दिल्ली : राजधानी दिल्ली के असोला-फतेहपुर बेरी गांव का एक साधारण गुर्जर युवा, नीरज तंवर, जिसे दुनिया “नीरज पेप्सू” के नाम से जानती थी, बॉडीबिल्डिंग की दुनिया में एक चमकता सितारा था। अपनी विशाल काया, देसी जिम में घंटों पसीना बहाने, और सोशल मीडिया पर देसी स्वैग के साथ नीरज ने न केवल हरियाणा-दिल्ली के युवाओं, बल्कि देशभर के फिटनेस प्रेमियों का दिल जीत लिया था। लेकिन 15 मार्च 2020 को, मात्र 33 साल की उम्र में, इस ‘गुर्जर शेर’ ने जहर खाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली, जिसने उनके लाखों प्रशंसकों को सदमे में डाल दिया। आखिर कौन थे नीरज पेप्सू, और क्यों उनकी मौत के पांच साल बाद भी उनकी लोकप्रियता बरकरार है? उनकी कहानी मेहनत, शोहरत, और अनदेखी मानसिक पीड़ा की एक दुखद गाथा है, जो समाज और प्रशासन से कई सवाल पूछती है।
गांव की गलियों से बॉडीबिल्डिंग की बुलंदियों तक
नीरज तंवर पेप्सू का जन्म 7 जनवरी 1987 को दिल्ली के असोला-फतेहपुर बेरी गांव में एक गुर्जर ‘पहलवान’ परिवार में हुआ। उनके पिता एक किसान थे, और मां गृहिणी। बचपन से ही नीरज को फिटनेस और ताकत का शौक था। गांव के खेतों में खेलते हुए और देसी जिम में पुराने टायर और लोहे की रॉड के साथ वर्कआउट करते हुए, नीरज ने अपनी काया को तराशा। उन्होंने गांव के सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल से शुरुआती पढ़ाई की और बाद में जयपुर के “आर्य इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी” से इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन पूरा किया। लेकिन उनका असली जुनून बॉडीबिल्डिंग था।
5 फीट 11 इंच लंबे और 115 किलोग्राम वजन वाले नीरज की काया देखकर लोग दंग रह जाते थे। वे रोज 6 घंटे से ज्यादा जिम में बिताते थे, जिसमें साइकिलिंग, स्किपिंग, रनिंग, और मलखंभ जैसे व्यायाम शामिल थे। उनकी डाइट में देसी घी, दूध, और चने थे, जो उनकी ताकत का राज थे। नीरज ने फतेहपुर बेरी में अपना जिम शुरू किया, जहां वे युवाओं को ट्रेन करते थे। उनकी इंस्टाग्राम हैंडल (@neeraj_pepsu_official) पर वर्कआउट वीडियोज और मोटिवेशनल पोस्ट ने उन्हें 35,000 से ज्यादा फॉलोअर्स दिलाए। फतेहपुर बेरी के एक युवा, अजय गुर्जर, कहते हैं, “नीरज भाई की रील्स देखकर हम जिम जाने को मजबूर हो जाते थे। उनका देसी अंदाज और मेहनत हमें अपने जैसा लगता था।”
गुर्जर शेर की लोकप्रियता: देसी स्वैग और प्रेरणा
नीरज पेप्सू को “गुर्जर शेर” का खिताब उनके समुदाय और प्रशंसकों ने दिया। उनकी लोकप्रियता का राज उनकी सादगी, देसी स्वैग, और प्रेरणादायक कहानी थी। सोशल मीडिया पर उनकी रील्स में ट्रैक्टर खींचना, भारी डेडलिफ्ट करना, और हरियाणवी गानों पर पोज देना शामिल था, जो युवाओं को खूब भाता था। वे नशे के खिलाफ और फिटनेस के लिए युवाओं को प्रोत्साहित करते थे। फतेहपुर बेरी के जिम ट्रेनर विक्रम सिंह बताते हैं, “नीरज की वजह से हमारे गांव में जिम जाने वाले युवाओं की संख्या दोगुनी हो गई। वे कहते थे कि ताकत सिर्फ शरीर में नहीं, मन में भी चाहिए।”
नीरज का प्रभाव सिर्फ फतेहपुर बेरी तक सीमित नहीं था। हरियाणा और दिल्ली-NCR के युवा उन्हें अपना आदर्श मानते थे। उनकी लोकप्रियता ऐसी थी कि उनके सम्मान में गाने बने, जैसे “नीरज तंवर पेप्सू” (राज बैसोया) और “गुर्जर जाटी वीरों की” (हरेंद्र नागर)। सोशल मीडिया पर उनके प्रशंसकों ने उनकी तस्वीरें प्रोफाइल पिक्चर बनाकर “रेस्ट इन पीस” लिखा। उनकी मौत के बाद भी, 2025 में इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर उनकी वीडियोज वायरल हो रही हैं, और लोग उन्हें याद करते हैं।
दुखद अंत: मानसिक पीड़ा और प्रशासन की उदासीनता
15 मार्च 2020 को नीरज पेप्सू ने सल्फास टैबलेट्स खाकर आत्महत्या कर ली। पुलिस के अनुसार, वे अपने पिता के कैंसर और गुरुग्राम में ढाबा व्यवसाय में घाटे के कारण गहरे अवसाद में थे। पिछले तीन-चार महीनों से वे बेरोजगार थे, और पहले बाउंसर के रूप में काम कर चुके थे। कोई सुसाइड नोट नहीं मिला, जिससे उनकी मौत एक रहस्य बन गई। दक्षिण दिल्ली के डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस, अतुल कुमार ठाकुर, ने पुष्टि की कि नीरज अवसाद से जूझ रहे थे।
नीरज की मौत ने मानसिक स्वास्थ्य और फिटनेस उद्योग की छिपी चुनौतियों को उजागर किया। बाहर से मजबूत दिखने वाला यह शख्स अंदर से टूट चुका था। फतेहपुर बेरी के एक निवासी, राहुल तंवर, ने तल्खी से कहा, “नीरज भाई ने सबको हौसला दिया, लेकिन उनके दर्द को कोई नहीं समझ सका। सरकार और समाज ने उनके जैसे लोगों के लिए कुछ नहीं किया।” दिल्ली में खेल और फिटनेस सुविधाओं की कमी, खासकर गांवों में, एक बड़ी समस्या है। सुप्रीम कोर्ट ने 2023 में दिल्ली सरकार को खेल सुविधाएं बढ़ाने का निर्देश दिया था, लेकिन फतेहपुर बेरी जैसे क्षेत्रों में कोई बदलाव नहीं दिखता।
सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव
नीरज पेप्सू ने फतेहपुर बेरी की बॉडीबिल्डिंग संस्कृति को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। यह गांव, जो बाउंसर और बॉडीबिल्डर बनाने के लिए मशहूर है, नीरज की वजह से और चर्चा में आया। उनकी अनुमानित नेट वर्थ 60-70 लाख रुपये थी, जो जिम व्यवसाय, सोशल मीडिया प्रभाव, और फिटनेस प्रायोजनों से आई। वे भगवान शिव के भक्त थे और अक्सर अपनी आध्यात्मिक मान्यताओं को पोस्ट करते थे। नीरज की शादीशुदा जिंदगी और एक बेटे की जानकारी है, लेकिन उनके परिवार के नाम सार्वजनिक नहीं हैं।
उनकी मौत ने गुर्जर समुदाय और फिटनेस प्रेमियों में शोक की लहर दौड़ा दी। उनकी अंतिम इंस्टाग्राम पोस्ट, जिसमें एक गाना उनके सम्मान में था, यह दिखाती थी कि वे खुश दिख रहे थे। लेकिन उनकी मानसिक पीड़ा को कोई नहीं भांप सका। फिटनेस इंडस्ट्री के एक सदस्य, संजय रावत, ने कहा, “नीरज जैसे लोग बाहर से ताकतवर दिखते हैं, लेकिन अंदर की लड़ाई कोई नहीं देखता। हमें मानसिक स्वास्थ्य पर बात शुरू करनी होगी।”
एक अधूरी कहानी
नीरज तंवर पेप्सू की कहानी मेहनत, शोहरत, और दुखद अंत की कहानी है। फतेहपुर बेरी के इस ‘गुर्जर शेर’ ने अपनी मांसपेशियों और मेहनत से लाखों को प्रेरित किया, लेकिन उनकी मानसिक पीड़ा को अनदेखा कर दिया गया। उनकी मौत के पांच साल बाद भी, उनकी वीडियोज और गाने सोशल मीडिया पर जिंदा हैं, जो उनकी बेमिसाल लोकप्रियता को दर्शाते हैं। लेकिन यह सवाल बरकरार है: क्या समाज और प्रशासन ऐसे नायकों को समय रहते सपोर्ट दे पाएगा? नीरज पेप्सू की विरासत युवाओं को प्रेरित करती रहेगी, लेकिन उनकी अधूरी कहानी हमें मानसिक स्वास्थ्य और गांवों में खेल सुविधाओं की जरूरत पर सोचने को मजबूर करती है।