भिंड. मध्य प्रदेश के भिंड जिले में चंबल नदी उफान पर है. नदी के जल स्तर ने पिछले तीन सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. राजस्थान के कोटा बैराज बांध से छोड़े गए पानी की वजह से नदी के किनारे स्थित अटेर क्षेत्र के एक दर्जन गांवो में जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. यहां पानी घरों में घुस गया है. ग्रामीणों ने घर गृहस्थी का सामान समेटकर छत की शरण ले ली है. उनका कुछ सामान भी डूब चुका है. अब यह ग्रामीण अपने परिवार के साथ घरों की छत पर खुले आसमान के नीचे जिंदगी की गुजर बसर करने को मजबूर हैं.
गौरतलब है कि इस इलाके में किसानों के खेत बाढ़ का पानी आने से नदी-तालाब का रूप ले चुके हैं. बाढ़ के चलते किसानों की सैकड़ों बीघा फसल बर्बाद हो गई है. इस मामले पर कलेक्टर सतीश कुमार और एसपी शैलेन्द्र सिंह नजर बनाए हुए हैं. अगर गांव डूबता है तो उनको एनडीआरएफ-एसडीआरएफ की मदद से सुरक्षित स्थान पर ले जाया जाएगा. इस बीच शुक्रवार को सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया बोट के सहारे बाढ़ पीड़ितों के बीच पहुंचे. उन्हें राशन-पानी दिया और ढांढस बंधाया.
चंबल नदी ने लिया रौद्र रूप
दरअसल, राजस्थान के कोटा बैराज और गांधी सागर बांध से 12 हजार क्युसेक पानी छोड़े जाने के बाद चंबल नदी रौद्र रूप में आ चुकी है. यह 119.80 मीटर खतरे के निशान को पार करती हुई 128 मीटर पर पहुंच गई है. इससे अटेर के एक दर्जनो गांवों में बाढ़ से स्थिति बिगड़ने लगी है. गांव टापू बन चुके हैं. कई झोपड़ियां और सरकारी स्कूल पूरी तरह से डूब चुके हैं. ऐतिहासिक किले के चारों तरफ पानी भर चुका है. बिजली के खंभे डूब चुके हैं. नावली वृंदावन, देवालय, मुकुटपुरा, कछपुरा, रमा कोट, दिन्नपुरा, कोषण की मढ़ैयन, नखलोली सहित 10 से 12 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं.
सरकार से यह गुहार लगा रहे ग्रामीण
बता दें, गांव में रात से ही पानी भरना शुरू हो गया था. इससे ग्रामीण घबरा गए और रात को ही गृहस्थी का सामान समेटकर घर की छतों पर चले गए. इसे लेकर ग्रामीणों में आक्रोश है. उनका कहना है कि हर साल बाढ़ आती है सब कुछ बहाकर लेकर जाती है. ग्रामीणों ने अब गांव छोड़ने का मन बना लिया है. इसलिए वे सरकार से एक ही गुहार लगा रहे हैं कि उन्हें ऊंचे स्थान पर बसाया जाए.
