच्चों की शिक्षा के लिए भारी खर्च किया है, लेकिन सरकार की तरफ से भुगतान न होने के कारण स्कूलों के सामने शिक्षकों का वेतन और अन्य खर्चों का संकट खड़ा हो गया है।
कक्षा 9 से 12 तक की फीस तय नहीं, पोर्टल भी बंद
एसोसिएशन ने यह भी बताया कि कक्षा 9 से 12 तक की फीस वर्ष 2015-16 से अब तक तय नहीं की गई है, जिससे उन कक्षाओं के छात्रों की फीस का भी भुगतान अटका हुआ है। स्कूल संचालकों का कहना है कि सरकार को कक्षा 9 से 12 के लिए पोर्टल खोलना चाहिए ताकि स्कूल फीस रिइम्बर्समेंट के लिए आवेदन कर सकें। उन्होंने सुझाव दिया कि इन कक्षाओं की फीस फॉर्म नंबर 6 में दर्शाई गई फीस के आधार पर तय की जानी चाहिए, ताकि पिछले दस वर्षों की देनदारी को जल्द निपटाया जा सके।
मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री से की मांग, जल्द मिले बकाया
एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा से मांग की है कि कक्षा 2 से 8 तक की बकाया फीस की राशि तुरंत जारी की जाए, क्योंकि तीन महीने बीत जाने के बाद भी स्कूलों को भुगतान नहीं मिला है। संचालकों ने बताया कि भले ही अब 134-ए नियम को बंद कर दिया गया है, लेकिन सरकार के आदेशानुसार स्कूल अभी भी उन बच्चों को मुफ्त शिक्षा दे रहे हैं जो पहले इस योजना के तहत प्रमोट हुए थे। उन्होंने कहा कि अगर जल्द भुगतान नहीं हुआ तो कई स्कूलों को संचालन में कठिनाई होगी और शिक्षकों का वेतन भी प्रभावित होगा। एसोसिएशन ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने जल्द कार्रवाई नहीं की, तो प्राइवेट स्कूल मजबूरन आंदोलन का रास्ता अपना सकते हैं।
