Haryana के सरकारी स्कूलों में कक्षा 8वीं में पढ़ने वाले कुल 55,001 छात्रों ने नेशनल मीन्स-कम-मेधा छात्रवृत्ति (National Means-cum-Merit Scholarship) प्राप्त करने के लिए ऑनलाइन आवेदन किया है। इस सूची में शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा का गृह जिला पानीपत शीर्ष पर रहा, जहां से सबसे अधिक 4,232 छात्रों ने आवेदन किया है। पानीपत के बाद सिरसा जिले से 4,064, अंबाला से 3,789, और हिसार से 3,560 आवेदन आए हैं। वहीं गुरुग्राम 3,401 आवेदनों के साथ पांचवें स्थान पर रहा। दूसरी ओर, चरखी-दादरी जिले का प्रदर्शन सबसे कमजोर रहा, जहां से केवल 1,077 छात्रों ने आवेदन किया। यह आंकड़े इस बात का प्रमाण हैं कि हरियाणा के बच्चों में शिक्षा के प्रति जागरूकता तेजी से बढ़ रही है।
नेशनल मीन्स-कम-मेधा छात्रवृत्ति परीक्षा का आयोजन 30 नवंबर को सुबह 11 बजे से दोपहर 2 बजे तक किया जाएगा। परीक्षा से संबंधित एडमिट कार्ड हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड, भिवानी की वेबसाइट पर परीक्षा से 10 दिन पहले अपलोड किए जाएंगे। इस परीक्षा में भाग लेने के लिए कुछ आवश्यक शर्तें तय की गई हैं — आवेदक कक्षा 8वीं में सरकारी स्कूल में पढ़ता हो, और उसके परिवार की वार्षिक आय ₹3.30 लाख से अधिक न हो। चयनित छात्रों को कक्षा 9वीं से 12वीं तक कुल ₹48,000 की छात्रवृत्ति प्रदान की जाएगी। यह राशि चार वर्षों में ₹12,000 प्रतिवर्ष के हिसाब से दी जाती है। इस योजना का उद्देश्य है कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के प्रतिभाशाली छात्र आर्थिक तंगी के कारण पढ़ाई बीच में न छोड़ें।
राज्यभर से आए कुल 55,001 आवेदनों में से शीर्ष पर पानीपत रहा, जबकि चरखी-दादरी सबसे पीछे रहा। जिलेवार आंकड़े इस प्रकार हैं — पानीपत (4,232), सिरसा (4,064), अंबाला (3,789), हिसार (3,560), गुरुग्राम (3,401), करनाल (3,212), कैथल (3,163), जींद (2,996), फतेहाबाद (2,795), सोनीपत (2,768), कुरुक्षेत्र (2,427), भिवानी (2,262), रेवाड़ी (2,185), यमुनानगर (1,971), नूंह (1,885), महेन्द्रगढ़ (1,850), पलवल (1,522), रोहतक (1,507), पंचकूला (1,488), फरीदाबाद (1,454), झज्जर (1,393) और चरखी-दादरी (1,077)। इन आंकड़ों से यह साफ झलकता है कि हरियाणा के हर जिले के विद्यार्थी इस परीक्षा में भाग लेने को उत्साहित हैं, खासकर वे छात्र जो आर्थिक रूप से कमजोर पृष्ठभूमि से आते हैं।
राष्ट्रीय मीन्स-कम-मेधा छात्रवृत्ति योजना को वर्ष 2008 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधीन स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा शुरू किया गया था। इस योजना का उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर लेकिन प्रतिभाशाली छात्रों को आगे की शिक्षा के लिए वित्तीय सहायता देना है। योजना के तहत चयनित छात्र कक्षा 9वीं से 12वीं तक हर साल ₹12,000 प्राप्त करते हैं।
हिसार के जिला गणित विशेषज्ञ एवं एनएमएमएस इंचार्ज संदीप सिंधु ने बताया कि इस साल 55,001 छात्रों का आवेदन आना यह दर्शाता है कि ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों के छात्र अब शिक्षा को लेकर गंभीर हैं। उन्होंने कहा, “यह योजना निश्चित रूप से आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के छात्रों के लिए वरदान साबित हो रही है, क्योंकि इससे उन्हें अपनी पढ़ाई पूरी करने में मदद मिलती है और देश के भविष्य को एक नई दिशा मिलती है।”
