करीब 5 हजार करोड़ रुपये के कथित धान घोटाले की जांच के बीच कुरुक्षेत्र प्रशासन पर गाज गिर गई है। जिले के जिला खाद्य एवं पूर्ति नियंत्रक (DFSC) राजेश आर्य को उनके पद से हटा दिया गया है। अब उनकी जगह यमुनानगर के DFSC जतिन मित्तल को कुरुक्षेत्र का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। हालांकि, राजेश आर्य को जांच पूरी होने तक कुरुक्षेत्र में ही DFSO (जिला खाद्य एवं पूर्ति अधिकारी) के पद पर तैनात रखा गया है।
यह कार्रवाई ऐसे समय में हुई है जब जिले में धान खरीद को लेकर किसानों का गुस्सा सार्वजनिक रूप से फूट चुका है। गौरतलब है कि 15 अक्टूबर को भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने धान खरीद नहीं करने के आरोप में लघु सचिवालय परिसर में ही राजेश आर्य को सरेआम थप्पड़ मारा था। यह घटना वीडियो वायरल होने के बाद से ही राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में चर्चा का केंद्र बनी हुई थी।
छह मार्केट कमेटी सचिव पहले ही चार्जशीट
धान खरीद प्रक्रिया में अनियमितताओं की जांच के दायरे को व्यापक बनाते हुए, कुरुक्षेत्र जिले की छह अलग-अलग मंडी समितियों के सचिवों को पहले ही चार्जशीट किया जा चुका है। इनमें थानेसर मंडी के हरजीत सिंह, पिहोवा के बलवान सिंह, शाहाबाद के कृष्ण मलिक, पिपली के गुरमीत सिंह, इस्माइलाबाद के चंद्र सिंह और लाडवा के संत कुमार शामिल हैं। इससे साफ है कि मामला सिर्फ एक अधिकारी तक सीमित नहीं, बल्कि व्यवस्थागत गड़बड़ियों की ओर इशारा करता है।
किसान नेता कर रहे हैं CBI जांच की मांग
भाकियू के प्रवक्ता राकेश बैंस ने इस मामले को और गंभीर बताते हुए कहा है कि यह सिर्फ कुरुक्षेत्र का नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश का मामला है, जिसमें 5 हजार करोड़ रुपये से अधिक का घोटाला हुआ है। उन्होंने दावा किया कि संघ ने 2500 करोड़ के घोटाले के सबूत सरकार के पास पहुंचाए हैं और अब मांग कर रहे हैं कि तुरंत FIR दर्ज करके मामला CBI को सौंपा जाए। उन्होंने स्पष्ट कहा, “अगर धान घोटाले में राजेश आर्य की भूमिका है, तो उनके खिलाफ भी FIR दर्ज होनी चाहिए।”
जींद में आज बुलाई गई है बड़ी पंचायत
इस मामले में किसानों का गुस्सा थमता नहीं दिख रहा। भाकियू के एक अन्य प्रवक्ता प्रिंस वडै़च ने बताया कि आज (शुक्रवार) जींद में धान घोटाले को लेकर एक बड़ी पंचायत बुलाई गई है, जिसमें पूरे प्रदेश के किसान शामिल होंगे। इस पंचायत में न केवल मुआवजे की मांग की जाएगी, बल्कि घोटाले की निष्पक्ष जांच और आगे के आंदोलन की रणनीति भी तय होगी।
आंकड़ों में कहां है विसंगति?
किसान नेताओं का आरोप है कि आधिकारिक आंकड़े ही घोटाले की पोल खोल रहे हैं। उनका कहना है कि ‘मेरी फसल मेरा ब्योरा’ पोर्टल पर दर्ज डेटा से कहीं अधिक धान की खरीद दर्ज की गई है, जो कि तार्किक नहीं है। उन्होंने बताया कि इस बार बारिश, बाढ़, हल्दी रोग और फिजी वायरस की वजह से जिले में 81,095 एकड़ फसल प्रभावित हुई है और पैदावार में 40 फीसदी तक की कमी आई है। सामान्यतः 32-35 क्विंटल प्रति एकड़ की औसत पैदावार इस बार घटकर 18-20 क्विंटल रह गई। ऐसे में, पिछले सीजन के मुकाबले सिर्फ 3% कम खरीद होने के आधिकारिक आंकड़े संदेह पैदा करते हैं।
आरोप: फर्जी गेट पास और यूजर आईडी का दुरुपयोग
आरोपों का सबसे गंभीर पहलू फर्जी गेट पास कटवाना और मिल मालिकों को अपने आधिकारिक यूजर आईडी व पासवर्ड देने का है। इससे यह आशंका पैदा होती है कि बिना किसी वास्तविक खरीद के ही भुगतान की निकासी की गई हो। इस संबंध में राजेश आर्य से उनकी प्रतिक्रिया जानने के प्रयास नाकाम रहे, उनके फोन का कोई जवाब नहीं मिला।
DFSC के हटाए जाने को एक प्रशासनिक कार्रवाई के तौर पर देखा जा रहा है, लेकिन किसान संगठन इससे संतुष्ट नहीं हैं। उनकी मांग है कि इस गहरे और बड़े पैमाने के घोटाले की जांच एक ऊंचे स्तर पर हो। आज जींद में होने वाली पंचायत इस मामले में आगे की दिशा तय करेगी। सवाल यह है कि क्या प्रशासनिक तबादला ही इस विवाद का समाधान है, या फिर किसानों की मांग के अनुरूप एक गहरी और पारदर्शी जांच होगी, जो इस 5 हजार करोड़ के सवाल का जवाब ढूंढ सके।


