चंडीगढ़ : पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार ने मार्च 2022 से अब तक कुल 19 टोल प्लाजा को सफलतापूर्वक बंद कर दिया है। यह फैसला सिर्फ एक प्रशासनिक कार्रवाई नहीं है, बल्कि यह आम लोगों की जेब पर पड़ने वाले अनावश्यक बोझ को खत्म करने की दिशा में एक बड़ा मील का पत्थर है।
इन 19 टोल प्लाजों के बंद होने से पंजाब के लाखों यात्रियों को प्रतिदिन लगभग ₹65 लाख की सीधी बचत हो रही है, जो सालाना ₹225 करोड़ के भारी-भरकम आंकड़े में तब्दील हो जाती है।
इन 19 टोल प्लाजा में से कई को इसलिए बंद किया गया क्योंकि या तो उनका अनुबंध समाप्त हो गया था और सरकार ने उन्हें कोई विस्तार देने से साफ इनकार कर दिया, या फिर उन्हें अनुबंध के उल्लंघन के लिए दंडात्मक कार्रवाई के तहत बंद किया गया।
इस बड़े बदलाव की शुरुआत 2022 में ही हो गई थी। 4 सितंबर 2022 को संगरूर-लुधियाना रोड पर लड्डा और अहमदगढ़ टोल प्लाजा को बंद कर दिया गया। ऑपरेटर ने कोविड और किसान आंदोलन का हवाला देकर ₹50 करोड़ का मुआवजा या विस्तार मांगा, जिसे मुख्यमंत्री ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह एक वैश्विक आपदा थी और इसका बोझ जनता पर नहीं डाला जा सकता। इसके बाद, 15 दिसंबर 2022 को होशियारपुर-टांडा रोड पर लछोवाल टोल प्लाजा को बंद करना एक बड़ा कदम था। यहाँ सरकार ने न केवल विस्तार देने से इनकार किया, बल्कि अनुबंध के उल्लंघन और फंड डायवर्जन के आरोप में कंपनी के खिलाफ FIR भी दर्ज कराई।
साल 2023 में इस मिशन में और भी तेजी आई। 1 अप्रैल 2023 को कीरतपुर साहिब-नंगल-ऊना रोड पर नक्कियां टोल प्लाजा को बंद करते हुए मुख्यमंत्री भगवंत मान ने ऐलान किया कि “राज्य में ‘सड़कों पर किराए’ का युग समाप्त हो गया है”। उन्होंने खुलासा किया कि ऑपरेटर ने सड़क पर बिटुमेन की दूसरी परत बिछाने में 1,093 दिनों की देरी की थी और कंपनी पर ₹67 करोड़ का जुर्माना बकाया था। इस एक टोल के बंद होने से ही जनता को रोज़ ₹10.12 लाख की बचत होने लगी। इसके बाद पटियाला में समाना-पत्रान रोड और अन्य स्थानों पर भी टोल बंद किए गए।
5 जुलाई 2023 को मोगा-कोटकुपूरा रोड पर सिंघावाला टोल प्लाजा को बंद करते हुए मुख्यमंत्री मान ने एक बड़ा खुलासा किया। उन्होंने बताया कि इस कंपनी पर ₹3.89 करोड़ का जुर्माना जमा हो गया था, जो अनुबंध को समाप्त करने के लिए ₹3.11 करोड़ की सीमा से भी अधिक था। इसका मतलब है कि इस टोल प्लाजा को 2019 में ही बंद किया जा सकता था, लेकिन पिछली कांग्रेस सरकार ने कथित तौर पर ऑपरेटर को “संरक्षण” दिया और जनता की लूट जारी रहने दी।
यह अभियान 2024 और 2025 में भी पूरी ताकत से जारी रहा। अप्रैल 2024 में लुधियाना-बरनाला हाईवे पर रकबा और महल कलां टोल प्लाजा बंद किए गए, जिससे टोल-मुक्त सड़कों की सूची और लंबी हो गई। इस नीति का सबसे ताज़ा और 19वां उदाहरण अक्टूबर 2025 में जगराओं-नकोदर टोल प्लाजा का बंद होना है। यह टोल अनुबंध की समाप्ति से लगभग 18 महीने पहले ही बंद कर दिया गया।
इन 19 टोल प्लाजा के बंद होने का सबसे बड़ा लाभ सीधे पंजाब की आम जनता को मिल रहा है। यह आंकड़े केवल राजनीतिक बयानबाजी नहीं हैं, बल्कि यह हर उस नागरिक की जेब पर सकारात्मक असर डाल रहे हैं जो इन सड़कों का इस्तेमाल करता है। अप्रैल 2023 तक, जब 8 टोल बंद हुए थे, तब दैनिक बचत ₹10.12 लाख थी। जुलाई 2023 तक, 10 टोल बंद होने पर यह बचत बढ़कर ₹44.43 लाख प्रतिदिन हो गई। और अब, अक्टूबर 2025 में 19 टोल बंद होने के साथ, यह आंकड़ा लगभग ₹65 लाख प्रतिदिन (यानी ₹225 करोड़ सालाना) तक पहुंच गया है। सरकार ने राज्य के लगभग 590 किलोमीटर स्टेट हाईवे को टोल-मुक्त कर दिया है, जिससे लाखों किसानों, व्यापारियों, छात्रों और दैनिक यात्रियों को बड़ी आर्थिक राहत मिली है।
