दिल्ली : दिल्ली की सड़कों पर रहड़ी-पटरी वालों का अनियंत्रित अतिक्रमण अब केवल चांदनी चौक और सरोजिनी नगर जैसे बाजारों तक सीमित नहीं रहा। यह समस्या पंचशील विहार, एपीजे रोड जैसी रिहायशी कॉलोनियों और हर गली-मोहल्ले तक फैल चुकी है। अवैध रेहड़ियां ट्रैफिक जाम, पैदल यात्रियों के लिए खतरा, और गंदगी का सबब बन रही हैं। दिल्लीवासियों का सब्र टूट रहा है, लेकिन नगर निगम (MCD) और दिल्ली पुलिस की निष्क्रियता इस संकट को और गहरा रही है। जहां सिंगापुर, लंदन, और न्यूयॉर्क जैसे विदेशी शहरों ने स्ट्रीट वेंडिंग को व्यवस्थित कर शहरी सुंदरता और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दिया है, वहीं दिल्ली में यह अराजकता क्यों बेकाबू हो रही है?
गलियों तक पहुंचा अतिक्रमण, पंचशील विहार और एपीजे रोड में हाहाकार
पहले बाजारों तक सीमित रहड़ी-पटरी की समस्या अब दिल्ली की हर कॉलोनी और गली तक फैल चुकी है। साउथ दिल्ली के पंचशील विहार और एपीजे रोड जैसे रिहायशी इलाकों में सब्जी, चाट, जूस, और कपड़ों की रेहड़ियां सड़कों और फुटपाथों पर कब्जा जमाए हुए हैं। पंचशील विहार की गलियों में रेहड़ियों की भीड़ ने बच्चों के खेलने और बुजुर्गों के चलने की जगह छीन ली है। एपीजे रोड पर स्कूलों और अपार्टमेंट्स के पास रेहड़ियों की कतारों ने ट्रैफिक और सुरक्षा की समस्या खड़ी कर दी है।
पंचशील विहार की निवासी अनीता शर्मा ने गुस्से में कहा, “हमारी कॉलोनी में हर गली में रेहड़ियां लगी हैं। गाड़ी पार्क करना और बच्चों को स्कूल छोड़ना मुश्किल हो गया है। MCD को शिकायत करने पर भी कोई सुनवाई नहीं।” एपीजे रोड के शिक्षक रवि कुमार ने बताया, “शाम को रेहड़ियों की वजह से स्कूल बसें जाम में फंस जाती हैं। यह बच्चों की सुरक्षा का सवाल है।” रोहिणी, शाहदरा, और द्वारका जैसे इलाकों में भी रातभर सड़कों पर खड़ी रेहड़ियां सुबह की सैर और सफाई को प्रभावित कर रही हैं।
ट्रैफिक और सुरक्षा पर बढ़ता खतरा
दिल्ली ट्रैफिक पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, 2024 में अवैध रेहड़ियों के कारण ट्रैफिक जाम की घटनाएं 18% बढ़ीं। मिंटो रोड, कश्मीरी गेट, और द्वारका मोड़ जैसे चौराहों पर रेहड़ियों ने सड़कों को और तंग कर दिया है। पंचशील विहार और एपीजे रोड की संकरी गलियों में रेहड़ियों की वजह से गाड़ियां और बाइक रोज जाम में फंस रही हैं।
सुरक्षा भी बड़ा मुद्दा बन गया है। चांदनी चौक और सरोजिनी नगर जैसे बाजारों में रेहड़ियों की वजह से दमकल गाड़ियां और एम्बुलेंस समय पर नहीं पहुंच पातीं। 30 अप्रैल 2025 को दिल्ली हाट में लगी आग के दौरान रास्ते में रेहड़ियों ने दमकल को रोक दिया था। पंचशील विहार में एक निवासी ने कहा, “रात को रेहड़ियों के पास असामाजिक तत्व जमा होते हैं, जिससे डर लगता है।” एपीजे रोड पर रेहड़ियों की भीड़ स्कूल वैनों के लिए खतरा बन रही है।
प्रशासन की नाकामी, कानून की अनदेखी
स्ट्रीट वेंडर्स (प्रोटेक्शन ऑफ लाइवलीहुड एंड रेगुलेशन ऑफ स्ट्रीट वेंडिंग) एक्ट, 2014 के तहत रेहड़ी वालों को लाइसेंस देना और वेंडिंग जोन बनाना अनिवार्य है। दिल्ली सरकार और MCD ने 2019 में टाउन वेंडिंग कमेटी (TVC) बनाई, लेकिन यह व्यवस्था कागजों तक सिमटी है। दिल्ली में करीब 7 लाख रेहड़ी-पटरी वाले हैं, लेकिन केवल 1.3 लाख को लाइसेंस मिला है। बाकी अवैध रूप से सड़कों, गलियों, और कॉलोनियों में कब्जा जमाए हुए हैं।
चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (CTI) के महासचिव बृजेश गोयल ने कहा, “दिल्ली में केवल 131 वेंडिंग जोन हैं, जो जरूरत का 10% भी नहीं। पंचशील विहार और एपीजे रोड जैसे इलाकों में तो कोई जोन ही नहीं। MCD और पुलिस की मिलीभगत के बिना यह अतिक्रमण संभव नहीं।” सुप्रीम कोर्ट ने 2023 में MCD और दिल्ली सरकार को अवैध अतिक्रमण हटाने और वेंडिंग जोन बढ़ाने का आदेश दिया था, लेकिन अमल नहीं हुआ।
विदेशी शहरों से तुलना: दिल्ली क्यों पिछड़ा?
दिल्ली की अराजक स्ट्रीट वेंडिंग की तुलना में विदेशी शहरों ने इस समस्या को व्यवस्थित कर लिया है। आइए, कुछ उदाहरण देखें:
सिंगापुर: सिंगापुर में स्ट्रीट फूड हॉकर सेंटर्स में व्यवस्थित है। सरकार ने 100 से अधिक हॉकर सेंटर्स बनाए, जहां रेहड़ी वालों को लाइसेंस, साफ-सफाई, और बुनियादी सुविधाएं दी जाती हैं। सख्त नियमों के कारण सड़कों पर अवैध रेहड़ियां नहीं लगतीं। दिल्ली में वेंडिंग जोन की कमी और नियमों की अनदेखी इसे असंभव बनाती है।
लंदन: लंदन में स्ट्रीट मार्केट्स, जैसे बोरो मार्केट, को लाइसेंस और तय जगहों पर सीमित किया गया है। नगर पालिका हर स्टॉल की निगरानी करती है, और अवैध अतिक्रमण पर भारी जुर्माना लगता है। दिल्ली में लाइसेंसिंग प्रक्रिया सुस्त है, और जुर्माना नाममात्र का है।
न्यूयॉर्क: न्यूयॉर्क में स्ट्रीट वेंडर्स को हेल्थ और सेफ्टी नियमों का पालन करना पड़ता है। मोबाइल फूड वेंडिंग के लिए लाइसेंस सीमित हैं, और सड़कों पर तय समय और जगह पर ही रेहड़ियां लगती हैं। दिल्ली में 7 लाख रेहड़ी वालों के लिए केवल 1.3 लाख लाइसेंस हैं, जिससे अवैध अतिक्रमण बढ़ रहा है।
बैंकॉक: थाईलैंड की राजधानी में स्ट्रीट फूड विश्व प्रसिद्ध है, लेकिन सरकार ने रात के बाजारों और तय जगहों पर वेंडिंग को सीमित किया है। साफ-सफाई और ट्रैफिक नियमों का सख्ती से पालन होता है। दिल्ली में रेहड़ियों की वजह से गंदगी और ट्रैफिक की समस्या अनसुलझी है।
विदेशी शहरों में स्ट्रीट वेंडिंग को पर्यटन और अर्थव्यवस्था का हिस्सा बनाया गया है, जबकि दिल्ली में यह अराजकता का पर्याय बन रही है। सिंगापुर और न्यूयॉर्क जैसे शहरों में सख्त लाइसेंसिंग, सीमित वेंडिंग जोन, और नियमित निगरानी ने अतिक्रमण को रोका है। दिल्ली में MCD की सुस्ती और भ्रष्टाचार इस दिशा में सबसे बड़ी बाधा है।
सामाजिक और आर्थिक प्रभाव
रहड़ी-पटरी वाले दिल्ली की अर्थव्यवस्था का हिस्सा हैं, जो किफायती सामान और सेवाएं देते हैं। लेकिन अनियंत्रित अतिक्रमण से स्थानीय दुकानदारों का कारोबार प्रभावित हो रहा है। चांदनी चौक के व्यापारी मोहम्मद इरफान ने कहा, “रेहड़ी वाले बिना टैक्स दिए सामान बेचते हैं, जबकि हम किराया और टैक्स चुकाते हैं।” पंचशील विहार और एपीजे रोड में रेहड़ियों की गंदगी और शोर से कॉलोनियों की शांति भंग हो रही है।
रहड़ी वालों का पक्ष भी है। एपीजे रोड पर फल बेचने वाले राम लाल ने कहा, “हमें वेंडिंग जोन में जगह नहीं मिलती। मजबूरी में गलियों में रेहड़ी लगानी पड़ती है। सरकार लाइसेंस और जगह दे, हम सड़क नहीं रोकेंगे।” लेकिन निवासियों का कहना है कि जब तक प्रशासन सख्ती नहीं करेगा, यह समस्या हल नहीं होगी।
समाधान के लिए जरूरी कदम
वेंडिंग जोन का विस्तार: पंचशील विहार, एपीजे रोड जैसे रिहायशी इलाकों के पास वेंडिंग जोन बनाए जाएं।
लाइसेंसिंग में तेजी: सभी रेहड़ी वालों को लाइसेंस देना और अवैध रेहड़ियों पर सख्त कार्रवाई जरूरी है।
निगरानी और जुर्माना: MCD और पुलिस को नियमित अभियान चलाकर अतिक्रमण हटाना चाहिए। भ्रष्टाचार पर लगाम लगे।
विदेशी मॉडल अपनाएं: सिंगापुर और न्यूयॉर्क की तरह सख्त लाइसेंसिंग और वेंडिंग जोन बनाकर स्ट्रीट वेंडिंग को व्यवस्थित करें।
जागरूकता: रेहड़ी वालों को कानून और वेंडिंग जोन के बारे में जागरूक करना होगा।
निष्कर्ष
दिल्ली में रहड़ी-पटरी वालों का अतिक्रमण अब चांदनी चौक से पंचशील विहार और एपीजे रोड की गलियों तक फैल चुका है। यह समस्या ट्रैफिक, सुरक्षा, और स्वच्छता के लिए खतरा बन रही है। जहां सिंगापुर, लंदन, और न्यूयॉर्क जैसे शहरों ने स्ट्रीट वेंडिंग को व्यवस्थित कर शहरी सुंदरता को बढ़ाया, वहीं दिल्ली में MCD और पुलिस की नाकामी ने इसे अराजकता में बदल दिया। अगर प्रशासन ने जल्द सख्त कदम नहीं उठाए, तो दिल्ली की सड़कें और गलियां अवैध रेहड़ियों का स्थायी बाजार बन जाएंगी। क्या दिल्ली सरकार विदेशी शहरों से सबक लेकर इस संकट से निपट पाएगी, या दिल्लीवासी इस अतिक्रमण के साथ जीने को मजबूर रहेंगे?