चंडीगढ़: हरियाणा की राजनीति में आज एक बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। पूर्व वित्त मंत्री और वरिष्ठ नेता प्रोफेसर संपत सिंह आज अपने बेटे गौरव सिंह के साथ चंडीगढ़ में इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) की सदस्यता ग्रहण करेंगे। यह उनकी 16 साल बाद “घर वापसी” होगी, क्योंकि उन्होंने 2009 में इनेलो छोड़कर कांग्रेस का दामन थामा था। आज INLD के राष्ट्रीय अध्यक्ष अभय सिंह चौटाला की मौजूदगी में यह ऐतिहासिक कार्यक्रम होगा।
कांग्रेस को दी विदाई, भेजा करारा पत्र
3 नवंबर को संपत सिंह ने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को भेजे अपने लंबे पत्र में लिखा — “अब मैं चैन की नींद सोऊंगा।” उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस अब एक व्यक्ति और परिवार की जागीर बन चुकी है और पार्टी में गुटबाजी और परिवारवाद ने जड़ों को खोखला कर दिया है।
उनके बेटे गौरव सिंह ने भी सोशल मीडिया पर लिखा — “थारी कांग्रेस, थानै मुबारक।” कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राव नरेंद्र सिंह ने सोमवार को संपत सिंह को फोन कर मनाने की कोशिश की, लेकिन संपत सिंह ने साफ कह दिया कि उनका मन अब बन चुका है।
कौन हैं प्रोफेसर संपत सिंह?
शिक्षक से राजनेता तक का सफर
76 वर्षीय संपत सिंह का राजनीतिक सफर प्रेरणादायक है। वे मूल रूप से राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर थे और 1972 से 1977 तक हिसार जाट कॉलेज में पढ़ाते थे। 1977 में उन्होंने प्रोफेसर की नौकरी छोड़कर राजनीति में कदम रखा और पूर्व उप प्रधानमंत्री ताऊ देवीलाल के बेहद करीबी बन गए।
ताऊ देवीलाल के निजी सचिव
संपत सिंह 1977 से 1979 तक तत्कालीन मुख्यमंत्री ताऊ देवीलाल के निजी सचिव रहे। वे ताऊ देवीलाल के सबसे विश्वस्त सहयोगियों में से एक थे और उनके साथ सक्रिय रूप से जुड़कर हरियाणा की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ताऊ देवीलाल की 112वीं जयंती पर 22 सितंबर को रोहतक में आयोजित समारोह में संपत सिंह ने उनके चित्र पर पुष्प अर्पित किए थे, और तभी से उनके इनेलो में वापसी की चर्चाएं तेज हो गई थीं।

शानदार राजनीतिक करियर
6 बार विधायक: 1982, 1987, 1991, 1998, 2000 और 2009 में कुल छह बार विधायक रहे
2 बार मंत्री: ओम प्रकाश चौटाला की सरकार में वित्त और बिजली मंत्री के महत्वपूर्ण पद पर रहे
विपक्ष के नेता: हरियाणा विधानसभा में एक बार विपक्ष के नेता भी रहे
राजनीतिक दलों की यात्रा
1977-2009: इनेलो के साथ 32 साल तक जुड़े रहे
2009: लोकसभा चुनाव में हिसार सीट से इनेलो के टिकट पर चुनाव लड़े, लेकिन करीब 6900 वोटों से हार गए। इसके बाद भावनात्मक कारणों से इनेलो छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए
2019: कांग्रेस छोड़कर BJP में शामिल हुए, लेकिन कुछ समय बाद दिल नहीं लगा
अगस्त 2022: दोबारा कांग्रेस में लौट आए
2024: विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने हिसार की नलवा सीट से उनका टिकट काट दिया
3 नवंबर 2025: कांग्रेस से इस्तीफा दिया
5 नवंबर 2025: इनेलो में दोबारा शामिल होंगे
इनेलो में वापसी पर संपत सिंह
इनेलो में दोबारा शामिल होने के सवाल पर संपत सिंह ने कहा — “मैंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत इनेलो से की थी। कुछ भावनात्मक कारणों से पार्टी छोड़ी थी। अब मैं वापस जाना चाहता हूं। इनेलो के नेता भी मुझे बुलाना चाहते थे। मैं काम करने वाला व्यक्ति हूं और वहां मुझे काम करने का अवसर मिलेगा।”

उन्होंने कहा कि उनकी किसी से कोई नाराजगी नहीं है, बल्कि अब उन्होंने अपना मन बना लिया है। उनकी छवि हिसार और फतेहाबाद के इर्दगिर्द काफी मजबूत है।
यह “घर वापसी” हरियाणा की राजनीति में एक महत्वपूर्ण घटना मानी जा रही है, जो इनेलो को कुछ हद तक मजबूती प्रदान कर सकती है।
