हरियाणा के करनाल में भाजपा के नए कार्यालय के लिए सड़क बनाने के नाम पर 40 पेड़ों के कटावको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को हरियाणा सरकार और शहरी विकास निकाय को जमकर फटकार लगाई। मामले की सुनवाई कर रही पीठ ने इस कार्रवाई को “दयनीय (Pathetic)” करार देते हुए चेतावनी दी कि अगर समाधान नहीं निकाला गया तो सरकार को कड़ी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।
पूर्व सैनिक ने की थी याचिका
यह मामला वीर चक्र से सम्मानित और 1971 के युद्ध के वीर सेनानी, रिटायर्ड कर्नल देविंदर सिंह राजपूत द्वारा दायर की गई याचिका पर सुनवाई के दौरान सामने आया। राजपूत ने करनाल के सेक्टर-9 में हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (HSVP) से एक प्लॉट खरीदा था। उनका आरोप है कि उनके प्लॉट के बगल की जमीन, जो 1989 से खाली पड़ी थी, नियमों के विपरीत जाकर सत्ताधारी दल भाजपा को आवंटित कर दी गई।
ग्रीन बेल्ट में काटे गए पेड़
याचिका में कहा गया है कि इस जमीन तक पहुंच के लिए, उनके घर के पास स्थित 100 मीटर की ग्रीन बेल्ट में से 10 मीटर का रास्ताबनाने के लिए लगभग 40 पेड़ काट दिए गए। खास बात यह है कि राजपूत ने 36 साल पहले इसी ग्रीन बेल्ट के सामने वाली लोकेशन के लिए 10% अतिरिक्त शुल्क (Preferential Location Charges) दिया था।
सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख
जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए सरकार से सवाल किया, “बड़े-बड़े पेड़ों को उखाड़ देना गलत है। फिर ऐसा क्यों किया गया? इन पेड़ों का क्या हुआ? पार्टी का ऑफिस किसी और जगह क्यों नहीं ले जाया जा सकता?”
अदालत सरकार के वकील के इस दावे से संतुष्ट नहीं दिखी कि काटे गए पेड़ों के बदले नए पेड़ लगाए जाएंगे। पीठ ने जोर देकर कहा कि 40 बड़े पेड़ों के नुकसान की भरपाई कौन करेगा और सरकार से एक “मजबूत स्पष्टीकरण” मांगा।
हाईकोर्ट ने खारिज की थी याचिका
इससे पहले, रिटायर्ड कर्नल राजपूत ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी। हाईकोर्ट के फैसले के बाद ही वह सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। कोर्ट ने अब हरियाणा सरकार को एक स्पष्ट जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है और मामले की अगली सुनवाई का इंतजार रहेगा।



