Punjab News : पंजाब की राजनीति में इस बार तरनतारन की गलियों में एक अलग ही भावनात्मक लहर दिखाई दे रही है। आगामी 11 नवंबर के उपचुनाव से ठीक पहले, मुख्यमंत्री भगवंत मान ने यहां की जनता के बीच खड़े होकर जो कहा, वह शायद पारंपरिक सियासी दांव-पेंच से बिल्कुल हटकर था। आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार हरमीत सिंह संधू के समर्थन में विशाल रोड-शो के दौरान, जब मान ने जीप की छत से कहा, “मैं मुख्यमंत्री नहीं, दुखमंत्री हूं–आपके दुःख-सुख में हिस्सा लेने आया हूं, न कि सिर्फ कुर्सी पर बैठने,” तो हजारों लोगों की भीड़ की प्रतिक्रिया ने माहौल को भावुक बना दिया, जहाँ ‘इंकलाब’ के नारे गूंज उठे।
मान ने अपने अतीत को याद करते हुए तरनतारन की मिट्टी से अपना रिश्ता जोड़ा। उन्होंने कहा कि वह भी इन्हीं गाँवों से निकले हैं, साइकिल पर स्कूल जाते थे और बस की छतों पर बैठकर कॉलेज जाते थे, क्योंकि उस ज़माने में छात्रों को बस के अंदर जगह नहीं मिलती थी। इस निजी अनुभव का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि उनकी सरकार किसानों की फ़सल बर्बाद होने का दर्द, मजदूरों की मेहनत की कीमत और आम घरों की रोजमर्रा की मुश्किलें बखूबी समझती है। मुख्यमंत्री ने स्वीकार किया कि यह इलाका पहले कई मुश्किल दौर से गुज़रा है, लेकिन अब समय है कि हम सब मिलकर विकास की नई राह पर आगे बढ़ें।
मान ने स्पष्ट किया कि ‘दुखमंत्री’ होने का उनका संकल्प केवल बयानों तक सीमित नहीं है। इस साल की विनाशकारी बाढ़ के दौरान, उनकी सरकार ने जिस तेज़ी से काम किया, वह मिसाल बन गया। उन्होंने बताया कि हर पीड़ित को केवल 45 दिनों के भीतर 20,000 रुपये प्रति एकड़ मुआवजा सुनिश्चित किया गया और दिवाली से पहले हर घर तक राहत पहुँचाई गई। इसके अलावा, उनकी सरकार ने महज़ साढ़े तीन सालों में सीधी राहत का मॉडल पेश किया है। आज पंजाब के 90 प्रतिशत घरों के बिजली बिल शून्य हैं, क्योंकि 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली हर महीने दी जा रही है। युवाओं को पूरी तरह पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया से 56,000 सरकारी नौकरियाँ मिली हैं—बिना किसी रिश्वत या सिफारिश के। स्कूलों की व्यवस्था को बेहतर बनाया गया, गाँव-गाँव में आम आदमी क्लीनिक खोलकर मुफ्त इलाज की सुविधा पहुंचाई गई, ड्रग माफिया के बड़े सरगनाओं को जेल भेजा गया। किसानों को MSP की गारंटी और कर्ज माफी का सीधा लाभ मिल रहा है।
उन्होंने कहा कि पुरानी पार्टियों ने 70 सालों में सिर्फ भ्रष्टाचार, नशा और बेरोजगारी दी, जबकि उनकी सरकार ने ईमानदारी का मॉडल दिया। मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि पारंपरिक दलों ने पंजाब और उसके लोगों को ‘बेरहमी से लूटा’, जिसके कारण उन्हें राज्य की सत्ता से बेदखल होना पड़ा।
